नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में दाखिले के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से कंप्यूटराइज्ड ड्रॉ के परिणाम को सभी स्कूलों को मानना होगा. जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने प्री-प्राइमरी क्लास में दाखिले की एक छात्र की मांग पर सुनवाई करते हुए ये फैसला किया. याचिकाकर्ता छात्र का नाम एक निजी स्कूल के लिए निकले ड्रॉ में आया था, लेकिन स्कूल ने याचिकाकर्ता छात्र को दाखिला देने से इनकार कर दिया था.
कोर्ट ने कहा कि एक बार जब स्कूल ने शिक्षा निदेशालय को सामान्य कैटेगरी और ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत दाखिले की सीट के बारे में सूचित कर दिया और उस आधार पर शिक्षा निदेशालय ने कंप्यूटराइज्ड ड्रॉ के तहत नाम निकाला तो स्कूल को दाखिला देना होगा. स्कूल इसके लिए कोई बहाना नहीं बना सकता है.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता छात्र स्कूल में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के तहत दाखिले का हकदार है. उसे शिक्षा के अधिकार कानून और शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी दूसरे सर्कुलर के मुताबिक संबंधित स्कूल में दाखिला देना होगा. शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में दाखिले के लिए 25 फीसदी ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चों के लिए आरक्षित होते हैं. इस कैटेगरी के तहत दाखिला शिक्षा निदेशालय के वेबसाइट पर अर्जी देने के बाद किया जाता है.
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शिक्षा निदेशालय दाखिले के लिए मिले आवेदनों के आधार पर पहले से तय मानदंडों के आधार पर कंप्यूटराइज्ड ड्रॉ निकालता है. शिक्षा निदेशालय ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए स्कूलों से संख्या मांगता है और उसी के मुताबिक ड्रॉ निकाला जाता है. जिन बच्चों का नाम शिक्षा निदेशालय के ड्रॉ में निकलता है वे संबंधित स्कूलों में दाखिला पाते हैं.
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