भोपाल: विजयपुर की जीत से उत्साहित कांग्रेस अब बीना विधानसभा से विधायक निर्मला सप्रे को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है. कांग्रेस जल्द ही इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने जा रही है. उधर, कांग्रेस ने तय किया है कि 16 दिसंबर से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में निर्मला सप्रे को पार्टी अपने खेमे में नहीं बैठाएगी. कांग्रेस सत्र के पहले होने वाले विधायक दल की बैठक में भी निर्मला सप्रे को आमंत्रित नहीं करेगी. उधर, निर्मला सप्रे ने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात की है और इस मामले को लेकर अलग से सुनवाई करने की अपील की है. निर्मला सप्रे बुधवार को बीजेपी में हुई बैठक के दौरान बीजेपी पार्टी मुख्यालय भी पहुंची थीं.
सप्रे की सदस्यता को लेकर सस्पेंस जारी
निर्मला सप्रे ने बीना विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव जीता था. सागर जिले में निर्मला सप्रे कांग्रेस की अकेली विधायक हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान 5 मई को राहतगढ़ में हुई भाजपा की चुनावी सभा में वे मंच पर दिखाई दी थीं. मुख्यमंत्री ने उनके गले में बीजेपी का गमछा डालकर उनका स्वागत किया था. हालांकि, इसके बाद से अब तक निर्मला सप्रे ने न तो कांग्रेस से इस्तीफा दिया और न ही खुलकर बीजेपी में शामिल होने की बात कही.
सप्रे की सदस्याता खत्म करने विधानसभा सचिवालय में दिया था आवेदन
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उनकी सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा सचिवालय में आवेदन दिया था. उमंग सिंघार का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को इस पर फैसला लेना है, लेकिन इसे लगातार टाला जा रहा है. अब कांग्रेस इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जा रही है. कांग्रेस जल्द ही इसको लेकर कोर्ट में अपील प्रस्तुत करेगी.
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कांग्रेस अपने साथ नहीं बैठाएगी सप्रे को
उधर, कांग्रेस ने तय किया है कि दिसंबर माह में होने जा रहे विधानसभा सत्र में पार्टी विधायक सप्रे को अपने साथ नहीं बैठाएगी. इसके पहले कांग्रेस ने पिछले सत्र में रामनिवास रावत को भी अपने साथ न बैठाए जाने के लिए विधानसभा सचिवालय में आवेदन दिया था, हालांकि पिछले सत्र में शामिल होने रामनिवास रावत विधानसभा ही नहीं पहुंचे थे. उधर, जीतू पटवारी ने बीना विधानसभा में चुनाव कराने की सरकार को चुनौती दी है. जीतू ने कहा कि "मैं मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूं कि यदि वे इतने ही लोकप्रिय सीएम हैं तो बीना में चुनाव कराकर दिखाएं. अगर बहादुरी हो तो उनका इस्तीफा दिलवाएं. चुनाव हुआ तो हम वहां जीतेंगे."