शिमला: सियासी संकट और आपाधापी के बीच हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू तीन दिन के दौरे पर हैदराबाद के बाद तिरुपति जाएंगे. वे तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करेंगे. आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में ईश्वर दर्शन से सीएम सुक्खू नई ऊर्जा जुटाकर हिमाचल आएंगे. पहली अप्रैल को सीएम हिमाचल में होंगे. उसके बाद हिमाचल में कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करेंगे. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू आज यानी शुक्रवार को हैदराबाद में ही प्रवास करेंगे. तेलंगाना में कांग्रेस सरकार है और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को जैड प्लस का सुरक्षा घेरा मिला हुआ है.
शनिवार को तिरुपति बालाजी के दर्शन करेंगे सीएम
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू गुरुवार को चंडीगढ़ से हैदराबाद के लिए रवाना हुए. उनका गुरुवार व शुक्रवार को हैदराबाद में ही प्रवास का कार्यक्रम है. इस दौरान वे कांग्रेस के कुछ नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. इसके बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू शनिवार 30 मार्च को हैदराबाद से तिरुपति बालाजी रवाना होंगे. वे पूर्वाह्न 11.25 बजे इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से हवाई मार्ग के जरिए तिरुपति पहुंचेंगे. हैदराबाद से तिरुपति का एक घंटे का हवाई सफर है. वहां पहुंचने के बाद सीएम मंदिर में बालाजी के दर्शन करने के लिए जाएंगे. उनका रात्रि विश्राम तिरुपति में ही होगा.
1 अप्रैल को लौटेंगे सीएम
उसके बाद सीएम पहली अप्रैल को हिमाचल लौटेंगे. हिमाचल में इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की साख दांव पर है. छह नेताओं के कांग्रेस से बगावत करने के बाद भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को झटका लगा है. उपचुनाव में अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सियासी कौशल की परीक्षा होगी. अकेले हमीरपुर जिले से आशीष शर्मा, राजेंद्र राणा व आईडी लखनपाल ने कांग्रेस को छोड़कर पार्टी को झटका दिया है. हमीरपुर सीएम का गृह जिला है. ऐसे में सीएम सुक्खू को दोहरा राजनीतिक झटका लगा है.
कांग्रेस वर्सेस भाजपा
अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर तीनों सीटों सहित बाकी छह सीटों पर भी कांग्रेस को विजयी बनाने की जिम्मेदारी आई है. इस समय कांग्रेस के पास 34 का संख्या बल है. भाजपा के पास 25 विधायक हैं. तीन निर्दलीय विधायकों के त्यागपत्र के बावजूद स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. ऐसे में देखना है कि उपचुनाव छह सीटों पर होते हैं या नौ पर. खैर, उपचुनाव कितनी भी सीटों पर हों, लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को सरकार बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.