लाहौल स्पीति: कांग्रेस के गढ़ रहे लाहौल-स्पीति विस क्षेत्र में इस बार भाजपा को सीट निकालने की आस है. कांग्रेस के इस दुर्ग को भेदने के लिए भाजपा ने इस बार कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायक रवि ठाकुर पर दांव खेला है. भाजपा ने इस बार होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के पूर्व प्रत्याशी डॉ. रामलाल मार्कंडेय को दरकिनार कर पूर्व में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़कर जीत हासिल करने वाले पूर्व विधायक रवि ठाकुर पर दांव खेला है.
भाजपा ने रवि ठाकुर पर लगाया दांव: भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव में लाहौल स्पीति से जहां रवि ठाकुर को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस पार्टी में टिकट की दावेदारी के लिए एक लंबी पांत खड़ी हो गई है. ऐसे में कांग्रेस के लिए यहां उम्मीदवार का चयन करना और रवि ठाकुर के जाने के बाद अब इसका डैमेज कंट्रोल करना सबसे बड़ी चुनौती होगा. अब देखना है कि कांग्रेस और भाजपा किस तरह से इन चुनौतियों को पार कर पाती है और कांग्रेस के दुर्ग को भाजपा भेदने में सफल रहेगी या फिर जीत कांग्रेस की होती है.
रामलाल मार्कंडेय ने बीजेपी को दिखाएं तेवर: ऐसे में रामलाल मार्कंडेय ने बगावत करते हुए निर्दलीय या फिर कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. वही, अब वह कांग्रेस नेताओं से लगातार संपर्क करने में जुटे हुए हैं. हालांकि, यह अभी भविष्य के गर्भ में हैं कि मार्कंडेय कांग्रेस का हाथ थामते हैं या फिर भाजपा को ओर से उन्हें भी मनाने की कोशिशें होती हैं, लेकिन यह साफ है कि मार्कंडेय अपने राजनीतिक विरोधी के साथ आगे नहीं चलेंगे. ऐसे में भाजपा के लिए लाहौल-स्पीति में टिकट निकालना बहुत बड़ी चुनौती है.
कांग्रेस ने बार-बार लहराया जीत का परचम: गौर रहे कि 1967 से बने इस विस क्षेत्र में जहां शुरुआत में एक बार देवी सिंह ठाकुर ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. वहीं, 1972 में रवि ठाकुर की माता स्व. लता ठाकुर कांग्रेस की विधायक बनी थी. वहीं, उसके बाद 1977 और उसके बाद 1982, 1985 तक लगातार तीन बार देवी सिंह ठाकुर कांग्रेस के टिकट पर यहां काबिज रहीं. 1990 और फिर 1993 में दो बार कांग्रेस के फुंचोंग राय और 1998 में रामलाल मार्कंडेय ने हिविका से टिकट लेकर जीत हासिल की थी. साल 2003 में रघुवीर सिंह ठाकुर कांग्रेस से जीत हासिल की थी.
2007 में पहली बार इस सीट पर खिला 'कमल': साल 2007 में पहली बार जनजातीय जिला में डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने पहली बार भाजपा का फूल यहां पर खिलाया था. साल 2012 में रवि ठाकुर कांग्रेस से विधायक बने. साल 2017 में रामलाल मार्कंडेय फिर से जबकि साल 2022 में रवि ठाकुर कांग्रेस से टिकट लेने के बाद विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. लेकिन वर्तमान में उन्हें सदस्यता खोनी पड़ी. हालात ऐसे पैदा हुए कि उन्हें भगवा का दामन थामना पड़ा और अब रवि यहां से भाजपा के प्रत्याशी हैं, लेकिन कांग्रेस के इस गढ़ रवि ठाकुर की फूल खिलाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है. लिहाजा, इस बार लाहौल-स्पीति विस क्षेत्र में राजनीति समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं.
लाहौल-स्पीति में कांग्रेस का रहा दबदबा: साल 1972 से लेकर अब तक लाहौल-स्पीति विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के विधायक ज्यादा बार जीते है. इस सीट को कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट कहा जाए तो इसमें कोई संशय नहीं होगा. तब से लेकर अब तक सिर्फ दो बार ही भाजपा के विधायक बने है. जिसमें राम लाल मार्कंडेय ऐसे नेता रहे हैं, जिन्हें इस सीट में कांग्रेस के इस दुर्ग को भेदकर इस सीट को वर्ष 2007 में पहली बार भाजपा की झोली में डाला था. उसके बाद 2017 में एक बार फिर मार्कंडेय इस सीट को कांग्रेस से छीनकर भाजपा की डोली में डाल दिया था. हालांकि, रामलाल लाहौल-स्पीति से तीन बार विधायक बने हैं. जिसमें वे पहली बार 1998 में पंडित सुखराम की राजनीतिक पार्टी हिविका से चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज करवाई थी. जबकि दो बार भाजपा के विधायक बने.
रवि ठाकुर ने रामलाल मार्कंडेय को दी थी शिकस्त: साल 2022 के विधानसभा चुनाव में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रवि ठाकुर ने पूर्व विधायक डॉ. रामलाल मार्कंडेय की 1616 मतों से हराकर जीत दर्ज की थी. पूर्व में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रवि ठाकुर को 9948, जबकि बीजेपी से रामलाल मार्कंडेय को 8332 और आप पार्टी के सुदर्शन जसपा को 454 मत पड़े थे. रवि ठाकुर 1972 में लाहौल-स्पीति की विधायक रही लता ठाकुर के पुत्र है. रवि ठाकुर वर्ष 2012 में पहली बार लाहौल-स्पीति विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के विधायक बने और उसके बाद वर्ष 2017 में वह भाजपा के रामलाल से चुनाव हार गए. उसके बाद 2022 के आम चुनावों में वह भाजपा के रामलाल मार्कंडेय को हराकर जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे.
कांग्रेस में उम्मीदवार को लेकर मंथन जारी: जिला लाहौल स्पीति कांग्रेस के अध्यक्ष ग्यालसन ठाकुर ने बताया कि अब कांग्रेस पार्टी भी यहां से अपना उम्मीदवार उपचुनावों के लिए खड़ा करेगी और सभी कार्यकर्ताओं ने भी कांग्रेस हाईकमान से मांग रखी है कि वह किसी दूसरी पार्टी से आए व्यक्ति को टिकट न दे. जबकि जो व्यक्ति कांग्रेस संगठन से लंबे समय से जुड़ा हुआ है, उसे ही विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया जाना चाहिए.
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