आगरा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सोमवार को आगरा में राष्ट्रवीर, त्याग, बलिदान और स्वामिभक्त दुर्गादास राठौड की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. इसके लिए सीएम योगी करीब सुबह 11 बजे हेलीकॉप्टर से खेरिया हवाई अड्डे आएंगे. जहां से सुबह 11:15 बजे पश्चिमी गेट स्थित मेट्रो स्टेशन पहुंचेंगे. सीएम योगी मेट्रो स्टेशन के सामने ही पुरानी मंडी चौराहा पर राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. इसके साथ ही सीएम वहां पर एक जनसभा भी संबोधित करेंगे. सीएम योगी के आगमन का कार्यक्रम मिलते ही पुलिस और प्रशासन तैयारी कर ली है.
15 फीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा
पुरानी मंडी चौराहा पर सीएम योगी स्थापति घोड़े पर सवार दुर्गादास राठौड की 15 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे. ये राठौर साहू विकास समिति की ओर से लगवाई गई है. जो ग्वालियर के कारीगरों ने तैयार की. प्रतिमा को करीब 10 वर्ष पहले स्थापित हुई थी. कुछ कार्य अधूरे थे. जो अब पूर्ण हुए हैं. राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण और जनसभा संबोधित करने के बाद सीएम योगी सोमवार दोपहर करीब 12.10 बजे खेरिया एयरपोर्ट पहुंचेंगे. जहां से राजकीय वायुयान से लखनऊ के लिए रवाना होंगे.
आइए जानते हैं कि मारवाड़ में जोधपुर राजवंश में जन्में राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड की वीरता, देश भक्ति और स्वामिभक्ति की पूरी कहानी, जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं. इसलिए, तो भारत सरकार ने उनके नाम पर डाक टिकट और सिक्के भी जारी किए है.
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मारवाड़ के जोधपुर राजवंश के अंश आसकरण राठौड के यहां पर गांव सलवां में वीर शिरोमणि दुर्गादास राठौड का जन्म 13 अगस्त 1638 में हुआ था. आसकरण राठौड जोधपुर के महाराज जसवंत सिंह के दरवार और सेना में थे. पिता की तरह ही बालक दुर्गादास में भी वीरता के कूट-कूट कर भरी थी.
एक बार ऊंटों का एक झुंड आकरन के खेत में घुस गया. युवा वीर दुर्गादास ने चरवाहों से कहा, मगर, उन्होंने बालक दुर्गादास की बात पर ध्यान नहीं दिया. इस पर वीर युवा दुर्गादास ने तलवार से ही पल में ऊंट की गर्दन उड़ा दी. जिससे मामला जोधपुर महाराज जसवंत सिंह तक पहुंचा. उन्होंने सैनिकों को दुर्गादास को दरबार में लाने का हुक्म दिया. दरबार में वीर दुर्गादास की निडरता एवं निर्भीकता देखकर महाराजा अचंभित हो गए. महाराज ने दुर्गादास की पीठ थपथपाई. उन्हें इनाम बतौर तलवार भेंट करके पहले अपनी सेना में भर्ती किया. इसके बाद आपना खास अंगरक्षक और सेनानायक बना लिया.
महाराज जसवंत सिंह ने लिया था ये वचन
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि मुगलिया सल्तनत के बादशाह औरंगजेब के महाराज जसवन्त सिंह प्रधान सेनापति थे. मगर, औरंगजेब की नीयत जोधपुर राज्य पर थी. ऐसे में एक साजिश के तहत औरंगजेब ने महाराज जसवंत सिंह को काबुल में पठानों के विद्रोह को दबाने के लिए अफगानिस्तान भेज दिया. महाराज जसवंत सिंह 28 नवंबर 1678 को वीरगति को प्राप्त हुए. इससे पहले वीर दुर्गादास राठौड से महाराज जसवंत ने अपनी पत्नी के होने वाली सन्तान की रक्षा और मारवाड़ का राजा बनाने का वचन लिया.
25 साल तक औरंगजेब से अजीत सिंह को छिपा कर रखा
राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि वीर दुर्गादास ने महाराज जसवंत सिंह की गर्भवती रानी जसकंवर जादमनजी और रानी यश कंवरजी अपने साथ लिया. वैसे दोनों ही गर्भवती रानी ने महाराज जसवंत सिंह के साथ सती होने की इच्छा जताई. इस पर वीर दुर्गादास राठौड ने उन्हें ऐसा करने से रोका. इसके बाद दोनों रानी ने एक-एक पुत्र को जन्म दिया. रानी जसकंवर जादमनजी की कोख से जन्मे पुत्र जन्म की जल्द ही परलोक सिधार गए. ऐसे में दूसरे पुत्र अजीत सिंह को बादशाह औरंगजेब ने मुस्लिम बनाने की साजिश रची. जिसे वीर दुर्गादास राठौड ने भांप लिया और योजनाबद्ध तरीके से अजीत सिंह को दिल्ली से निकालकर जोधपुर ले आए. जहां पर वीर दुर्गादास राठौड ने अजीत सिंह की गोपनीय तरीके से पूर्ण पालन-पोषण की समुचित व्यवस्था की.
औरंगजेब का लालच भी नहीं डिगा पाया स्वामिभक्ति
राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि दुर्गादास राठौड ने करीब 25 से अधिक साल तक शिशु राजा अजीत सिंह को जंगलों में छिपा कर रखा. इस दौरान औरंगजेब के तमाम षड्यंत्रों के खिलाफ लोहा लिया. लड़ाईयां भी लड़ीं. औरंगजेब ने अपने बल और अपार धन का लालच भी वीर दुर्गादास राठौड को दिया, जो उनकी स्वामिभक्ति को डिगा पाया.
वीरता के बल पर सन् 1708 में अजीत सिंह को जोधपुर की गद्दी पर बिठाया. ऐसा करके वीर दुर्गादास राठौड ने महाराज जसवन्त सिंह को दिया गया वचन पूरा किया. मगर, जोधपुर का राजा बनते ही अजीत सिंह ने वीर दुर्गादास राठौड के साथ अच्छा नहीं किया. जीवन के अन्तिम दिनों में अजीत सिंह ने वीर दुर्गादास राठौड को मारवाड़ छोड़ने का आदेश दिया. इसलिए, वीर दुर्गादास राठौड उज्जैन चले गये. जहां पर क्षिप्रा नदी के किनारे 22 नवम्बर सन् 1718 ने क्षिप्रा नदी के तट पर अंतिम सांस ली.
केंद्र सरकार ने जारी किए सिक्के
वीर शिरोमणि राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड आने वाली पीढ़ियों के लिए वीरता, देशप्रेम, बलिदान, त्याग व स्वामिभक्ति के प्रेरणास्रोत हैं. आदर्श हैं. भारत सरकार ने राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड के सम्मान में 16 अगस्त 1988 को 60 पैसे का टिकट जारी किया. इसके साथ ही 25 अगस्त 2003 को सरकार ने विभिन्न धनराशि के राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड के चित्र उकरे सिक्के जारी किए, जो अभी भी सार्वजनिक और चाल-चलन में प्रचलित हैं.
स्मार्ट सिटी के कार्यों की समीक्षा
वहीं, केंद्रीय आवास एवं शहरी नियोजन राज्यमंत्री तौखन साहू सोमवार को आगरा आएंगे. जो दुर्गादास राठौड की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में शामिल होंगे. दोपहर 12.15 बजे से सर्किट हाउस में आगरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कार्यों की समीक्षा करेंगे. जिसमें 283 करोड़ रुपये से बना एकीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, 125 करोड़ रुपये की सीवर लाइन और 250 करोड़ रुपये से जीवनी मंडी वाटरवर्क्स से ताजगंज तक बिछी पानी की लाइन, 105 करोड़ रुपये से फतेहाबाद रोड का सुंदरीकरण प्रमुख रूप से शामिल हैं.
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