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दिल्ली वक्फ बोर्ड ने CIC के निर्देश के बाद उपलब्ध कराई 1964 संपत्तियों की सूची - Delhi Waqf Board 1964 properties - DELHI WAQF BOARD 1964 PROPERTIES

Delhi Waqf Board 1964 properties list: केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद दिल्ली वक्फ बोर्ड ने 1964 संपत्तियों की सूची उपलब्ध कराई है. इससे पहले बोर्ड ने इस बारे में अधूरी सूचनाएं दी थीं, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने आयोग का दरवाजा खटखटाया था.

दिल्ली वक्फ बोर्ड
दिल्ली वक्फ बोर्ड (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 30, 2024, 1:12 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड ने केंद्रीय सूचना आयोग की फटकार के बाद एक आरटीआई के जवाब में द्वारा सुभाष चंद्र अग्रवाल द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करा दी है. वक्फ बोर्ड ने अपने अंतर्गत आने वाली संपत्तियों की अबकी बार पते और अन्य विवरण के साथ जानकारी उपलब्ध कराई. आयोग ने वक्फ बोर्ड को 31 मई तक इस आरटीआई का जवाब उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश दिया था.

बोर्ड द्वारा दी गई सूची में बताया गया कि उसके पास 1964 संपत्तियां हैं, जिनमें अधिकतर मस्जिदें शामिल हैं. इसमें कई मस्जिदें ऐसी हैं, जो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. बोर्ड ने सूची में मस्जिदों के पूरे पते के साथ ही यह भी जानकारी दी है कि वह कितनी पुरानी है. वहीं कुछ मस्जिदों के बारे में वक्फ बोर्ड को भी जानकारी नहीं है कि वह कितनी पुरानी है उनके बारे में सूची में समय अवधि नहीं दी है.

306 पेज की सूची में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद और मदरसों के कर्ता-धर्ता कौन हैं, इसकी भी जानकारी दी है. इनमें से कई संपत्तियों की देख रेख और मैनेजमेंट वक्फ बोर्ड के हाथ में है, तो कहीं अलग से मुतवल्ली ही इनका पूरा कामकाज संभाल रहे हैं. साथ ही कई जगह मेनेजमेंट कमेटी भी बनी हुई है. सूची में वक्फ बोर्ड ने यह भी जानकारी दी है कि कौन सी संपत्ति कब से बोर्ड के पास रजिस्टर्ड हुई है. साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन नंबर भी सूची में दिया गया है.

प्रमुख 20 संपत्तियों की सूची
प्रमुख 20 संपत्तियों की सूची (ETV Bharat, Reporter)

बता दें कि सुभाष चंद्र अग्रवाल ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से नौ फरवरी, 2024 को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत 9 बिंदुओं पर सूचनाएं मांगी थीं, जिनमें से छह बिंदुओं पर वक्फ बोर्ड द्वारा सूचनाएं दी गईं थी. वहीं बाकी के तीन बिंदुओं पर अधूरी और गलत सूचनाएं दी गईं. इन तीन बिंदुओं में से पहले बिंदु में वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियां की उनके पते सहित जानकारी, उनसे वक्फ बोर्ड को मासिक या वार्षिक तौर पर कितना किराया मिल रहा है. साथ ही कितनी संपत्तियां ऐसी हैं जो खाली हैं और उनसे वक्फ बोर्ड को किराया नहीं मिल रहा है, आदि जानकारियां मांगी गई थी.

दूसरे बिंदु में उन संपत्तियों से के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जिनमें वक्फ बोर्ड किराएदार है और मालिक व किराएदार के बीच विवाद है. इसके अलावा शिकायतकर्ता ने नौवें बिंदु के रूप में यह जानकारी मांगी थी, कि उनकी आरटीआई एप्लीकेशन कब-कब कहां-कहां मूव हुई है और उसपर क्या नोटिंग हुई है. इन तीन बिंदुओं पर सूचनाएं न मिलने के बाद इसकी अपील करते हुए शिकायतकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें 20 मई को सुनवाई हुई थी.

यह भी पढ़ें- दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक के पद से अश्वीनी कुमार को हटाने की मांग खारिज, याचिकाकर्ता पर 10 हजार का जुर्माना

सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से शिकायतकर्ता को बिंदु नंबर एक के जवाब में जो जानकारी दी गई है वह अधूरी है. वहीं बिंदु नंबर दो के जवाब में दी गई जानकारी गलत और भ्रामक है. आयोग ने उत्तरदाता को तीनों बिंदुओं का फिर से अवलोकन करने और उसके पास रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर जवाब देने का आदेश दिया. इस तरह आयोग ने बिंदु नंबर नौ के लिए भी उत्तरदाता को अपने पास रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर शिकायतकर्ता को 31 मई तक जवाब देने का आदेश दिया था. अब बोर्ड ने दो दिन पहले 29 मई को ही ये जानकारी उपलब्ध कराई है.

यह भी पढ़ें- AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को राहत, दिल्ली वक्फ बोर्ड की भर्ती से जुड़े मामले में मिली जमानत

नई दिल्ली: दिल्ली वक्फ बोर्ड ने केंद्रीय सूचना आयोग की फटकार के बाद एक आरटीआई के जवाब में द्वारा सुभाष चंद्र अग्रवाल द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करा दी है. वक्फ बोर्ड ने अपने अंतर्गत आने वाली संपत्तियों की अबकी बार पते और अन्य विवरण के साथ जानकारी उपलब्ध कराई. आयोग ने वक्फ बोर्ड को 31 मई तक इस आरटीआई का जवाब उपलब्ध कराने का सख्त निर्देश दिया था.

बोर्ड द्वारा दी गई सूची में बताया गया कि उसके पास 1964 संपत्तियां हैं, जिनमें अधिकतर मस्जिदें शामिल हैं. इसमें कई मस्जिदें ऐसी हैं, जो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. बोर्ड ने सूची में मस्जिदों के पूरे पते के साथ ही यह भी जानकारी दी है कि वह कितनी पुरानी है. वहीं कुछ मस्जिदों के बारे में वक्फ बोर्ड को भी जानकारी नहीं है कि वह कितनी पुरानी है उनके बारे में सूची में समय अवधि नहीं दी है.

306 पेज की सूची में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद और मदरसों के कर्ता-धर्ता कौन हैं, इसकी भी जानकारी दी है. इनमें से कई संपत्तियों की देख रेख और मैनेजमेंट वक्फ बोर्ड के हाथ में है, तो कहीं अलग से मुतवल्ली ही इनका पूरा कामकाज संभाल रहे हैं. साथ ही कई जगह मेनेजमेंट कमेटी भी बनी हुई है. सूची में वक्फ बोर्ड ने यह भी जानकारी दी है कि कौन सी संपत्ति कब से बोर्ड के पास रजिस्टर्ड हुई है. साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन नंबर भी सूची में दिया गया है.

प्रमुख 20 संपत्तियों की सूची
प्रमुख 20 संपत्तियों की सूची (ETV Bharat, Reporter)

बता दें कि सुभाष चंद्र अग्रवाल ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से नौ फरवरी, 2024 को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत 9 बिंदुओं पर सूचनाएं मांगी थीं, जिनमें से छह बिंदुओं पर वक्फ बोर्ड द्वारा सूचनाएं दी गईं थी. वहीं बाकी के तीन बिंदुओं पर अधूरी और गलत सूचनाएं दी गईं. इन तीन बिंदुओं में से पहले बिंदु में वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियां की उनके पते सहित जानकारी, उनसे वक्फ बोर्ड को मासिक या वार्षिक तौर पर कितना किराया मिल रहा है. साथ ही कितनी संपत्तियां ऐसी हैं जो खाली हैं और उनसे वक्फ बोर्ड को किराया नहीं मिल रहा है, आदि जानकारियां मांगी गई थी.

दूसरे बिंदु में उन संपत्तियों से के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जिनमें वक्फ बोर्ड किराएदार है और मालिक व किराएदार के बीच विवाद है. इसके अलावा शिकायतकर्ता ने नौवें बिंदु के रूप में यह जानकारी मांगी थी, कि उनकी आरटीआई एप्लीकेशन कब-कब कहां-कहां मूव हुई है और उसपर क्या नोटिंग हुई है. इन तीन बिंदुओं पर सूचनाएं न मिलने के बाद इसकी अपील करते हुए शिकायतकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें 20 मई को सुनवाई हुई थी.

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सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से शिकायतकर्ता को बिंदु नंबर एक के जवाब में जो जानकारी दी गई है वह अधूरी है. वहीं बिंदु नंबर दो के जवाब में दी गई जानकारी गलत और भ्रामक है. आयोग ने उत्तरदाता को तीनों बिंदुओं का फिर से अवलोकन करने और उसके पास रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर जवाब देने का आदेश दिया. इस तरह आयोग ने बिंदु नंबर नौ के लिए भी उत्तरदाता को अपने पास रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर शिकायतकर्ता को 31 मई तक जवाब देने का आदेश दिया था. अब बोर्ड ने दो दिन पहले 29 मई को ही ये जानकारी उपलब्ध कराई है.

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