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Rajasthan: धनतेरस पर सोने-चांदी नहीं मिट्टी की होती है पूजा, ये है खास परंपरा

डीडवाना कुचामन जिले के कुचामन में धनतेरस पर मिट्टी के रूप में धन घर ले जाते हैं, फिर उसकी पूजा करते हैं. ये है परंपरा...

धनतेरस पर सोने-चांदी नहीं मिट्टी की होती है पूजा
धनतेरस पर सोने-चांदी नहीं मिट्टी की होती है पूजा (ETV Bharat Kuchaman)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 29, 2024, 9:17 AM IST

Updated : Oct 29, 2024, 10:06 AM IST

कुचामनसिटी : दिवाली पर हर क्षेत्र की अपनी-अपनी परंपराएं होती हैं. इसी तरह कुचामनसिटी में धनतेरस को लेकर एक अनोखी मान्यता है. यहां धनतेरस के दिन मिट्टी पूजन कर उसे घर लाने की परंपरा है. इसे 'धन की पूजा' कहते हैं.

पार्षद ललिता वर्मा पारीक ने बताया कि महिलाएं अल सुबह उठकर घर से बाहर मिट्टी लाने जाती हैं. लाल मिट्टी को सबसे पवित्र मिट्टी माना जाता है. महिलाएं ग्रुप बना कर सज-धज कर बर्तन लेकर घर से बाहर निकलती हैं और जहां लाल मिट्टी मिलती है, वहां दीपक, कमकुम, जल, अगरबत्ती और धान से मिट्टी की पूजा करती हैं. आंगन को लाल मिट्टी से लीपने की परंपरा से महिलाओं का मानना है कि इस मिट्टी को घर ले जाने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश और धन का वास होता है.

पढ़ें. Rajasthan: Dhanteras 2024 : चांदी के सिक्के पर निर्मित होप सर्कस और लक्ष्मी जी की खूब डिमांड, बारीक नक्काशी ग्राहकों को कर रही आकर्षित

महिला बोली- 'मिट्टी ही खरा सोना' : गौड़ समाज अध्यक्ष पुष्पा गौड़ कहती हैं कि भारत की भूमि पवित्र है. यह धरा मिट्टी रूपी सोना उगलती है. धनतेरस के दिन महिलाएं इस मिट्टी की पूजा करती हैं और इसे धन मानकर घर लाती हैं. पूजा के मांगलिक कार्य में यह मिट्टी शुभ मानी जाती है. दीपावली की शाम लक्ष्मी मैया की पूजा के दौरान इस मिट्टी रूपी धन की भी पूजा की जाएगी.

स्थानीय महिला सुशीला जोशी ने बताया कि धनतेरस का त्योहार इस बार 29 अक्टूबर को है. धनतेरस पर भगवान कुबेर और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जा रही है. मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी और ज्वेलरी खरीदना शुभ है, लेकिन राजस्थान के कुचामनसिटी में धनतेरस को लेकर एक अनोखी मान्यता है. यहां धनतेरस के दिन मिट्टी पूजन कर उसे घर लाने की परंपरा है. धनतेरस से लेकर लक्ष्मी पूजन तक घर के आंगन में लाल मिट्टी का लेप किया जाता है. माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और दीपक लगाया जाता है.

कुचामनसिटी : दिवाली पर हर क्षेत्र की अपनी-अपनी परंपराएं होती हैं. इसी तरह कुचामनसिटी में धनतेरस को लेकर एक अनोखी मान्यता है. यहां धनतेरस के दिन मिट्टी पूजन कर उसे घर लाने की परंपरा है. इसे 'धन की पूजा' कहते हैं.

पार्षद ललिता वर्मा पारीक ने बताया कि महिलाएं अल सुबह उठकर घर से बाहर मिट्टी लाने जाती हैं. लाल मिट्टी को सबसे पवित्र मिट्टी माना जाता है. महिलाएं ग्रुप बना कर सज-धज कर बर्तन लेकर घर से बाहर निकलती हैं और जहां लाल मिट्टी मिलती है, वहां दीपक, कमकुम, जल, अगरबत्ती और धान से मिट्टी की पूजा करती हैं. आंगन को लाल मिट्टी से लीपने की परंपरा से महिलाओं का मानना है कि इस मिट्टी को घर ले जाने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश और धन का वास होता है.

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महिला बोली- 'मिट्टी ही खरा सोना' : गौड़ समाज अध्यक्ष पुष्पा गौड़ कहती हैं कि भारत की भूमि पवित्र है. यह धरा मिट्टी रूपी सोना उगलती है. धनतेरस के दिन महिलाएं इस मिट्टी की पूजा करती हैं और इसे धन मानकर घर लाती हैं. पूजा के मांगलिक कार्य में यह मिट्टी शुभ मानी जाती है. दीपावली की शाम लक्ष्मी मैया की पूजा के दौरान इस मिट्टी रूपी धन की भी पूजा की जाएगी.

स्थानीय महिला सुशीला जोशी ने बताया कि धनतेरस का त्योहार इस बार 29 अक्टूबर को है. धनतेरस पर भगवान कुबेर और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जा रही है. मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी और ज्वेलरी खरीदना शुभ है, लेकिन राजस्थान के कुचामनसिटी में धनतेरस को लेकर एक अनोखी मान्यता है. यहां धनतेरस के दिन मिट्टी पूजन कर उसे घर लाने की परंपरा है. धनतेरस से लेकर लक्ष्मी पूजन तक घर के आंगन में लाल मिट्टी का लेप किया जाता है. माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और दीपक लगाया जाता है.

Last Updated : Oct 29, 2024, 10:06 AM IST
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