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सीएम योगी बोले, बचपन को भटकने न दें; ये भटकाव भविष्य के रास्ते को कर देगा धूमिल - CM YOGI ADITYANATH

Gorakhpur News: सीएम योगी आदित्यनाथ और नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यक्रम को संबोधित किया

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महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यक्रम के मंच पर सीएम योगी और नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 10, 2024, 2:24 PM IST

Updated : Dec 10, 2024, 10:57 PM IST

गोरखपुर: मुख्यमंत्री महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक समारोह के समापन अवसर पर मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस देश का बचपन भटक गया समझो उस देश का भविष्य भी भटक गया. बच्चों का सर्वांगीण विकास सशक्त राष्ट्र की परिभाषा में आता है. इसलिए इनके साथ कोई अत्याचार और आदर नहीं होना चाहिए जब उनकी परवरिश अच्छी होगी तो उनकी खेल कूद पढ़ाई लिखाई सभी प्रतिभाओं का प्रदर्शन बेहतर दिखाई देगा.

इसलिय कठिन से कठिन चुनौती का सामना हम सामूहिक प्रयास से कर सकते हैं. तकनीक मानव के लिए है, मानव तकनीक के लिए नहीं है. हम तकनीक के अनुसार संचालित न हों, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. कालचक्र किसी का इंतजार नहीं करता. हमें समय के अनुरूप चलने की आदत डालनी पड़ेगी. समय अनुरूप सोचने की ताकत अपने अंदर विकसित करनी पड़ेगी.

समय के अनुरूप समाज के प्रत्येक वर्ग को अपने साथ जोड़कर टीम भावना के साथ परिणाम पर फोकस करते हुए अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ना पड़ेगा. जब भी एक सामूहिक ताकत होगी तो उसके परिणाम भी अच्छे आते दिखाई देंगे. जैसे विभिन्न प्रकार की खेल प्रतियोगिताओं में परिणाम अच्छे आते हैं.

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी शामिल हुए. उनके सम्मान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज के ही दिन उन्हें नोबल पुरस्कार मिला था और आज एमपी शिक्षा परिषद उनका अभिनंदन कर रही है. कैलाश सत्यार्थी का जीवन, जीवन के तमाम क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा है. खासकर युवाओं के लिए जो असमंजस की स्थिति में रहता है.

जीवन में व्यक्ति जब आधी अधूरी तैयारी के साथ चलता है, बिना किसी मिशन के आगे बढ़ता है तो कन्फ्यूजन की स्थिति प्राप्त होती है. लेकिन, युवाओं के लिए खासतौर पर जिनके मन में कोई कंफ्यूजन है, उनके लिए कैलाश सत्यार्थी का जीवन एक अनुपम उदाहरण है, जो इंजीनियरिंग के छात्र होकर सरकारी नौकरी कर सकते थे लेकिन, उन्होंने अलग रास्ता चुना और समाज सेवा के क्षेत्र में वह भी खास कर बचपन बचाओ, बच्चों को सुरक्षित और शिक्षित बनाओ के अभियान को मजबूती दी.

आज उसके बल पर उनकी ख्याति पूरी दुनिया में स्थापित है. यह युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह केवल डिग्री हासिल करके नौकरी प्राप्त करने के ही बारे में न सोचें. दुनिया एक विराट क्षेत्र है. पूरी ईमानदारी निष्ठा के साथ व्यक्ति अगर प्रयास करेगा तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी. कैलाश सत्यार्थी ने अपने जीवन के माध्यम से यह साबित करके दिखाया है.

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हम करुणा का भूमंडलीकरण करेंगे. मैंने बहुत ध्यान देकर इस विषय को समझा है कि करुणा ही सबसे अलग क्यों है? करुणा एक सामान्य मानवीय गुण नहीं है. यह वह शक्ति है जो हमारी चेतना और बुद्धि का विकास करती है. लेकिन, प्रज्ञा तक जाने के लिए जिस चेतन की जरूरत है, वह करुणा का विषय है.

जब आप दूसरे की तकलीफ को अपनी तकलीफ की तरह महसूस करते हैं तो वही करुणा है और वही सत्य है. इसके समाधान के लिए हमें पूरे सामर्थ्य के साथ जुट जाना ही करुणा है. बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, कुपोषण से मुक्त करने और उन्हें बाल मजदूरी, वेश्यावृत्ति के दलदल से बाहर निकालने के अपने दर्द को इस दौरान कैलाश सत्यार्थी ने मंच से खुलकर साझा किया.

साथ ही यह भी कहा कि आज दुनिया के कई देश युद्ध लड़ रहे हैं, जबकि 25 करोड़ से अधिक बच्चे ऐसे हैं जिन्हें स्कूलों में होना चाहिए लेकिन वह अर्थाभाव में स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. अगर एक दिन के लिए युद्ध लड़ने वाले देश अपने खर्चे काम कर दें तो इन बच्चों की पढ़ाई हो सकती है. एक सप्ताह तक अगर युद्ध पर होने वाले खर्च को समाज सेवा में लगा दिया जाए तो संपूर्ण विश्व में महिलाओं के स्वास्थ्य की समस्या का समाधान हो सकता है.

इसीलिए हमने कहा कि भारत करुणा का देश है और हम अपने करुणा का भूमंडलीकरण करके पूरी दुनिया को इसके भाव से जोड़ना चाहते हैं. इंजीनियरिंग का छात्र होने के बाद जब वह समाज सेवा से जुड़े तो बच्चों पर ही काम करना शुरू किया और एक लाख 30 हजार बच्चों को अब तक भारत में छुड़ाया है.

सीएम योगी ने किया रैन बसेरों का निरीक्षण, बांटे कंबल

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को शहर की रैन बसेरों का निरीक्षण किया. इस दौरान वहां आश्रय लिए हुए लोगों को सीएम ने कंबल और भोजन का पैकेट भी वितरित किया. मुख्यमंत्री ने इस दौरान वहां मौजूद बच्चों को चॉकलेट भी दिए और उनके साथ फोटो खिंचवाई. इसके साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देशित किया कि शहर के अंदर तीन और नए बसेरे का निर्माण किया जाए. जिससे सुदूर इलकों से आने वाले लोगों को ठंड के समय ठहरने में कोई समस्या ना आने पाए. उन्होंने कहा है कि हर जरूरतमंद को सम्मानजनक आश्रय देने के लिए डबल इंजन की सरकार प्रतिबद्ध है. इसके लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिए गए हैं, तो शहर में किसी कार्य से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए निशुल्क रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है.

ये भी पढ़ेंः फतेहपुर की 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद पर चला बुलडोजर; अतिक्रमण की जद में था धार्मिक स्थल

गोरखपुर: मुख्यमंत्री महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक समारोह के समापन अवसर पर मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस देश का बचपन भटक गया समझो उस देश का भविष्य भी भटक गया. बच्चों का सर्वांगीण विकास सशक्त राष्ट्र की परिभाषा में आता है. इसलिए इनके साथ कोई अत्याचार और आदर नहीं होना चाहिए जब उनकी परवरिश अच्छी होगी तो उनकी खेल कूद पढ़ाई लिखाई सभी प्रतिभाओं का प्रदर्शन बेहतर दिखाई देगा.

इसलिय कठिन से कठिन चुनौती का सामना हम सामूहिक प्रयास से कर सकते हैं. तकनीक मानव के लिए है, मानव तकनीक के लिए नहीं है. हम तकनीक के अनुसार संचालित न हों, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. कालचक्र किसी का इंतजार नहीं करता. हमें समय के अनुरूप चलने की आदत डालनी पड़ेगी. समय अनुरूप सोचने की ताकत अपने अंदर विकसित करनी पड़ेगी.

समय के अनुरूप समाज के प्रत्येक वर्ग को अपने साथ जोड़कर टीम भावना के साथ परिणाम पर फोकस करते हुए अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ना पड़ेगा. जब भी एक सामूहिक ताकत होगी तो उसके परिणाम भी अच्छे आते दिखाई देंगे. जैसे विभिन्न प्रकार की खेल प्रतियोगिताओं में परिणाम अच्छे आते हैं.

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी शामिल हुए. उनके सम्मान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज के ही दिन उन्हें नोबल पुरस्कार मिला था और आज एमपी शिक्षा परिषद उनका अभिनंदन कर रही है. कैलाश सत्यार्थी का जीवन, जीवन के तमाम क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा है. खासकर युवाओं के लिए जो असमंजस की स्थिति में रहता है.

जीवन में व्यक्ति जब आधी अधूरी तैयारी के साथ चलता है, बिना किसी मिशन के आगे बढ़ता है तो कन्फ्यूजन की स्थिति प्राप्त होती है. लेकिन, युवाओं के लिए खासतौर पर जिनके मन में कोई कंफ्यूजन है, उनके लिए कैलाश सत्यार्थी का जीवन एक अनुपम उदाहरण है, जो इंजीनियरिंग के छात्र होकर सरकारी नौकरी कर सकते थे लेकिन, उन्होंने अलग रास्ता चुना और समाज सेवा के क्षेत्र में वह भी खास कर बचपन बचाओ, बच्चों को सुरक्षित और शिक्षित बनाओ के अभियान को मजबूती दी.

आज उसके बल पर उनकी ख्याति पूरी दुनिया में स्थापित है. यह युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह केवल डिग्री हासिल करके नौकरी प्राप्त करने के ही बारे में न सोचें. दुनिया एक विराट क्षेत्र है. पूरी ईमानदारी निष्ठा के साथ व्यक्ति अगर प्रयास करेगा तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी. कैलाश सत्यार्थी ने अपने जीवन के माध्यम से यह साबित करके दिखाया है.

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हम करुणा का भूमंडलीकरण करेंगे. मैंने बहुत ध्यान देकर इस विषय को समझा है कि करुणा ही सबसे अलग क्यों है? करुणा एक सामान्य मानवीय गुण नहीं है. यह वह शक्ति है जो हमारी चेतना और बुद्धि का विकास करती है. लेकिन, प्रज्ञा तक जाने के लिए जिस चेतन की जरूरत है, वह करुणा का विषय है.

जब आप दूसरे की तकलीफ को अपनी तकलीफ की तरह महसूस करते हैं तो वही करुणा है और वही सत्य है. इसके समाधान के लिए हमें पूरे सामर्थ्य के साथ जुट जाना ही करुणा है. बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, कुपोषण से मुक्त करने और उन्हें बाल मजदूरी, वेश्यावृत्ति के दलदल से बाहर निकालने के अपने दर्द को इस दौरान कैलाश सत्यार्थी ने मंच से खुलकर साझा किया.

साथ ही यह भी कहा कि आज दुनिया के कई देश युद्ध लड़ रहे हैं, जबकि 25 करोड़ से अधिक बच्चे ऐसे हैं जिन्हें स्कूलों में होना चाहिए लेकिन वह अर्थाभाव में स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. अगर एक दिन के लिए युद्ध लड़ने वाले देश अपने खर्चे काम कर दें तो इन बच्चों की पढ़ाई हो सकती है. एक सप्ताह तक अगर युद्ध पर होने वाले खर्च को समाज सेवा में लगा दिया जाए तो संपूर्ण विश्व में महिलाओं के स्वास्थ्य की समस्या का समाधान हो सकता है.

इसीलिए हमने कहा कि भारत करुणा का देश है और हम अपने करुणा का भूमंडलीकरण करके पूरी दुनिया को इसके भाव से जोड़ना चाहते हैं. इंजीनियरिंग का छात्र होने के बाद जब वह समाज सेवा से जुड़े तो बच्चों पर ही काम करना शुरू किया और एक लाख 30 हजार बच्चों को अब तक भारत में छुड़ाया है.

सीएम योगी ने किया रैन बसेरों का निरीक्षण, बांटे कंबल

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को शहर की रैन बसेरों का निरीक्षण किया. इस दौरान वहां आश्रय लिए हुए लोगों को सीएम ने कंबल और भोजन का पैकेट भी वितरित किया. मुख्यमंत्री ने इस दौरान वहां मौजूद बच्चों को चॉकलेट भी दिए और उनके साथ फोटो खिंचवाई. इसके साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देशित किया कि शहर के अंदर तीन और नए बसेरे का निर्माण किया जाए. जिससे सुदूर इलकों से आने वाले लोगों को ठंड के समय ठहरने में कोई समस्या ना आने पाए. उन्होंने कहा है कि हर जरूरतमंद को सम्मानजनक आश्रय देने के लिए डबल इंजन की सरकार प्रतिबद्ध है. इसके लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिए गए हैं, तो शहर में किसी कार्य से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए निशुल्क रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है.

ये भी पढ़ेंः फतेहपुर की 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद पर चला बुलडोजर; अतिक्रमण की जद में था धार्मिक स्थल

Last Updated : Dec 10, 2024, 10:57 PM IST
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