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भूतड़ी अमावस्या पर तंत्र-मंत्र का दौर, आस्था के नाम पर अंधविश्वास का 'खेल', जीभ के आरपार किया त्रिशूल - SUPERSTITION NAME OF FAITH - SUPERSTITION NAME OF FAITH

भूतड़ी अमावस्या पर सोमवार को देवास जिले में नर्मदा नदी के किनारे श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा. इस मौके पर अंधविश्वास में डूबे कुछ लोगों ने बाहरी बाधाओं को दूर करने के नाम पर तंत्र-मंत्र का सहारा लिया. इस दौरान कुछ लोगों ने छोटे त्रिशूल को अपनी जीभ के आरपार किया.

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भूतड़ी अमावस्या पर नर्मदा के तट पर रातभर चला तंत्र मंत्र का दौर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 8, 2024, 1:07 PM IST

Updated : Apr 8, 2024, 1:47 PM IST

देवास। जिला मुख्यायल से करीब 150 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे नेमावर में हर चैत्र नवरात्रि से पहले भूतड़ी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं. हजारों ग्रामीण दूरदराज से यहां पहुंचकर अपने दुःख, दरिद्रता और ऊपरी बाधाओं से निजात पाने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं. कुछ ग्रामीण मां की पूजा के नाम पर अपनी जुबां पर त्रिशूल आरपार करते हैं. इस बार भी कुछ ग्रामीणों ने त्रिशूल अपनी जीभ के आरपार किया. कुछ लोग मानसिक बीमारी से परेशान होकर यहां पहुंचते हैं.

नर्मदा के तट पर गांवों से उमड़ते हैं हजारों श्रद्धालु

ग्रामीणों का मानना है कि यह सिद्ध स्थान होने के कारण बाहरी बाधाओं से पीड़ित लोग अपने परिजनों के साथ आते हैं और पूरी रात नर्मदा के तट पर तंत्र मंत्र करवाते हैं. यहीं से शूरू होती है पड़ियार द्वारा झूमते नाचते, गाते नकारात्कम शक्तियों पर काबू पाने की जद्दोदहद. आस्था के नाम पर यहां सारी रात तरह-तरह के तरीके अपनाए जाते हैं. पीड़ितों का कहना है कि नकारात्मक शक्तियां विकराल रूप ले लेती हैं और वे शरीर को छोड़ने के लिए शर्तें रखती हैं. इसके बाद तंत्र-मंत्र के सहारे लोगों को राहत मिलती है.

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आस्था के नाम पर शरीर को नुकसान पहुंचाना गलत

आस्था और विश्वास के नाम पर यहां अंधविश्वास का खेल सालों से चला आ रहा है. खास बात ये है कि यहां प्रशासन का अमला भी तैनात रहता है ताकि किसी प्रकार की जनहानि न हो सके. सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन व पुलिस द्वारा विशेष सुरक्षा के इंतजाम भी किए गए. वहीं. इस बारे में सामाजिक संगठनों का कहना है कि दरअसल, अशिक्षा के कारण आज भी कई ग्रामीणों अंधविश्वास में जीते हैं. आस्था के नाम पर शरीर को नुकसान पहुंचाना किसी भी हिसाब से सही नहीं कहा जा सकता.

देवास। जिला मुख्यायल से करीब 150 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे नेमावर में हर चैत्र नवरात्रि से पहले भूतड़ी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं. हजारों ग्रामीण दूरदराज से यहां पहुंचकर अपने दुःख, दरिद्रता और ऊपरी बाधाओं से निजात पाने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं. कुछ ग्रामीण मां की पूजा के नाम पर अपनी जुबां पर त्रिशूल आरपार करते हैं. इस बार भी कुछ ग्रामीणों ने त्रिशूल अपनी जीभ के आरपार किया. कुछ लोग मानसिक बीमारी से परेशान होकर यहां पहुंचते हैं.

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ग्रामीणों का मानना है कि यह सिद्ध स्थान होने के कारण बाहरी बाधाओं से पीड़ित लोग अपने परिजनों के साथ आते हैं और पूरी रात नर्मदा के तट पर तंत्र मंत्र करवाते हैं. यहीं से शूरू होती है पड़ियार द्वारा झूमते नाचते, गाते नकारात्कम शक्तियों पर काबू पाने की जद्दोदहद. आस्था के नाम पर यहां सारी रात तरह-तरह के तरीके अपनाए जाते हैं. पीड़ितों का कहना है कि नकारात्मक शक्तियां विकराल रूप ले लेती हैं और वे शरीर को छोड़ने के लिए शर्तें रखती हैं. इसके बाद तंत्र-मंत्र के सहारे लोगों को राहत मिलती है.

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Last Updated : Apr 8, 2024, 1:47 PM IST
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