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बुंदेलखंड में बीजेपी की सियासी खींचतान में दमोह भी शामिल, विधायक ने बताया जान का खतरा - DAMOH BJP INTERNAL POLITICS

बुंदेलखंड के सागर में आए दिन बीजेपी के दिग्गज नेताओं के बीच आपस में खींचतान की खबरें आ रही हैं.

DAMOH BJP INTERNAL POLITICS
दमोह में बीजेपी पार्टी में अंदरूनी कलह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 14, 2025, 11:20 AM IST

दमोह: भाजपा का गढ़ माने जाने वाले बुंदेलखंड को मानो किसी की नजर लग गई है. दरअसल यहां पार्टी की गुटबाजी और आपसी खींचतान सतह पर आ गई है. सागर में दिग्गज नेताओं के बीच खींचतान और आरोप प्रत्यारोप लग रहे थे अब ये दमोह जिले में भी दिखाई दे रहा है. यहां अनुसूचित जाति की 3 बार की विधायक उमादेवी खटीक ने पार्टी के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने पुलिस में शिकायत कर अपनी जान का खतरा बताया है. उन्होंने पार्टी और मुख्यमंत्री से भी शिकायत की है.

जनपद अध्यक्ष पद के उपचुनाव से जुड़ा है मामला

दरअसल पिछले हफ्ते हटा जनपद पंचायत अध्यक्ष पद का उपचुनाव हुआ था, क्योकिं हटा जनपद पंचायत के अध्यक्ष इंद्रपाल पटेल को 2018 के देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड में अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस आधार पर उन्हें पद से हटा दिया गया था. जनपद अध्यक्ष पद के उपचुनाव के दौरान सत्ताधारी दल भाजपा दो धड़ में बंटा नजर आया. एक तरफ हटा से भाजपा की लगातार 3 बार से विधायक उमादेवी खटीक थी तो दूसरी तरफ भाजपा से दमोह के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल थे.

बुंदेलखंड में बीजेपी की सियासी खींचतान में दमोह भी शामिल (ETV Bharat)

दोनों प्रत्याशियों को मिले थे 8-8 वोट

भाजपा विधायक उमादेवी खटीक ने अध्यक्ष पद के लिए शैलेष पटेल का समर्थन किया तो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने गंगाराम पटेल का समर्थन किया. दिन भर चली चुनाव प्रक्रिया में ऐसे कई मौके आए जब भाजपा के ही दोनों गुट एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे और एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते रहे. इस दौरान हटा विधायक उमादेवी खटीक के मुर्दाबाद के नारे लगे उधर उपचुनाव में हुई वोटिंग में दोनों प्रत्याशियों को 8-8 वोटें मिलने से मुकाबला बराबरी पर छूटा. ऐसे में पर्ची निकाली गई, तो गंगाराम पटेल को निर्वाचित घोषित किया गया, जो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के समर्थन से चुनाव लड़ रहे थे.

हार के बाद फूटा विधायक का गुस्सा

उपचुनाव में भाजपा विधायक समर्थक की हार के बाद विधायक नाराज हो गईं और उन्होंने अपनी ही पार्टी के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जो उनके खिलाफ थे और नारेबाजी कर रहे थे. इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस में भी की और उनके खिलाफ हुई नारेबाजी के वीडियो फुटेज इकट्ठा कर वो मुख्यमंत्री और पार्टी संगठन से शिकायत करने भोपाल पहुंची. विधायक उमादेवी खटीक का कहना है कि "वो क्षेत्र में भ्रमण पर रहती हैं, ऐसी स्थिति में उनकी जान को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि मैं आरक्षित वर्ग से आती हूं, मेरा जो उपचुनाव के दौरान अपमान हुआ है उससे मैं बहुत ज्यादा आहत हूं."

दोनों नेताओं में पुराना झगड़ा

दरअसल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल और विधायक उमादेवी खटीक के बीच झगड़ा कोई नई बात नहीं है. इसके पहले विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल, उमादेवी खटीक के खिलाफ बसपा प्रत्याशी के समर्थन में खड़े हो गए थे, हालांकि इसके बावजूद भी उमादेवी खटीक 55 हजार वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रही थीं. तभी से विधायक भी नाराज थीं और उन्होंने जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव में शैलेष पटेल का समर्थन किया.

दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि "उन्हें विधायक उमादेवी खटीक की ओर से एक आवेदन मिला है. इस संबंध में जांच की जा रही है. जनपद अध्यक्ष का उपचुनाव टाई हो गया था इस कारण दोनों पक्ष के लोग उतावले हो रहे थे इस कारण धक्कामुक्की हुई थी लेकिन उपचुनाव में वैधानिक क्षति नहीं हुई थी."

दमोह: भाजपा का गढ़ माने जाने वाले बुंदेलखंड को मानो किसी की नजर लग गई है. दरअसल यहां पार्टी की गुटबाजी और आपसी खींचतान सतह पर आ गई है. सागर में दिग्गज नेताओं के बीच खींचतान और आरोप प्रत्यारोप लग रहे थे अब ये दमोह जिले में भी दिखाई दे रहा है. यहां अनुसूचित जाति की 3 बार की विधायक उमादेवी खटीक ने पार्टी के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने पुलिस में शिकायत कर अपनी जान का खतरा बताया है. उन्होंने पार्टी और मुख्यमंत्री से भी शिकायत की है.

जनपद अध्यक्ष पद के उपचुनाव से जुड़ा है मामला

दरअसल पिछले हफ्ते हटा जनपद पंचायत अध्यक्ष पद का उपचुनाव हुआ था, क्योकिं हटा जनपद पंचायत के अध्यक्ष इंद्रपाल पटेल को 2018 के देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड में अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इस आधार पर उन्हें पद से हटा दिया गया था. जनपद अध्यक्ष पद के उपचुनाव के दौरान सत्ताधारी दल भाजपा दो धड़ में बंटा नजर आया. एक तरफ हटा से भाजपा की लगातार 3 बार से विधायक उमादेवी खटीक थी तो दूसरी तरफ भाजपा से दमोह के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल थे.

बुंदेलखंड में बीजेपी की सियासी खींचतान में दमोह भी शामिल (ETV Bharat)

दोनों प्रत्याशियों को मिले थे 8-8 वोट

भाजपा विधायक उमादेवी खटीक ने अध्यक्ष पद के लिए शैलेष पटेल का समर्थन किया तो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने गंगाराम पटेल का समर्थन किया. दिन भर चली चुनाव प्रक्रिया में ऐसे कई मौके आए जब भाजपा के ही दोनों गुट एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे और एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते रहे. इस दौरान हटा विधायक उमादेवी खटीक के मुर्दाबाद के नारे लगे उधर उपचुनाव में हुई वोटिंग में दोनों प्रत्याशियों को 8-8 वोटें मिलने से मुकाबला बराबरी पर छूटा. ऐसे में पर्ची निकाली गई, तो गंगाराम पटेल को निर्वाचित घोषित किया गया, जो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के समर्थन से चुनाव लड़ रहे थे.

हार के बाद फूटा विधायक का गुस्सा

उपचुनाव में भाजपा विधायक समर्थक की हार के बाद विधायक नाराज हो गईं और उन्होंने अपनी ही पार्टी के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जो उनके खिलाफ थे और नारेबाजी कर रहे थे. इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस में भी की और उनके खिलाफ हुई नारेबाजी के वीडियो फुटेज इकट्ठा कर वो मुख्यमंत्री और पार्टी संगठन से शिकायत करने भोपाल पहुंची. विधायक उमादेवी खटीक का कहना है कि "वो क्षेत्र में भ्रमण पर रहती हैं, ऐसी स्थिति में उनकी जान को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि मैं आरक्षित वर्ग से आती हूं, मेरा जो उपचुनाव के दौरान अपमान हुआ है उससे मैं बहुत ज्यादा आहत हूं."

दोनों नेताओं में पुराना झगड़ा

दरअसल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल और विधायक उमादेवी खटीक के बीच झगड़ा कोई नई बात नहीं है. इसके पहले विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल, उमादेवी खटीक के खिलाफ बसपा प्रत्याशी के समर्थन में खड़े हो गए थे, हालांकि इसके बावजूद भी उमादेवी खटीक 55 हजार वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रही थीं. तभी से विधायक भी नाराज थीं और उन्होंने जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव में शैलेष पटेल का समर्थन किया.

दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि "उन्हें विधायक उमादेवी खटीक की ओर से एक आवेदन मिला है. इस संबंध में जांच की जा रही है. जनपद अध्यक्ष का उपचुनाव टाई हो गया था इस कारण दोनों पक्ष के लोग उतावले हो रहे थे इस कारण धक्कामुक्की हुई थी लेकिन उपचुनाव में वैधानिक क्षति नहीं हुई थी."

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