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गोपालगंज में तालाब की खुदाई के दौरान मिली अष्टधातु का असली दावेदार कौन, 1 मार्च को सीजेएम कोर्ट में होगा फैसला - गोपालगंज सीजेएम कोर्ट

Ashtadhatu Found In Gopalganj: गोपालगंज के सीजेएम कोर्ट में अष्टधातु की मूर्ति की दावेदारी का मामला आया है. जिसको लेकर सीजेएम ने आदेश दिया है कि मूर्ति की दावेदारी करने वाले विपिन बिहारी 1 मार्च को पर्याप्त साक्ष्य लेकर कोर्ट आएं.

Ashtadhatu Found In Gopalganj
गोपालगंज में तालाब की खुदाई के दौरान मिली अष्टधातु का असली दावेदार कौन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 28, 2024, 7:43 PM IST

गोपालगंज: गोपालगंज जिले के हथुआ थाना क्षेत्र के वरीरायभान स्थित तालाब की खुदाई से 13 जून 2023 को अष्टधातु की मूर्ति बरामद की गई थी. जिसे पुलिस ने बरामद कर थाना के मालखाना में सुरक्षित रख दिया था. जिसके बाद वरीरायभान निवासी विपिन बिहारी ने उसे अपने मंदिर से चुराई गई राधाकृष्ण की मूर्ति होने का दावा किया था.

सीजेएम कोर्ट में आया मामला: इस संबंध में मंगलवार को अष्टधातु की मूर्ति की दावेदारी का मामला गोपालगंज के सीजेएम मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट में आया. जहां सीजेएम ने आदेश दिया कि मूर्ति की दावेदारी करने वाले विपिन बिहारी श्रीवास्तव 1 मार्च को पर्याप्त साक्ष्य लेकर कोर्ट आएं.

साक्ष्य देकर करें मूर्ति की पहचान: इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस को भी आदेश दिया है कि उक्त मूर्ति की तस्वीर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाए, ताकि इसके अन्य संभावित दावेदार भी सामने आए और 1 मार्च को कोर्ट में आकर साक्ष्य देते हुए मूर्ति की पहचान करें. बता दें कि उसी दिन यह भी फैसला होगा कि मूर्ति भगवान राम की है या श्रीकृष्ण की.

हथुआ थाने में दर्ज की गई थी प्राथमिकी: गौरतलब हो कि वरीरायभान गांव में 1925 में स्थापित श्री राधाकृष्ण गोपीनाथ मंदिर से 13 फरवरी 2018 को अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी. मूर्ति राधाकृष्ण की थी. जिसको लेकर विपिन बिहारी श्रीवास्तव ने हथुआ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. हालांकि 20 फरवरी 2024 को हथुआ के थानाध्यक्ष ने जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें उन्होंने राधाकृष्ण की मूर्ति नहीं बल्कि रामजानकी मंदिर में स्थापित श्रीराम की मूर्ति होने का उल्लेख किया.

1 मार्च को होगी सुनवाई: पुलिस ने मूर्ति तो श्रीराम की बताई पर उसे विपिन बिहारी श्रीवास्तव के पक्ष में मुक्त करने की अनुशंसा की. लेकिन तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय ने इसे सूत्रहीन बताते हुए 23 नवंबर 2018 को केस क्लोज कर दिया था. इसके बाद यह मामला अब सीजेएम कोर्ट में चला गया है, जिसको लेकर 1 मार्च को इसपर सुनवाई होगी.

साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं विपिन: बता दें ति विपिन बिहारी ने अब तक कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, इसलिए उन्हें अपने पूर्वजों की कोई पुरानी तस्वीर या कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा गया है, जिससे यह साबित हो सके कि उक्त मूर्ति वही है, जो उनके मंदिर में स्थापित थी.

इसे भी पढ़े- Patna Crime News: बिहार में 'भगवान' भी सुरक्षित नहीं, ठाकुरबाड़ी में करोड़ की अष्टधातु की मूर्तियां चोरी

गोपालगंज: गोपालगंज जिले के हथुआ थाना क्षेत्र के वरीरायभान स्थित तालाब की खुदाई से 13 जून 2023 को अष्टधातु की मूर्ति बरामद की गई थी. जिसे पुलिस ने बरामद कर थाना के मालखाना में सुरक्षित रख दिया था. जिसके बाद वरीरायभान निवासी विपिन बिहारी ने उसे अपने मंदिर से चुराई गई राधाकृष्ण की मूर्ति होने का दावा किया था.

सीजेएम कोर्ट में आया मामला: इस संबंध में मंगलवार को अष्टधातु की मूर्ति की दावेदारी का मामला गोपालगंज के सीजेएम मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट में आया. जहां सीजेएम ने आदेश दिया कि मूर्ति की दावेदारी करने वाले विपिन बिहारी श्रीवास्तव 1 मार्च को पर्याप्त साक्ष्य लेकर कोर्ट आएं.

साक्ष्य देकर करें मूर्ति की पहचान: इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस को भी आदेश दिया है कि उक्त मूर्ति की तस्वीर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाए, ताकि इसके अन्य संभावित दावेदार भी सामने आए और 1 मार्च को कोर्ट में आकर साक्ष्य देते हुए मूर्ति की पहचान करें. बता दें कि उसी दिन यह भी फैसला होगा कि मूर्ति भगवान राम की है या श्रीकृष्ण की.

हथुआ थाने में दर्ज की गई थी प्राथमिकी: गौरतलब हो कि वरीरायभान गांव में 1925 में स्थापित श्री राधाकृष्ण गोपीनाथ मंदिर से 13 फरवरी 2018 को अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी. मूर्ति राधाकृष्ण की थी. जिसको लेकर विपिन बिहारी श्रीवास्तव ने हथुआ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. हालांकि 20 फरवरी 2024 को हथुआ के थानाध्यक्ष ने जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें उन्होंने राधाकृष्ण की मूर्ति नहीं बल्कि रामजानकी मंदिर में स्थापित श्रीराम की मूर्ति होने का उल्लेख किया.

1 मार्च को होगी सुनवाई: पुलिस ने मूर्ति तो श्रीराम की बताई पर उसे विपिन बिहारी श्रीवास्तव के पक्ष में मुक्त करने की अनुशंसा की. लेकिन तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय ने इसे सूत्रहीन बताते हुए 23 नवंबर 2018 को केस क्लोज कर दिया था. इसके बाद यह मामला अब सीजेएम कोर्ट में चला गया है, जिसको लेकर 1 मार्च को इसपर सुनवाई होगी.

साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं विपिन: बता दें ति विपिन बिहारी ने अब तक कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, इसलिए उन्हें अपने पूर्वजों की कोई पुरानी तस्वीर या कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा गया है, जिससे यह साबित हो सके कि उक्त मूर्ति वही है, जो उनके मंदिर में स्थापित थी.

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