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उत्तराखंड में डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम का शुभारंभ, चारधाम समेत पर्यटक स्थल होंगे प्लास्टिक कूड़ा मुक्त - Digital Deposit Refund System

Digital Deposit Refund System चारधाम समेत पर्यटन स्थलों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त बनाने के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम की शुरुआत की गई है. सीएम ने खुद प्लास्टिक की बोतल को बार कोड से स्कैन कर डिजिटल पेमेंट लिया.

Digital Deposit Refund System
उत्तराखंड में डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम का शुभारंभ (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 28, 2024, 5:21 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. इससे एक तरफ राज्य की आर्थिकी पर बड़ा असर पड़ता है. दूसरी चारधाम समेत अन्य पर्यटक स्थलों में प्लास्टिक वेस्ट भी अत्यधिक फैलता है. जिसको देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम (DDRS) शुरू करने जा रहा है. जिसका बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम ने खुद प्लास्टिक की बोतल को बार कोड से स्कैन कर डिजिटल पेमेंट लिया.

वहीं, सीएम धामी ने कहा कि दो साल पहले डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में रुद्रप्रयाग जिले में शुरू किया गया था. जिसके चलते रुद्रप्रयाग जिले को डिजिटल इंडिया अवॉर्ड- 2022 से भी सम्मानित किया गया था. पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के साथ ही प्लास्टिक को रिसाइकल कर अन्य इस्तेमाल में लाने के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए समन्वय बनाकर काम करें.

प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखना जिम्मेदारी: सीएम ने कहा कि इस पहल से चारधाम समेत अन्य पर्यटन स्थलों में कूड़े की खपत कम होने के साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में काफी मदद मिलेगी. वर्तमान समय में प्लास्टिक की समस्या पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. साथ ही धार्मिक और पर्यटन स्थलों से निकल रही प्लास्टिक कूड़ा एक बड़ी समस्या बनी हुई है. जिसको देखते हुए सरकार कदम उठा रही है. प्रदेश के भीतर स्वच्छता का वातावरण बनाकर क्लीन उत्तराखंड, ग्रीन उत्तराखंड पर सरकार फोकस कर रही है. प्रदेश में मौजूद प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखना सबकी जिम्मेदारी है.

सीएम ने कहा कि नदियां, जंगल, पहाड़ राज्य की सबसे बड़ी धरोहर और पहचान है. लेकिन प्लास्टिक कूड़ा इन धरोहरों को खतरे में डाल रहा है. जिसको देखते हुए सरकार विज्ञान और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही है.

ऐसे मिलेगा पैसा वापस: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम के जरिए पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे को एकत्र करना आसान हो जाएगा. दरअसल, डीडीआरएस के तहत प्लास्टिक बोतल और प्लास्टिक पदार्थों का उत्पादन करने वाली कंपनियां प्लास्टिक की वस्तुओं पर 'क्यूआर कोड सिस्टम' आधारित बनाई जाएगी. जिससे लोग प्लास्टिक में पैक खाद्य पदार्थों का उपयोग कर प्लास्टिक कूड़े को नजदीकी डीडीआरएस सेंटर में वापस कर तय धनराशि प्राप्त कर सकेंगे.

ये भी पढ़ेंः प्लास्टिक कचरा निस्तारण के लिए रुद्रप्रयाग को मिलेगा डिजिटल इंडिया अवॉर्ड, राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित

देहरादूनः उत्तराखंड में हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. इससे एक तरफ राज्य की आर्थिकी पर बड़ा असर पड़ता है. दूसरी चारधाम समेत अन्य पर्यटक स्थलों में प्लास्टिक वेस्ट भी अत्यधिक फैलता है. जिसको देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम (DDRS) शुरू करने जा रहा है. जिसका बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम ने खुद प्लास्टिक की बोतल को बार कोड से स्कैन कर डिजिटल पेमेंट लिया.

वहीं, सीएम धामी ने कहा कि दो साल पहले डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में रुद्रप्रयाग जिले में शुरू किया गया था. जिसके चलते रुद्रप्रयाग जिले को डिजिटल इंडिया अवॉर्ड- 2022 से भी सम्मानित किया गया था. पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के साथ ही प्लास्टिक को रिसाइकल कर अन्य इस्तेमाल में लाने के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए समन्वय बनाकर काम करें.

प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखना जिम्मेदारी: सीएम ने कहा कि इस पहल से चारधाम समेत अन्य पर्यटन स्थलों में कूड़े की खपत कम होने के साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में काफी मदद मिलेगी. वर्तमान समय में प्लास्टिक की समस्या पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. साथ ही धार्मिक और पर्यटन स्थलों से निकल रही प्लास्टिक कूड़ा एक बड़ी समस्या बनी हुई है. जिसको देखते हुए सरकार कदम उठा रही है. प्रदेश के भीतर स्वच्छता का वातावरण बनाकर क्लीन उत्तराखंड, ग्रीन उत्तराखंड पर सरकार फोकस कर रही है. प्रदेश में मौजूद प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखना सबकी जिम्मेदारी है.

सीएम ने कहा कि नदियां, जंगल, पहाड़ राज्य की सबसे बड़ी धरोहर और पहचान है. लेकिन प्लास्टिक कूड़ा इन धरोहरों को खतरे में डाल रहा है. जिसको देखते हुए सरकार विज्ञान और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही है.

ऐसे मिलेगा पैसा वापस: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम के जरिए पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे को एकत्र करना आसान हो जाएगा. दरअसल, डीडीआरएस के तहत प्लास्टिक बोतल और प्लास्टिक पदार्थों का उत्पादन करने वाली कंपनियां प्लास्टिक की वस्तुओं पर 'क्यूआर कोड सिस्टम' आधारित बनाई जाएगी. जिससे लोग प्लास्टिक में पैक खाद्य पदार्थों का उपयोग कर प्लास्टिक कूड़े को नजदीकी डीडीआरएस सेंटर में वापस कर तय धनराशि प्राप्त कर सकेंगे.

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