धनबादः SNMMCH में एमबीबीएस में पहले 50 सीटें थीं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के सफल प्रयास के बाद एनएमसी ने 50 अतिरिक्त सीटें बढ़ा दी. यही नहीं पीजी के लिए भी एनएमसी ने मान्यता दे दी लेकिन मेडिकल कॉलेज की इस उपलब्धि पर पानी फिर सकता है. जिस तरह से एनएमसी से सीटें बढ़ाई हैं, उस पर अब खतरा मंडराने लगा है.
शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ज्योति रंजन का कहना है कि हमारे यहां प्रोफेसर की काफी कमी है. मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के कुल 33 पोस्ट है, जिसमें महज 8 प्रोफेसर ही कार्यरत हैं बाकी 25 पद रिक्त पड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि प्रोफेसर नहीं रहने के कारण हमें कठिनाई होती है. लेकिन प्रोफेसर के कारण अध्यन प्रभावित ना हो, इस बात का खास ख्याल रखा जाता है.
प्रिंसिपल ने कहा कि एनएमसी ने 50 से बढ़ाकर एमबीबीएस की 100 सीटें कर दी हैं, यह काफी प्रयासों के बाद हुआ है. यही नहीं पीजी की पढ़ाई यहां कभी नहीं होती थी, एनएमसी ने पीजी के लिए भी मान्यता दी है. जिसमें मेडिसिन में 6 और ऑर्थोपेडिक में 3 सीटें एनएमसी ने स्वीकृत की है. अगर प्रोफेसर की कमी से इसी तहस से जूझते रहे तो साल दो साल में एनएमसी अपना हाथ पीछे खींच सकती है, बढ़ी हुई सीटें घट सकती हैं. सीटें अगर फिर से कम हुई तो उन्हें दोबारा बढ़ाना काफी कठिनाई भरा होगा. कुल 100 सीटों में 83 स्टेट कोटे की हैं जबकि 15 सीट ऑल इंडिया कोटे से हैं, वहीं सेंट्रल नॉमिनी के लिए दो सीटें हैं.
मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर्स की कमी को लेकर जानकारों का मानना है कि प्रमोशन की प्रकिया रुकी हुई है. सरकार द्वारा छिटपुट प्रमोशन दिया गया है. पूरे राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रमोशन नहीं होने के कारण उसके नीचे के पद खाली नहीं हो रहे हैं. प्रमोशन होने के बाद वह पद रिक्त होंगे और फिर उन सभी खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ होगी.
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