नई दिल्ली: 1997-98 में स्वीकृत और 2003 में शुरू हुए, दिल्ली में नए यमुना पुल का सभी को बेसब्री से इंतजार है. रेलवे के दिल्ली मंडल के मुख्य सामग्री प्रबंधक प्रेम शंकर झा का कहना है कि पुलिस का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है. बचा हुआ काम अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा. अक्टूबर के आखिरी सप्ताह तक नए पुल से ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो जाएगा. इससे पहले ट्रायल भी होगा. नए पुल से ट्रेनों के संचालन में आसानी होगी. अभी जो पुराना लोहे का पुल है उसकी मियाद पूरी हो गई है. ऐसे में इस पुल के ऊपर से ट्रेनें बहुत की धीमी रफ्तार से चलती हैं.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रोजाना 334 ट्रेनों का संचालन होता है. यहां से करीब 5 लाख यात्री रोजाना सफर करते हैं. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का दबाव ज्यादा रहता है. यमुना नदी पर बन रहे नए पुल से पुरानी दिल्ली से चलने वाली ट्रेनें गुजरेंगी. पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से ट्रेनों का संचालन आसान होगा. ऐसे में जरूरत पड़ने पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की कुछ ट्रेनें जो पूर्वांचल व बिहार को जाती हैं. उन्हें पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शिफ्ट किया जा सकता है. इससे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की संख्या कम होगी और ट्रेनों के बेहतर संचालन में आसानी होगी.
अंग्रेजों ने 3 साल में बना दिया था ऐतिहासिक पुल: 158 साल पहले अंग्रेजों ने यमुना नदी पर पहला लोहे का पुल दिल्ली और कोलकाता को जोड़ने के लिए महज तीन साल में बनाकर तैयार कर दिया था. इस पुल में इंग्लैंड से लोहा मंगवाकर लगाया था. इस ऐतिहासिक पुल पर नीचे दो और चार पहिया वाहन चलते हैं. ऊपर ट्रेन चलती है.
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2003 में शुरू हुआ नए पुल का निर्माण: यमुना नदी के ऊपर नया पुल बनाने की योजना को 1998 में स्वीकृति मिली थी. पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2003 में काम शुरू हुआ था. अभी तक काम चल रहा है. पुल निर्माण में देरी पर रेलवे अधिकारियों का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया समेत अन्य कई विभागों से निर्माण के लिए एनओसी लेनी थी, जिसकी वजह से करीब पांच साल तक काम लेट हो गया. बाद में निर्माण कार्य में भी कई बदलाव के कारण काम रुक गया था. वर्ष 2016 तक पुल निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. फिर इस लक्ष्य को बढ़ाकर 2018 और 2020 इसके बाद सितंबर 2023 कर दिया गया. अब अधिकारियों का कहना है कि अक्टूबर 2024 में पुल का निर्माण पूरा हो जाएगा और ट्रेनों का संचालन शुरू होग.
इसलिए यमुना नदी पर नए पुल की थी जरूरत: 158 साल पहले यमुना नदी के ऊपर अंग्रेजों द्वारा बनाया गया लोहे के पुल की ऊंचाई कम है. यमुना नदी में बाढ़ आने पर पुल तक पानी भर जाता है. यह ऐतिहासिक पुल अपनी मियाद पूरी कर चुका है. ट्रेनों को बहुत धीमी रफ्तार से पुल के ऊपर चलाया जाता है. इससे ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित होता है. समय के साथ ट्रेनों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में यमुना नदी के ऊपर पुरानी दिल्ली से पूर्वांचल की ओर जाने वाली ट्रेनों के संचालन के लिए नए पुल के निर्माण की आवश्यकता थी.
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