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अंजान ने राजनीति में बनाई अलग पहचान, 20 साल की उम्र में बने थे स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष - CPI leader Atul Anjan passes away

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्तंभ रहे अतुल अंजान (CPI leader Atul Anjan Passes Away) का गुरुवार सुबह 3:20 बजे निधन हो गया. अतुल अंजान काफी दिनों से कैंसर का इलाज करा रहे थे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 11:44 AM IST

लखनऊ : वर्ष 1977 से राजनीति में कदम रखने वाले अतुल अंजान वामपंथी राजनीति के ऐसे चहरे थे जो उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में मशहूर थे. मंच पर जब वे भाषण देते थे तो लोग उनकी आवाज को सुनना बहुत पसंद करते थे, लेकिन आज वह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई. कैंसर से जंग लड़ रहे सीपीआई के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार अंजान दुनिया को अलविदा कह गए. गुरुवार सुबह 3:20 पर लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एक अस्पताल में उनका निधन हो गया.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का नाता देश के तमाम नेताओं को पहचान दे चुकी लखनऊ यूनिवर्सिटी से भी रहा. छात्र नेता के रूप में उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत लखनऊ विश्वविद्यालय से की थी. 1977 में सक्रिय राजनीति की दहलीज पर कदम रखा था. 20 साल की आयु में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष चुने गए. यहीं से पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद का भी चुनाव जीता. छात्रों के बीच इसलिए भी लोकप्रिय थे कि वह उनकी हर समस्या को मुखर तरीके से आवाज देते थे. अतुल कुमार अंजान की कई भाषाओं पर पकड़ काफी मजबूत थी.

वरिष्ठ वामपंथी नेता अतुल कुमार अंजान उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पुलिस पीएसी विद्रोह के मुख्य नेताओं में से एक थे. राजनीतिक यात्रा के दौरान अंजान ने अपने जीवन के लगभग पांच साल जेल में काटे. अंजान के पिता एपी सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियों में हिस्सा लिया था. इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश जेल में लंबी सजा काटी थी. अपने पिता के नक्शे कदम पर ही अतुल कुमार अंजान ने भी राजनीति में कभी समझौता नहीं किया.

अतुल कुमार रंजन घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कई बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रहे. पूर्वांचल में कम्युनिस्ट पार्टी को मजबूत करने का अतुल कुमार अंजान को जाता है. 1980 के दशक की शुरुआत तक उत्तर भारत में कम्युनिस्टों का गढ़ बना रहा, लेकिन 1990 के दशक के बाद वामपंथियों ने वहां से अपनी जमीन खोनी शुरू कर दी, लेकिन फिर भी सीपीआई ने घोसी सीट से अतुल कुमार अंजान को ही मैदान में उतारा था. अतुल कुमार अंजान के पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए हजरतगंज स्थित उनके आवास पर लाया गया है. सुबह 10 से 1:30 बजे तक कैसरबाग स्थित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय में कार्यकर्ता उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. यहीं से दोपहर दो बजे शव भैंसाकुंड में अंतिम संस्कार किया जाएगा.

यह भी पढ़ें : सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव कामरेड अतुल अंजान का निधन, कैंसर से पीड़ित थे, लखनऊ में चल रहा था इलाज - Atul Anjan Passed Away

यह भी पढ़ें : सीपीआई के नेता अतुल अंजान की हालात गंभीर, राष्ट्रीय सचिव ने लिया हालचाल

लखनऊ : वर्ष 1977 से राजनीति में कदम रखने वाले अतुल अंजान वामपंथी राजनीति के ऐसे चहरे थे जो उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में मशहूर थे. मंच पर जब वे भाषण देते थे तो लोग उनकी आवाज को सुनना बहुत पसंद करते थे, लेकिन आज वह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई. कैंसर से जंग लड़ रहे सीपीआई के वरिष्ठ नेता अतुल कुमार अंजान दुनिया को अलविदा कह गए. गुरुवार सुबह 3:20 पर लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एक अस्पताल में उनका निधन हो गया.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का नाता देश के तमाम नेताओं को पहचान दे चुकी लखनऊ यूनिवर्सिटी से भी रहा. छात्र नेता के रूप में उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत लखनऊ विश्वविद्यालय से की थी. 1977 में सक्रिय राजनीति की दहलीज पर कदम रखा था. 20 साल की आयु में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष चुने गए. यहीं से पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद का भी चुनाव जीता. छात्रों के बीच इसलिए भी लोकप्रिय थे कि वह उनकी हर समस्या को मुखर तरीके से आवाज देते थे. अतुल कुमार अंजान की कई भाषाओं पर पकड़ काफी मजबूत थी.

वरिष्ठ वामपंथी नेता अतुल कुमार अंजान उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पुलिस पीएसी विद्रोह के मुख्य नेताओं में से एक थे. राजनीतिक यात्रा के दौरान अंजान ने अपने जीवन के लगभग पांच साल जेल में काटे. अंजान के पिता एपी सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियों में हिस्सा लिया था. इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश जेल में लंबी सजा काटी थी. अपने पिता के नक्शे कदम पर ही अतुल कुमार अंजान ने भी राजनीति में कभी समझौता नहीं किया.

अतुल कुमार रंजन घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कई बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार रहे. पूर्वांचल में कम्युनिस्ट पार्टी को मजबूत करने का अतुल कुमार अंजान को जाता है. 1980 के दशक की शुरुआत तक उत्तर भारत में कम्युनिस्टों का गढ़ बना रहा, लेकिन 1990 के दशक के बाद वामपंथियों ने वहां से अपनी जमीन खोनी शुरू कर दी, लेकिन फिर भी सीपीआई ने घोसी सीट से अतुल कुमार अंजान को ही मैदान में उतारा था. अतुल कुमार अंजान के पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए हजरतगंज स्थित उनके आवास पर लाया गया है. सुबह 10 से 1:30 बजे तक कैसरबाग स्थित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय में कार्यकर्ता उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. यहीं से दोपहर दो बजे शव भैंसाकुंड में अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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