गोरखपुर: विजयादशमी के पर्व पर गुरु गोरखनाथ मंदिर से निकलने वाली विशाल शोभा यात्रा के शुरुआत के क्रम में, गोरक्षपीठाधीश्वर और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीनाथजी के पूजा पाठ का क्रम प्रारंभ कर दिया है. इसके साथ ही वह विशेष वेशभूषा में भी नजर आ रहे हैं. उनके साथ साधु संतों की टोली भी मौजूद है. जिसके साथ वह आज के दिवस की विभिन्न पूजा पद्धतियों को आगे बढ़ते हुए शाम 4:00 बजे, विजयादशमी के पावन पर्व पर, रथ पर सवार होकर मानसरोवर मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे. जहां के रामलीला मैदान में पिछले कई दशकों से आयोजित होती चली आ रही है. रामलीला के मंच पर, वह भगवान श्री राम का राज्याभिषेक और तिलक करने के साथ लोगों को संबोधित करने का कार्य करेंगे.
गोरखनाथ मंदिर से विजयादशमी के दिन इस प्रकार के जुलूस निकलने और भगवान राम के राज्यभिषेक करने का इतिहास कई दशक पुराना है. यही वजह है कि जो भी पीठाधीश्वर होते हैं वह इस परंपरा को निभाते हैं और यही वजह है, कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस परंपरा को लगातार निभाते चले आ रहे हैं. इस शोभायात्रा में अस्त्र-शस्त्र के प्रदर्शन के साथ ढोल, नगाड़े, तुरही, डमरू सबका अद्भुत प्रदर्शन भी किया जाता है. अल्पसंख्यक समाज के लोग भी इस रथ यात्रा का स्वागत पुष्प बरसाकर करते हैं.
गोरखपुर के उत्सवी परंपरा का खास आकर्षण है विजयादशमी शोभायात्रा: दशहरे के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर से निकलने वाली विजयादशमी शोभायात्रा गोरखपुर के उत्सवी परंपरा का खास आकर्षण है. इस शोभायात्रा में सामाजिक समरसता की एक बड़ी नजीर देखने को मिलती है. इस शोभायात्रा में हर वर्ग के लोग तो शामिल होते ही हैं, इसका अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम व बुनकर समाज) के लोगों द्वारा भव्य स्वागत भी किया जाता है.
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तीन पीढ़ियों से विजयादशमी शोभायात्रा का स्वागत करने वाले उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के निवर्तमान चेयरमैन चौधरी कैफुलवरा बताते हैं कि, दशहरे के दिन गोरखनाथ मंदिर की विजयादशमी शोभायात्रा का इंतजार तो पूरे शहर को होता है. लेकिन, सबसे अधिक उत्साह अल्पसंख्यक समुदाय के उन लोगों में दिखता है. कैफुलवरा कहते हैं, कि मंदिर के मुख्य द्वार से थोड़ी दूर पर हम लोग घंटों पहले फूलमाला लेकर गोरक्षपीठाधीश्वर के स्वागत को खड़े रहते हैं. इस बार भी शोभायात्रा का भव्य स्वागत करने की तैयारी की जा रही है. वास्तव में गोरक्षपीठाधीश्वर का काफिला जब अल्पसंख्यक समुदाय की तरफ से होने वाले स्वागत के लिए जब रुकता है, तो सामाजिक समरसता की तस्वीर विहंगम होती है.
धूमधाम से निकलेगी गोरक्षपीठाधीश्वर की विजयादशमी शोभायात्रा: गोरक्षपीठ की परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी विजयादशमी के दिन शनिवार सायंकाल गोरखनाथ मंदिर से गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाएगी. पीठाधीश्वर गुरु गोरक्षनाथ का आशीर्वाद लेकर अपने वाहन में सवार होंगे. तुरही, नगाड़े व बैंड बाजे की धुन के बीच गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा मानसरोवर मंदिर पहुंचेगी. यहां पहुंचकर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ से जुड़े मानसरोवर मंदिर पर देवाधिदेव महादेव की पूजा अर्चना करेंगे.
इसके बाद उनकी शोभायात्रा मानसरोवर रामलीला मैदान पहुंचेगी. यहां चल रही रामलीला में वह प्रभु श्रीराम का राजतिलक करेंगे. इसके साथ ही प्रभु श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण और हनुमानजी का पूजन कर आरती भी उतारी जाएगी. यही नहीं विजयादशमी के दिन गोरखनाथ मंदिर में होने वाले पारंपरिक तिलकोत्सव कार्यक्रम में गोरक्षपीठाधीश्वर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी देंगे. विजयादशमी के दिन शाम को गोरखनाथ मंदिर में परंपरागत भोज का भी आयोजन होगा. जिसमें अमीर-गरीब और जाति-मजहब के विभेद से परे बड़ी संख्या में सर्वसमाज के लोग शामिल होते हैं.
लगेगी संतों की अदालत, दंडाधिकारी की भूमिका में होंगे गोरक्षपीठाधीश्वर: गोरक्षपीठ में विजयादशमी का दिन एक और मायने में भी खास होता है. इस दिन यहां संतों की अदालत लगती है और गोरक्षपीठाधीश्वर दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं. नाथपंथ की परंपरा के अनुसार हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर द्वारा संतों के विवादों का निस्तारण किया जाता है. मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं.
इसी पद पर वह दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं. गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी को पात्र पूजा का कार्यक्रम होता है. इसमें गोरक्षपीठाधीश्वर संतो के आपसी विवाद सुलझाते हैं. विवादों के निस्तारण से पूर्व संतगण पात्र देव के रूप में योगी आदित्यनाथ का पूजन करते हैं. पात्र देवता के सामने सुनवाई में कोई भी झूठ नहीं बोलता है. पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन के लिए भी जाना जाता है.
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