नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अभी तारीख का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सियासी गर्मी तेज हो चुकी है. आम आदमी पार्टी बाबा साहेब आंबेडकर के मुद्दे पर दलित वोट बैंक को एकजुट करने में जुटी है. तो दूसरी ओर निशाने पर दिल्ली के पूर्वांचल वाले लोग भी हैं. पूर्वांचल मतदाताओं को अभी तक बीजेपी अपना वोट बैंक समझती रही है, लेकिन शुक्रवार को वोटर लिस्ट से नाम काटने के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा.
दिल्ली में दशकों से रहने के बाद भी उनके जीवन स्तर को सुधारने में जो काम किया, उसका ब्योरा देकर अरविंद केजरीवाल सामने आए थे. जिस तरह केजरीवाल ने कहा कि जब से आम आदमी पार्टी बनी है दिल्ली के अंदर पूर्वांचल समाज को सम्मान देने और उन्हें बसाने का काम किया है. दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार से बहुत सारे लोग आते हैं, पहला कारण होता है नौकरी की तलाश और दूसरा पढ़ाई. जब वह यहां कुछ समय रह जाते हैं तब अपने स्थाई रूप से रहने के लिए भी आश्रय का जुगाड़ करते हैं. वह दिल्ली की बड़ी-बड़ी कॉलोनी में नहीं रह सकते तो कच्ची कॉलोनी में घर खरीद लेते हैं. दिल्ली में 1797 कच्ची कॉलोनियां हैं और उनमें रहने वाले 80 से 90 फीसद लोग पूर्वांचल समाज के हैं.
अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का नाम लेकर कहा कि संसद में उन्होंने दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल समाज को रोहिंग्या, घुसपैठियों और बांग्लादेशी लोगों के साथ तुलना की, उनके नाम वोटर लिस्ट से कटवाए जा रहे हैं. आम आदमी पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी. हालांकि, पूर्वांचल से ताल्लुक रखने वाले और उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का कहना है कि आम आदमी पार्टी जिस तरह रोहिंग्या, बांग्लादेशियों के नाम पर हिंदू मतदाताओं के नाम काटने का आरोप लगा रही है, यह बेबुनियाद है.
पूर्वांचलियों के हाथ में 17 विधानसभा सीटों की जीत-हार की चाबी:
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 17 विधानसभा सीटों में पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. राजनीतिक विश्लेषक अजय पांडेय के अनुसार, इन विधानसभा में जीत-हार की चाबी पूर्वांचल मतदाताओं के हाथ में है. इन विधानसभा में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से संबंधित वोटरों की संख्या 30 से 50 फीसद तक है. पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी साउथ वेस्ट दिल्ली के द्वारका, मटियाला, उत्तरी दिल्ली के मॉडल टाउन, बुराड़ी, करावल नगर, सीमापुरी, बादली, किराड़ी, नांगलोई, उत्तम नगर, पटपड़गंज, लक्ष्मी नगर, संगम विहार, बदरपुर, पालम, देवली, राजेंद्र नगर, जैसी विधानसभा सीट है, जहां पर पूर्वांचल के मतदाताओं की संख्या अधिक है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में अधिकांश पूर्वांचल मतदाताओं का समर्थन कांग्रेस व भाजपा की तुलना में आम आदमी पार्टी को अधिक मिला था. इसलिए इस बार भी आम आदमी पार्टी उन्हें सहेज कर रखना और उनका वोट बैंक पाने की कोशिश में जुट गई है.
दिल्ली चुनाव आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची के अनुसार दिल्ली में कुल 1.52 करोड़ मतदाताओं में करीब 40 से 42 लाख के आसपास पूर्वांचल से ताल्लुक रखते हैं. इसी का नतीजा है कि आम आदमी पार्टी को टक्कर देने में जुटी दिल्ली बीजेपी ने भी पूर्वांचल मोर्चा को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी है. पूर्वांचल मतदाताओं को यकीन दिलाने के लिए सरकार द्वारा जारी सभी मुफ्त योजनाएं जारी रहेगी और उन्हें आसानी से मिल सकेगी. दिल्ली बीजेपी ने भी पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष संतोष ओझा समेत मोर्चा के अन्य पदाधिकारी व पूर्वांचल नेताओं को मैदान में उतार दिया है. उन्हें जगह-जगह चाय की चर्चा की तरह लिट्टी-चोखा पर चर्चा अभियान तैयार करने को कहा गया है. चुनाव की तारीख का ऐलान होने के साथ ही यह मोर्चा भी इस अभियान को सफल बनाने में जुट जाएगा.
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