दौसा. जिले के सिकराय उपखंड में एक 13 वर्षीय बालक पिछले 2 सालों से ब्रेन से जुड़ी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, जिसके चलते वह स्वयं से बैठने और बोलने में सक्षम नहीं है. खुद के सहारे वह चल फिर भी नहीं सकता. इतना ही नहीं मासूम गंभीर बीमारी के चलते खुद के हाथों से कुछ खा भी नहीं सकता. मामला, जिले के सिकराय उपखंड में स्थित खैरपुर गांव का है. दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने इस गंभीर बीमारी के इलाज का खर्च करीब 18 से 19 लाख रुपए बताया है, जिससे उसके जीवन के लिए उसके माता-पिता चिंतित है. ऐसे में माता-पिता ने अपने लाडले बेटे के इलाज लिए राज्य सरकार के विधायक, मंत्रियों व मुख्यमंत्री तक से मदद की गुहार लगाई, लेकिन परिजनों को कहीं से भी कोई ठोस सहायता मुहैया नहीं हो पाई है. ऐसे में अब मासूम के माता पिता ने सर्व समाज के भामाशाहों और संगठनों से बेटे के इलाज के लिए सहायता करने की अपील की है.
2 साल पहले बीमारी का हुआ अहसास : दरअसल, जिले में स्थित सिकराय उपखंड के खैरपुर निवासी पिंटू मीना का 13 वर्षीय बेटा दीपक ब्रेन की गंभीर बीमारी से पीड़ित है. पिंटू मीना ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि बेटा दीपक 11 साल का होने का बाद अपने आप चलते हुए गिरने लगा. ऐसे में उन्होंने पहले उसका जयपुर के जेके लोन अस्पताल में चेकअप करवाया. वहां कुछ समय के लिए वह एडमिट भी रहा, लेकिन बेटे को इलाज के दौरान भी कोई आराम नहीं मिला, और बीमारी के चलते उसकी परेशानी बढ़ती चली गई. ऐसे में करीब 1 साल बाद जेके लोन के डॉक्टरों ने बेटे को एसएमएस अस्पताल में रेफर कर दिया. इस दौरान अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रखकर एसएमएस अस्पताल में भी बेटे का करीब 1 साल तक इलाज करवाया. इस बीच एसएमएस के डॉक्टरों ने बच्चे के ब्रेन में गंभीर बीमारी के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि ब्रेन पूरी तरह से विकसित नहीं है, जिसके चलते 21 नवंबर 2023 को एसएमएस के डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए.
उन्होंने बताया कि बड़ी मुश्किलों के बाद दिल्ली एम्स में उसे भर्ती करवाया गया. वहां डॉक्टरों ने बेटे की जेनरेटिक जांच बेंगलुरु में करवाई. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के ब्रेन की जीन की बनावट जन्मजात अधूरी है. इसके कारण उसे ये परेशानी होती है. समय पर इलाज नहीं मिलने पर बच्चे की जान जा सकती है. दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने दीपक के ब्रेन में वीएनएस मशीन इंप्लांट करने के बात कही. इस मशीन की कीमत करीब 11.55 लाख रुपए है, जिसे विदेश से मंगवाया जाएगा. पिता पिंटू मीना ने बताया कि डॉक्टरों ने बेटे के इलाज का पूरा खर्च करीब 19 लाख रुपए बताया है.
इलाज के लिए पत्नी के जेवर तक गिरवी रखे : महज 10 हजार रुपए की नौकरी करने वाले पिंटू को जब डॉक्टरों ने बेटे के इलाज के खर्च के लिए 19 लाख रुपए की बड़ी राशि के बारे में बताया तो उसके होश उड़ गए. पिंटू मीना ने बताया कि जिले के मेहंदीपुर बालाजी में वह महज 10 हजार रुपए की नौकरी करता है. घर में आय के नाम पर सिर्फ एक बीघा कृषि भूमि है. वहीं पूरे जीवन की जमा पूंजी बेटे के इलाज में अब तक लगा चुका. साथ ही पत्नी के जेवर भी गिरवी रख दिए है, लेकिन अब इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं है.
राज्य और केंद्र सरकार से लगाई मदद की गुहार : पिंटू ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया. राज्य सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री से मिला. केंद्र सरकार से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन काफी प्रयास के बाद मुख्यमंत्री सहायता कोष से 1.50 लाख रुपए ही मिले है. वहीं, प्रधानमंत्री सहायता कोष से 50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत हुई है.
आमजन से मदद की लगाई गुहार : इस दौरान मासूम बच्चे के पिता पिंटू ने ईटीवी भारत से बात करते हुए भावुक होकर लोगों से बेटे के इलाज में उसकी मदद करने की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि मेरा बेटा बिना सहारे के खड़ा होना चाहता है. बोलना चाहता है, लेकिन गंभीर बीमारी के कारण वो ये सब नहीं कर पाता. ऐसे में उसके ब्रेन में वीएनएस मशीन इंप्लांट होने से फिर से वह खेल कूद सकता है. इसलिए सर्व समाज के लोग मेरी मदद के लिए आगे आएं.