देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड के देहरादून शहर में तमाम मुद्दों के बीच युवाओं का एक संगठन प्रत्याशियों को परखने में जुटा है. ये युवा शहर में नदियों की दुर्दशा को प्रत्याशियों के सामने रख रहे हैं. अपने अनोखे तरीके के साथ प्रत्याशियों की घेराबंदी करते युवाओं ने सबका ध्यान आकर्षित किया है. खास बात ये है कि प्रत्याशियों को भी मजबूरन इनसे नदियों की स्वच्छता पर वादा करना पड़ रहा है. निकाय चुनाव के दौरान देहरादून में युवाओं का रिस्पना और बिंदाल नदी को लेकर जारी अभियान को इस रिपोर्ट के जरिए जानें.
निकाय चुनाव के दौरान शहर की नालियां, सड़कें, कूड़ा उठान और स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था जैसे मुद्दों पर जमकर बात हो रही है. लेकिन युवाओं का एक संगठन कॉलोनियों के आस-पास की इन समस्याओं से हटकर नए अंदाज में कुछ बातों को प्रत्याशियों तक पहुंचा रहा है. मुद्दा देहरादून शहर में रिस्पना और बिंदाल नदी की दुर्दशा का है. जिसे न केवल कुछ युवा प्रत्याशियों के ध्यान में ला रहे हैं. बल्कि हाथों-हाथ इस समस्या के निदान की गारंटी भी ले रहे हैं. खास बात यह है कि युवा इसके लिए चुनावी दंगल में अनोखे तरीके को अपना रहे हैं, जो सबका ध्यान भी आकर्षित कर रहा है.
प्रत्याशियों से ले रहे शपथ पत्र: दरअसल, ये युवा नदी के गंदे पानी से भरी शीशे की बोतल लेकर प्रत्याशियों के पास जा रहे हैं. फिर नदी की मौजूदा स्थिति को वो इस पानी के जरिए बताकर प्रत्याशियों के साथ इस बोतल की फोटो भी खींच रहे हैं. इसके अलावा उनसे शपथ पत्र (फॉर्मेट) में भी नदी को साफ करने की गारंटी ले रहे हैं.
नदियों की दुर्दशा की सच्चाई से कराया जा रहा रूबरू: खास बात ये है कि MAD (Making A Difference by Being The Difference) नाम की संस्था से जुड़े युवाओं ने खुद मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाया है. ये युवा खुद भी प्रत्येक रविवार को नदी में उतरकर सफाई करते हैं. जबकि अब वो चुनाव में तमाम वादों के साथ इलेक्शन लड़ने वाले प्रत्याशियों को इन नदियों की दुर्दशा याद दिला रहे हैं.
कभी वरदान थी, आज अभिशाप है: ऐसा नहीं है कि रिस्पना, बिंदाल नदी की गंदगी किसी से छपी हो. लेकिन अक्सर राजनीतिक दल इन नदियों की स्वच्छता पर बात तो करते हैं पर कोई काम धरातल पर नहीं दिखाई देता. यही कारण है कि धीरे-धीरे यह दोनों नदियां देहरादून शहर के लिए अभिशाप बन रही है. जबकि कभी इन नदियों को देहरादून के लिए वरदान माना जाता था.
नदी किनारे बसी बस्तियां बड़ा वोट बैंक: रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे बसी मलिन बस्तियां राजनीतिक दलों के लिए बड़े वोट बैंक के रूप में मानी जाती है. लेकिन इसके बावजूद इन नदियों की स्वच्छता कभी सत्ताधारियों का एजेंडा नहीं बन पाया. इन दोनों ही नदियों में करीब 129 मलिन बस्तियां हैं. और इन बस्तियों से निकलने वाला गंदा पानी, कूड़ा इन्हीं नदियों में समा रहा है. देहरादून नगर निगम में ही 2 लाख से ज्यादा आबादी इन मलिन बस्तियों में रहती है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी बड़ी आबादी के चलते नदियों पर कितना दबाव बढ़ रहा है.
युवाओं के इस अभियान के जरिए न केवल निकाय चुनाव में देहरादून शहर के भीतर इन नदियों की स्वच्छता भी मुद्दा बनी है, बल्कि मेयर पद के प्रत्याशी इस मामले पर मेयर बनने की स्थिति में कदम उठाने का भी भरोसा दे रहे हैं.
ETV BHARAT ने अभियान चला रहे इन्हीं युवाओं से बात की: युवाओं ने कहा कि देहरादून शहर में कभी स्वच्छ रहने वाली इन नदी पर जिस तरह गंदगी बढ़ रही है, उसे लेकर वह बेहद ज्यादा चिंतित थे. और इसीलिए न केवल वह अपने साथियों के साथ छुट्टी के दिन इस नदी को साफ करने के लिए नदी में उतरते हैं, बल्कि अब वह चाहते हैं कि राजनीतिक रूप से भी इसमें कोई पहल की जाए. इसके लिए उन्होंने मेयर पद के प्रत्याशियों से इस पर गारंटी मांगी है.
इस दौरान मेयर पद के विभिन्न दलों के प्रत्याशियों को नदियों की दुर्दशा के बारे में बताया जा रहा है. फिर नदी के पानी को दिखाकर अपने कार्यकाल में इसकी स्वच्छता के लिए होने वाले प्रयासों पर भी बात की जा रही है. यही नहीं, इन प्रत्याशियों से शपथ पत्र भी भरवाने के प्रयास हो रहे हैं. ताकि मेयर बनने के बाद उन्हें शपथ पत्र के जरिए अपने वादे की याद दिलाई जा सके.
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