उदयपुर: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत का जो स्वप्न देखा है, वह महिलाओं और बच्चों के समेकित विकास के बिना संभव नहीं है. इसलिए सभी की जिम्मेदारी है कि वे महिला एवं बाल विकास के उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साझा प्रयास करें. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित राष्ट्रीय चिन्तन शिविर के अंतिम दिन रविवार को केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर जो योजनाएं है उसको लेकर राज्यों के सुझाव और चुनौतियां सामने आई है और उस पर काम किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि चिन्तन शिविर में की गई चर्चा के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी तथा मंत्रालय उसी के अनुरूप आगामी कार्ययोजना तय करेगा. निश्चित रूप से विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए आधी आबादी अपनी पूरी भूमिका निभाने के लिए सक्षम होगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में महिला एवं बाल विकास विभाग को लेकर जो योजनाएं हैं, उसको लेकर राज्यों के सुझाव और चुनौतियां सामने आई हैं और उस पर काम किया जाएगा. देश में कामकाजी महिलाओं के लिए कई योजनाएं सरकार लेकर आई है. उन्होंने कहा कि देश के कई बड़े शहरों में कामकाजी महिलाएं ज्यादा हैं, उनके लिए हमारी सरकार काम कर रही है ताकि महिलाओं को काम करने में कोई समस्या नहीं हो. इसके लिए केंद्र सरकार 11 हजार 200 करोड़ रुपए की योजनाएं स्वीकृत कर चुकी है.
मंत्री ने दिया संदेश: उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर में राज्यों ने एक-दूसरे के नवाचारों को समझा और उन पर चर्चा की. जो चुनौतियां सामने आई, उसको लेकर समाधान निकाला गया. केंद्रीय मंत्री ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर भामाशाहों के सहयोग के विषय में कहा कि यह अच्छा प्रयास है और इसके लिए लोगों को आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी आंगनबाड़ी केंद्र को यदि किसी स्थानीय व्यक्ति द्वारा गोद लिया जाता है, तो यह एक अच्छी पहल होगी.
राजस्थान की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ मंजू बाघमर ने उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में सत्र को सम्बोधित करते हुए सुझाव दिया कि 6 वर्षों से आंगनबाड़ी कार्यकताओं का केंद्र सरकार की ओर से मानदेय में बढ़ोतरी की जानी अपेक्षित है. उन्होंने भारत सरकार के महिला बाल विकास मंत्रालय से आग्रह किया कि केंद्र अपने मानदेय के अंश में बढ़ोतरी करें. राज्य मंत्री ने कहा कि राजस्थान एक सीमान्त राज्य है. लगभग पांच जिले अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित हैं जिसमें जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, बिखरी आबादी वाले क्षेत्र हैं. जिसकी वजह से यहां के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि ऐसे क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त प्रावधान किया जाना चाहिए, जिससे इन क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केन्द्रों तक बच्चों की पहुंच को आसान बनाया जा सके.
डॉ मंजू बाघमार ने कहा कि आजकल ADHD के केसों में इजाफा हो रहा है. ऐसे में विशेष जरूरतों (Special Needs) वाले बच्चों की पहचान करने का सिस्टम भी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर विकसित किया जाना चाहिए. साथ ही विशेष जरूरतों (Special Needs) वाले बच्चों की सुविधाओं और पाठ्यक्रम तैयार करने का कार्य भी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर किया जाना चाहिए.
राज्य मंत्री ने कहा कि किराए की आंगनबाड़ियों की समस्या शहरी क्षेत्रों में ज्यादा है क्योंकि निर्धारित किराये पर भवन मिलना मुश्किल होता है. अगर भवन मिलते भी हैं, तो वे भवन छोटे होते हैं जिसमें संचालन में परेशानी आती है. इनके लिए केन्द्र सरकार को मिशन मोड में राज्यों को ज्यादा फंड देते हुए एक समयबद्ध कार्यक्रम के तहत सरकारी भवनों में शिफ्ट करने का काम हाथ में लेना चाहिए. आंगनबाड़ी भवनों के मरम्मत के लिए वर्तमान में राशि को बढ़ाया जाए.