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इस साल भी आफत बनकर बरसा मानसून, 174 लोगों की मौत, 31 अभी भी लापता, 1613 करोड़ का नुकसान

Himachal Monsoon Disaster 2024: मानसून सीजन में लैंडस्लाइड की 46, बादल फटने की 12 और बाढ़ जैसी 39 घटनाएं. केंद्र सरकार से मदद का आग्रह.

Himachal Monsoon Disaster 2024
हिमाचल में मानसून से नुकसान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

शिमला: हिमाचल को मानसून सीजन में इस साल भी करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है. प्रदेश को इस साल लैंडस्लाइड की 46, बादल फटने की 12 और बाढ़ जैसी 39 घटनाओं का सामना करना पड़ा है. जिससे प्रदेश को 1613 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है. ये जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा ने शिमला में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) के साथ एक डीब्रीफिंग बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी. ये टीम मानसून के दौरान प्रदेश में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची थी.

केंद्र को सौंपा नुकसान का ज्ञापन

मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा ने कहा, "राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान पर केंद्र सरकार को एक व्यापक ज्ञापन सौंपा है. जिसमें बताया गया है कि प्रदेश में अनुमानित नुकसान लगभग 1,613.50 करोड़ रुपए का हुआ है. मानसून सीजन में राज्य को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इस दौरान लैंडस्लाइड, बादल फटने और बाढ़ से सड़कें, सिंचाई योजनाएं और आवासीय क्षेत्र व्यापक स्तर पर प्रभावित हुए हैं. राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में लैंडस्लाइड की 46, बादल फटने की 12 और 39 बाढ़ जैसी घटनाओं का सामना किया, जिससे जान-माल को बहुत नुकसान हुआ."

आपदा में सैकड़ों लोगों की मौत, 31 लापता

ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि मानसून सीजन में 174 लोगों की जान गई है. वहीं, 144 लोगों ने बारिश के कारण अपनी जान गंवाई है. इसके अलावा करीब 206 लोग घायल हुए हैं. 31 लोग लापता हुए हैं और 222 पशुधन हताहत हुए हैं. इस दौरान 1405 घरों और पशु आश्रय भी क्षतिग्रस्त हुए हैं. प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की बहाली के लिए अनुमानित 621.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

जल शक्ति विभाग को 540.88 करोड़ का नुकसान

मुख्य सचिव ने कहा कि इस दौरान जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे को भी नुकसान हुआ. 5505 जल आपूर्ति योजनाएं, 1213 सिंचाई परियोजनाएं, 99 मल निकासी परियोजनाएं, 69 बाढ़ सुरक्षा कार्य और 57 हैंडपंप क्षतिग्रस्त हुए हैं. जिससे प्रदेश को 540.88 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का आग्रह किया गया है. भौगोलिक स्थलाकृति के कारण राज्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है. आपदा-ग्रस्त क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, डॉपलर रडार और आपातकालीन कर्मियों को तैनात करने के हर संभव प्रयासों के बावजूद प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता की जरूरत है.

राहत मैनुअल में सुधार का आग्रह

ओंकार चंद शर्मा ने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों की आवश्यकताओं के दृष्टिगत राहत मैनुअल में सुधार करने का आग्रह किया है, ताकि प्रभावित लोगों को समय पर राहत पहुंचाने और पुनर्निर्माण में सहायता मिल सके. वहीं, आपदा प्रबंधन निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों के मौके पर मूल्यांकन के लिए आईएमसीटी का आभार व्यक्त किया. उन्होंने टीम को प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी दी और राज्य की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए उदार केंद्रीय सहायता का आग्रह किया.

ये भी पढ़ें: सीएम सुक्खू के समर्थन में उतरी प्रतिभा सिंह, पहाड़ी राज्यों के लिए अलग मापदंड तय करने की मांग

ये भी पढ़ें: केंद्रीय दल ने मंडी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा, मानसून सीजन में हुआ ₹213 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

ये भी पढ़ें: प्रशासन के जुगाड़ ने किया कमाल, बरसात से भी नहीं हुआ नुकसान, अब 1.20 करोड़ से बनेगा डंगा

ये भी पढ़ें: मानसून सीजन ने इस बार भी हिमाचल को दिए गहरे जख्म, बरसात से 1360 करोड़ की संपत्ति का नुकसान

शिमला: हिमाचल को मानसून सीजन में इस साल भी करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है. प्रदेश को इस साल लैंडस्लाइड की 46, बादल फटने की 12 और बाढ़ जैसी 39 घटनाओं का सामना करना पड़ा है. जिससे प्रदेश को 1613 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है. ये जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा ने शिमला में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) के साथ एक डीब्रीफिंग बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी. ये टीम मानसून के दौरान प्रदेश में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची थी.

केंद्र को सौंपा नुकसान का ज्ञापन

मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा ने कहा, "राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान पर केंद्र सरकार को एक व्यापक ज्ञापन सौंपा है. जिसमें बताया गया है कि प्रदेश में अनुमानित नुकसान लगभग 1,613.50 करोड़ रुपए का हुआ है. मानसून सीजन में राज्य को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इस दौरान लैंडस्लाइड, बादल फटने और बाढ़ से सड़कें, सिंचाई योजनाएं और आवासीय क्षेत्र व्यापक स्तर पर प्रभावित हुए हैं. राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में लैंडस्लाइड की 46, बादल फटने की 12 और 39 बाढ़ जैसी घटनाओं का सामना किया, जिससे जान-माल को बहुत नुकसान हुआ."

आपदा में सैकड़ों लोगों की मौत, 31 लापता

ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि मानसून सीजन में 174 लोगों की जान गई है. वहीं, 144 लोगों ने बारिश के कारण अपनी जान गंवाई है. इसके अलावा करीब 206 लोग घायल हुए हैं. 31 लोग लापता हुए हैं और 222 पशुधन हताहत हुए हैं. इस दौरान 1405 घरों और पशु आश्रय भी क्षतिग्रस्त हुए हैं. प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की बहाली के लिए अनुमानित 621.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

जल शक्ति विभाग को 540.88 करोड़ का नुकसान

मुख्य सचिव ने कहा कि इस दौरान जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे को भी नुकसान हुआ. 5505 जल आपूर्ति योजनाएं, 1213 सिंचाई परियोजनाएं, 99 मल निकासी परियोजनाएं, 69 बाढ़ सुरक्षा कार्य और 57 हैंडपंप क्षतिग्रस्त हुए हैं. जिससे प्रदेश को 540.88 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का आग्रह किया गया है. भौगोलिक स्थलाकृति के कारण राज्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है. आपदा-ग्रस्त क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, डॉपलर रडार और आपातकालीन कर्मियों को तैनात करने के हर संभव प्रयासों के बावजूद प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता की जरूरत है.

राहत मैनुअल में सुधार का आग्रह

ओंकार चंद शर्मा ने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों की आवश्यकताओं के दृष्टिगत राहत मैनुअल में सुधार करने का आग्रह किया है, ताकि प्रभावित लोगों को समय पर राहत पहुंचाने और पुनर्निर्माण में सहायता मिल सके. वहीं, आपदा प्रबंधन निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों के मौके पर मूल्यांकन के लिए आईएमसीटी का आभार व्यक्त किया. उन्होंने टीम को प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी दी और राज्य की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए उदार केंद्रीय सहायता का आग्रह किया.

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