पटना: महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर शुरू से ही विवाद चला रहा है. कांग्रेस और वाम दल ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे. यही कारण था कि महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर सहमति बनने में देर हुई. काफी ज्यादा के बाद सीट का फॉर्मूला तय हुआ, जिसमें आरजेडी के खाते में 26 सीट, कांग्रेस के खाते में 9 और वामपंथी दलों के खाते में 5 सेट गई है. वहीं अब बदली हुई परिस्थिति में मुकेश साहनी की पार्टी भी महागठबंधन का हिस्सा बन गई है. आरजेडी ने अपने हिस्से की तीन सीट विकासशील इंसान पार्टी को दिया है.
कांग्रेस के हिस्से में 9 सीटें: महागठबंधन में सीट बंटवारे के फॉर्मूले के तहत कांग्रेस को 9 सीट मिली है. जिसमें किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर समस्तीपुर, पश्चिमी चंपारण, पटनासाहिब, सासाराम और महाराजगंज की सीट है. दूसरे चरण के चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है लेकिन कांग्रेस ने अब तक मात्र तीन लोकसभा क्षेत्र के लिए अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है. किशनगंज से सांसद मो जावेद, कटिहार से तारिक अनवर और भागलपुर से अजित शर्मा को टिकट मिला है. बाकी बची 6 सीटों पर अभी भी प्रत्याशी का नाम तय नहीं हो पाया है.
6 उम्मीदवारों के नाम तय नहीं: कांग्रेस 6 सीटों पर अभी तक यह नहीं तय कर पा रही है कि उनके कौन से उम्मीदवार एनडीए के प्रत्याशी को टक्कर दे सकते हैं. बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि चयन को लेकर अनेक प्रक्रिया होती है. प्रत्याशियों के नाम पर पहले स्क्रीनिंग कमेटी में चर्चा होती है, उसके बाद सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के पास उनका नाम भेजा जाता है. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि बाकी की 6 सीटों पर अभी तक ना तो स्क्रीनिंग हुई है और ना ही किसी का नाम सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के पास भेजा गया है.
बीजेपी के बागी पर नजर: कांग्रेस की नजर बीजेपी के बागी नेताओं पर है. मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद का बीजेपी ने टिकट काट दिया. ऐसे में नाराज अजय निषाद कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. अब चर्चा यह है कि अजय निषाद को कांग्रेस मुजफ्फरपुर से टिकट दे सकती है. वहीं सासाराम के सांसद छेदी पासवान का भी बीजेपी ने टिकट काट दिया है. छेदी पासवान के भी कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा हो रही है. यदि छेदी पासवान कांग्रेस में शामिल होते हैं तो वह भी सासाराम से कांग्रेस प्रत्याशी के दावेदार रहेंगे.
क्या कहते हैं जानकर?: वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की ऐसी स्थिति का मुख्य कारण है क्षेत्रीय दलों के भरोसे आगे की राजनीति करना. उत्तर प्रदेश में जब से मुलायम सिंह यादव के साथ बिहार में लालू प्रसाद के साथ मिलकर कांग्रेस आगे की राजनीति की, उसके बाद वहां कांग्रेस का जनाधार काम होता चला गया. बिहार के अनेक राज्यों में कांग्रेस धीरे-धीरे सिमटी चली गई.
कांग्रेस को उम्मीदवारों की तलाश: अरुण पांडे ने कहा कि 543 लोकसभा क्षेत्र में से अभी तक मात्र कांग्रेस 213 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया है, जो पार्टी 50% सीट पर भी अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पा रही है. उसका राजनीतिक भविष्य क्या है, वह दर्शाता है. बिहार की 40 सीट में से 2019 में 39 सीट एनडीए के खाते में गई थी. एकमात्र सीट महागठबंधन ने जीता था और वह भी कांग्रेस के खाते में गई थी.
"9 सीट कांग्रेस के खाते में गई है लेकिन दूसरे चरण के नामांकन के खत्म होने से 2 दिन पहले कांग्रेस अपने तीन प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की. बिहार कांग्रेस के नेताओं को अभी तक यह नहीं पता है कि बाकी बची 6 सीटों पर कौन चुनाव लड़ेगा. यानी मैदान ले लिए और पहलवान खोज रहे हैं. ऐसे लगता है कि कांग्रेस को 9 सीट तो मिल गई लेकिन कैंडिडेट नहीं मिल रहा है."- अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
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