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सीएम विष्णुदेव साय ने शिवरीनारायण में किए नारायण के दर्शन, श्रीराम का शिवरीनारायण से भी नाता

CM Vishnudev Sai छत्तीसगढ़ के गुप्त प्रयाग शिवरीनारायण में प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय और प्रभारी ओम माथुर रामलला प्राण प्रतिष्ठा के विशेष कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. Darshan Of Narayan In Shivrinarayan

Darshan Of Narayan In Shivrinarayan
सीएम विष्णुदेव साय ने शिवरीनारायण में किए नारायण के दर्शन
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 22, 2024, 2:13 PM IST

Updated : Jan 22, 2024, 2:19 PM IST

जांजगीर चांपा : छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले से भगवान राम का बहुत करीब से नाता है. यहां प्रभु श्रीराम ने वनवास का अधिक समय बिताया है.मान्यता है यहां प्रभु श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे. यहां एक पेड़ ऐसा है जिसके पत्तों की आकृति दोने के सामान है, माता शबरी ने इसी दोने में राम लक्ष्मण को बेर रख कर खिलाए थे, इस वट वृक्ष का वर्णन सभी युगों में मिलने के कारण इसे अक्षय वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है।

गुप्त प्रयाग का रहस्य : जांजगीर-चांपा जिले की धार्मिक नगरी शिवरीनारायण को गुप्त प्रयाग कहा जाता है. यहां तीन नदी, महानदी, शिवनाथ और जोक नदी कर त्रिवेणी संगम है. शिवरीनारायण का नाम माता शबरी और नारायण के अटूट स्नेह के कारण पड़ा. भक्त का नाम नारायण के आगे रखा गया.बड़े मंदिर यानी नर नारायण मंदिर के पुजारी प्रसन्नजीत तिवारी ने बताया कि शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के नाम से जाना जाता है.

'' इसी स्थान पर प्राचीन समय में भगवान जगन्नाथ स्वामी का मूल स्थान शिवरीनारायण रहा.आज भी साल में एक दिन माघी पूर्णिमा में भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण आते हैं, यहां मंदिर में रोहिणी कुण्ड है जिसका जल कभी कम नहीं होता, भगवान नर नारायण के चरण कुंड में जल हमेशा अभिषेक करता है.''- प्रसन्नजीत तिवारी,पुजारी

प्रभु श्रीराम का ननिहाल है शिवरीनारायण : शिवरीनारायण मठ मंदिर के पुजारी त्यागी महाराज ने बताया कि छत्तीसगढ़ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का ननिहाल और उनकी कर्मभूमि भी है. 14 वर्षों के कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में ही बिताया. माता कौशल्या की जन्मभूमि के कारण छत्तीसगढ़ में श्रीराम को भांजे के रूप में पूजा जाता है.

''यही वो पावनभूमि है जहां भक्त और भगवान का मिलन हुआ था. भगवान राम ने शबरी की तपस्या से प्रसन्न होकर न केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि उनकी भक्ति और भाव को देखकर जूठे बेर भी खाए.आज भी शबरी और राम के मिलन का ये पवित्र स्थान आस्था का केंद्र बना हुआ है.''-त्यागी महाराज,शिवरीनारायण मठ

शिवरीनारायण में भी अयोध्या जैसी ही तैयारी : अयोध्या में प्रभु राम मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद शिवरीनारायण में भी प्रभु के प्राण प्रतिष्ठा के इस दिन को खास बनाया गया है. सभी मंदिर को दूधिया रोशनी और झालर दीपों से सजाया गया है. प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन भजन कीर्तन और भंडारा प्रसाद वितरण करने की तैयारी की गई है. कुल मिलाकर धार्मिक नगरी शिवरीनारायण भी राममय हो गया है.

जांजगीर चांपा : छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले से भगवान राम का बहुत करीब से नाता है. यहां प्रभु श्रीराम ने वनवास का अधिक समय बिताया है.मान्यता है यहां प्रभु श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे. यहां एक पेड़ ऐसा है जिसके पत्तों की आकृति दोने के सामान है, माता शबरी ने इसी दोने में राम लक्ष्मण को बेर रख कर खिलाए थे, इस वट वृक्ष का वर्णन सभी युगों में मिलने के कारण इसे अक्षय वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है।

गुप्त प्रयाग का रहस्य : जांजगीर-चांपा जिले की धार्मिक नगरी शिवरीनारायण को गुप्त प्रयाग कहा जाता है. यहां तीन नदी, महानदी, शिवनाथ और जोक नदी कर त्रिवेणी संगम है. शिवरीनारायण का नाम माता शबरी और नारायण के अटूट स्नेह के कारण पड़ा. भक्त का नाम नारायण के आगे रखा गया.बड़े मंदिर यानी नर नारायण मंदिर के पुजारी प्रसन्नजीत तिवारी ने बताया कि शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के नाम से जाना जाता है.

'' इसी स्थान पर प्राचीन समय में भगवान जगन्नाथ स्वामी का मूल स्थान शिवरीनारायण रहा.आज भी साल में एक दिन माघी पूर्णिमा में भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण आते हैं, यहां मंदिर में रोहिणी कुण्ड है जिसका जल कभी कम नहीं होता, भगवान नर नारायण के चरण कुंड में जल हमेशा अभिषेक करता है.''- प्रसन्नजीत तिवारी,पुजारी

प्रभु श्रीराम का ननिहाल है शिवरीनारायण : शिवरीनारायण मठ मंदिर के पुजारी त्यागी महाराज ने बताया कि छत्तीसगढ़ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का ननिहाल और उनकी कर्मभूमि भी है. 14 वर्षों के कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में ही बिताया. माता कौशल्या की जन्मभूमि के कारण छत्तीसगढ़ में श्रीराम को भांजे के रूप में पूजा जाता है.

''यही वो पावनभूमि है जहां भक्त और भगवान का मिलन हुआ था. भगवान राम ने शबरी की तपस्या से प्रसन्न होकर न केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि उनकी भक्ति और भाव को देखकर जूठे बेर भी खाए.आज भी शबरी और राम के मिलन का ये पवित्र स्थान आस्था का केंद्र बना हुआ है.''-त्यागी महाराज,शिवरीनारायण मठ

शिवरीनारायण में भी अयोध्या जैसी ही तैयारी : अयोध्या में प्रभु राम मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद शिवरीनारायण में भी प्रभु के प्राण प्रतिष्ठा के इस दिन को खास बनाया गया है. सभी मंदिर को दूधिया रोशनी और झालर दीपों से सजाया गया है. प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन भजन कीर्तन और भंडारा प्रसाद वितरण करने की तैयारी की गई है. कुल मिलाकर धार्मिक नगरी शिवरीनारायण भी राममय हो गया है.

Last Updated : Jan 22, 2024, 2:19 PM IST
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