दमोह. मध्य प्रदेश के दमोह जिले से चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. यहां के पथरिया ब्लॉक के लगभग 80 स्कूलों की बिजली काटने का मामला सामने आया है. गर्मी का मौसम है और ऐसी में यदि किसी को बिना बिजली के रहना पड़े तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दोपहर का समय कैसे कटता होगा? लेकिन भीषण गर्मी के बीच बिजली काटे जाने से स्कूली बच्चों के साथ शिक्षकों का भी बुरा हाल है.
इस वजह से काटी गई 80 स्कूलों की बिजली
जानकारी के मुताबिक बिजली बिल नहीं भरे जाने से बिजली विभाग ने इन 80 स्कूलों की एकसाथ बिजली काट दी है. इन स्कूलों पर तकरीबन 6.30 लाख रु का बिल बकाया था. इस मामले पर बिजली विभाग के कनिष्ठ अभियंता सुनील पांडे ने कहा, ' कई बार स्कूल वालों से बिल जमा करने के लिए निवेदन किया. बार-बार लाइनमैन स्कूल गए, बीईओ ऑफिस गए लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. न तो अधिकारियों ने यह कहा कि वह कब तक बिल जमा करेंगे और न ही बिल न जमा करने का कारण बताया. परेशान होकर हमने इन 80 स्कूलों की बिजली काट दी है. करीब 6.30 लाख रुपए का भुगतान बाकी है. अब यह कनेक्शन तभी चालू हो सकेंगे जब भुगतान हो जाएगा. क्योंकि हमारे ऊपर भी बड़े अधिकारियों का दबाव रहता है. हमें प्रतिदिन रिपोर्ट बतानी पड़ती है कि आखिर कितना कलेक्शन हुआ और कितना किस पर बकाया है.'
छात्रों-शिक्षकों का क्या कसूर?
पथरिया के विकासखंड शिक्षा अधिकारी आर के खरे ने इस मामले को लेकर कहा, ' हमारे बिल ट्रेजरी में पास होने के लिए लगे हुए हैं. लेकिन अभी तक उन बिलों का भुगतान नहीं हुआ है. जिसके कारण बिजली वालों ने स्कूलों की बिजली काट दी है. अब ऐसी में सभी परेशान हैं.' इसी बीच अभिभावकों का कहना है कि ये स्कूल और बिजली विभाग के बीच का मामला है इसमें उनके बच्चे और शिक्षकों का क्या कसूर जो वे गर्मी में परेशान हो रहो हैं?
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चुनाव में आ सकती है समस्या
बिजली विभाग द्वारा 80 स्कूलों की एकसाथ बिजली काटने से एक ओर जहां छात्र व शिक्षक परेशान हैं, तो वहीं दूसरी ओर यहां लोकसभा चुनावों में इससे बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है. दरअसल, दमोह लोकसभा क्षेत्र को फेज दो में शामिल किया गया है, जिससे यहां पर 26 अप्रैल को मतदान होना है. यदि 26 अप्रैल के पहले शिक्षा विभाग द्वारा बिलों का भुगतान नहीं हुआ तो बिना बिजली चुनाव कराना एक बड़ी मुसीबत बन सकता है. क्योंकि इन्हीं स्कूलों को पोलिंग बूथ बनाया गया है और पोलिंग पार्टियां और सुरक्षा टीम एक दिन पहले ही पोलिंग बूथ पर पहुंच जाती हैं और रात वहीं पर बिताती हैं.