इंदौर: भोजशाला को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले कुलदीप तिवारी का आरोप है कि उन्हें इन दिनों धमकियां मिल रही हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के स्कूल से उनकी नौकरी चली गई, वो खुद ट्रेन पकड़ वापस मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर लौट आए हैं. मगर विवाद लगातार पीछे पीछे चल रहा है और इनसे मुक्ति नहीं मिल रही. कुलदीप का कहना है कि उन्हें धमकी मिल रही है कि जब तक आप याचिका वापस नहीं लेंगे तब तक स्कूल में काम नहीं कर सकते. इसे लेकर उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी किया है.
भोजशाला मामले में शिक्षक पर कार्रवाई
इंदौर हाई कोर्ट में पिछले दिनों भोजशाला के मामले में ASI रिपोर्ट पर सुनवाई होनी थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष होने के कारण इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई. वहीं इंदौर हाई कोर्ट में भोजशाला मामले में याचिका दायर करने वाले कुलदीप तिवारी जो की मूलतः लखनऊ के रहने वाले हैं. वह जिस स्कूल में पढ़ाते थे, उन्हें वहां से भी हटा दिया गया.
शिक्षक ने कई अन्य मामलों में भी लगाई है याचिका
स्कूल से हटने के मामले में कुलदीप तिवारी का कहना है कि, "स्कूल प्रबंधन ने उन्हें इसलिए निकाला क्योंकि स्कूल प्रशासन को उनके धार्मिक चिंह पहन स्कूल आने और पढ़ाने पर आपत्ति थी. उन्होंने भोजशाला, काशी ज्ञानवापी सहित सार्वजनिक स्थानों पर अवैध निर्माण के खिलाफ कोर्ट में पिटीशन डाली है. उन पर याचिकाओं को वापस लेने के लिए स्कूल संचालक और प्रबंधन दबाव था. जब मैंने कोई भी याचिका वापस नहीं ली तो मुझ पर एक्शन लिया गया. स्कूल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि, जब तक आप याचिका वापस नहीं लेते हैं तब तक स्कूल ना आएं.''
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शिक्षक ने यूपी सरकार से की शिकायत, स्कूल ने दी सफाई
कुलदीप तिवारी यूपी के एक निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते थे. उन्होंने धार भोजशाला को लेकर याचिका दायर की थी. उन्होंने पूरे मामले की जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार के साथ ही कई अन्य संस्थाओं से की है और फिलहाल सुनवाई का इंतजार है. कुलदीप तिवारी का कहना है कि वो काफी परेशान हैं.
वहीं, ईटीवी भारत के सामने लखनऊ के स्कूल ने अपना पक्ष रखा है. स्कूल का कहना है कि " स्कूल की प्रतिष्ठा को निराधार आरोपों द्वारा धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया गया है."