पटना: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड में एक बार फिर गुटबाजी की चर्चा तेज हो गई है. पूर्व आईपीएस अधिकारी मनीष वर्मा जब बीआरएस लेकर जेडीयू में शामिल हुए थे, तब नीतीश कुमार ने उनको राष्ट्रीय महासचिव बनाया था. जिसके बाद चर्चा थी कि वह नीतीश के राजनीतिक उत्तराधिकारी बनेंगे. तामझाम के साथ ही उन्होंने बिहार में घूमना भी शुरू कर दिया था लेकिन उनके कार्यक्रम को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बीच में ही रोक दिया. राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक पार्टी का कोई दावेदार नहीं चाहेगा कि सीएम नीतीश के पैरेलल कोई अन्य खड़ा हो सके.
सीएम नीतीश के करीबी हैं मनीष: जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा नीतीश कुमार के नजदीकी माने जाते हैं. नालंदा से आने वाले मनीष भी नीतीश कुमार के जाति (कुर्मी) से ही आते हैं. इसलिए जब वह जेडीयू में शामिल हुए तो उनको लेकर कई तरह की चर्चा शुरू हो गई. चर्चा यह भी कि नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी मनीष वर्मा बन सकते हैं. हालांकि न तो नीतीश कुमार ने कभी इस बात की घोषणा की और न ही मनीष वर्मा ने यह बताने की कोशिश की लेकिन मनीष वर्मा जिस प्रकार से राष्ट्रीय महासचिव की कुर्सी संभालने के बाद पूरे बिहार में कार्यकर्ता समागम शुरू किया उससे कई तरह की चर्चा जरूर होने लगी.
27 सितंबर से मनीष वर्मा ने कार्यकर्ता समागम शुरू किया था. बिहार के कई जिलों में गए हैं और अभी डेढ़ महीने का कार्यक्रम उनका और चलना था. 20 नवंबर को नालंदा में कार्यक्रम का समापन करते लेकिन उससे पहले ही जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने उनके कार्यक्रम को स्थगित करने का लेटर निकाल दिया है. अब इसी को लेकर सियासत शुरू हो गई है.
जेडीयू में कई खेमा: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि यह राजनीतिक दांव है. जेडीयू में काफी बिखराव है. आलम ये है कि पार्टी में कई गुट काम कर रहा है. सभी का अपना प्रभाव है. नीतीश कुमार जब मनीष वर्मा को पार्टी में लॉन्च किया तो उसके बाद से ही कई तरह की चर्चा होने लगी है लेकिन उनका कार्यक्रम जिस प्रकार से स्थगित किया गया है, उससे साफ दिख रहा है कि पार्टी में दूसरा गुट ऐसा कुछ होने नहीं देना चाहता है.
"जिस तरह से मनीष वर्मा का कार्यक्रम रोका गया है, उससे साफ पता चलता है कि जदयू में कई गुट काम कर रहा है. जो खुद को नीतीश के उत्तराधिकारी के रूप में दिखते हैं, वह नहीं चाहेगा कि कोई दूसरा नेता नीतीश कुमार के बराबर खड़ा दिखे. यही वजह है कि पार्टी के अंदर जो गुट है, वह नहीं चाहता कि नीतीश कुमार के पैरलल कोई दूसरा खड़ा हो जिससे उनके सर्वाइवल में परेशानी हो."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ
जेडीयू नेता का गुटबाजी से इंकार: हालांकि जेडीयू नेता पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी से इनकार करते हैं. नीतीश कुमार के नजदीकी एमएलसी संजय गांधी का कहना है कि मनीष वर्मा का कार्यक्रम रोका नहीं गया है. उनके मुताबिक पार्टी में पहले से ही कार्यक्रम चल रहा है और एक टीम के मनीष वर्मा भी सदस्य हैं. एनडीए का भी अभियान शुरू होने वाला है और मुख्यमंत्री का भी महिला संवाद कार्यक्रम होगा तो इसीलिए यह फैसला लिया गया है.
"जदयू में कोई गुटबाजी नहीं है. जहां तक मनीष वर्मा जी के कार्यक्रम का सवाल है तो उसे रोका नहीं गया है. असल में पार्टी में पहले से ही कार्यक्रम चल रहा है और एक टीम के मनीष वर्मा भी सदस्य हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी महिला संवाद कार्यक्रम होगा. इसीलिए यह फैसला लिया गया है. हमारी पार्टी में कोई कंफ्यूजन नहीं है."- संजय गांधी, विधान पार्षद, जनता दल यूनाइटेड
जेडीयू में उत्तराधिकारी को लेकर जंग: वहीं, आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि जेडीयू के अंदर उत्तराधिकारी को लेकर घमासान चल रहा है. अब एक राष्ट्रीय महासचिव के कार्यक्रम को स्थगित करने का लेटर प्रदेश अध्यक्ष के स्तर से निकाला जाता है, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जेडीयू के अंदर क्या हो रहा है? उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर भी चुनौती देने की कोशिश हो रही है और यह सब कुछ बीजेपी की साजिश से हो रही है.
नीतीश के उत्तराधिकारी पर राजनीति: जेडीदयू में पहले भी उत्तराधिकारी को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाते रहे हैं. जब प्रशांत किशोर जेडीयू में शामिल हुए थे और नीतीश कुमार ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर दो नंबर की कुर्सी दी थी तो उस समय भी यह चर्चा हुई थी लेकिन बाद में प्रशांत किशोर को भी साइड लाइन कर दिया गया. उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी यह चर्चा खूब हुई कि उन्हें नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर कुर्सी मिलेगी लेकिन उन्हें भी मौका नहीं मिला.
मनीष वर्मा का क्या होगा?: वहीं आरसीपी सिंह जब जेडीयू में शामिल हुए तो उनके बारे में भी यह चर्चा खूब हुई. आरसीपी सिंह ने तो पार्टी की कमान भी संभाली थी लेकिन बाद में उन्हें भी साइड लाइन कर दिया गया. आरसीपी सिंह भी आईपीएस अधिकारी रहे हैं, वे भी बीआरएस लेकर जेडीयू में शामिल हुये थे. अब मनीष वर्मा के कार्यक्रम को जिस तरह से रोका गया है, इसको लेकर भी चर्चा शुरू हो गई कि उत्तराधिकारी की लड़ाई के कारण ही ऐसा किया गया है. अब देखना होगा कि मनीष वर्मा के साथ आगे क्या-क्या होता है?
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