छिंदवाड़ा: मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती. यह सिर्फ गानों में नहीं बल्कि छिंदवाड़ा में हकीकत में हो रहा है. खेती को अलग-अलग तरीके से किया जाए तो किसान मालामाल हो सकते हैं. आधुनिक खेती को अपनाते हुए मोहखेड़ के पालाखेड़ गांव के किसानों ने गेंदे के फूलों की खेती करने के बाद अपनी जिंदगी को आर्थिक रूप से गुलजार कर लिया है.
1 एकड़ से 3 लाख की कमाई
मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम पालाखेड़ में किसानों ने गेंदे के फूलों की खेती अपनाकर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. यहां के किसान देवानंद बादबुधे ने गेंदे की उन्नत किस्मों की खेती करके प्रति एकड़ करीब ढाई से 3 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है. उप संचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह ने विभाग की टीम के साथ पालाखेड़ के इस किसान के खेत का दौरा किया, जहां बड़ी संख्या में आसपास के किसान भी पहुंचे थे.
उन्नत किस्मों से हो रहा है अच्छा उत्पादन
पालाखेड़ गांव में करीब 200 एकड़ में किसान गेंदे की खेती कर रहे हैं और मार्केट की कीमतों के आधार पर प्रति एकड़ लगभग तीन लाख रुपये का लाभ कमा रहे हैं. मोहखेड़ ब्लॉक में कुल मिलाकर लगभग 1000 एकड़ में गेंदे की खेती की जा रही है, जिससे किसानों को लगातार मुनाफा हो रहा है.
'रेज्डबेड तकनीक से बढ़ रहा उत्पादन'
किसान देवानंद बताते हैं कि "बारिश के मौसम की शुरुआत में रेज्डबेड तकनीक का उपयोग करके गेंदे की बोनी की जाती है. 4 माह की इस फसल से किसानों को दो बार तुड़ाई का अवसर मिलता है, जिसमें प्रति एकड़ 3 से 5 टन तक का उत्पादन हो रहा है. नवरात्रि से दीपावली के बीच जब बाजार में फूलों की मांग और कीमत बढ़ जाती है तब किसान प्रति किलो फूल 50 से 100 रुपये में बेचते हैं. इस तरह एक औसत किसान प्रति एकड़ ढाई से 3 लाख रुपये का मुनाफा कमा लेता है."
कई राज्यों में है फूलों की डिमांड
छिंदवाड़ा जिले के गेंदे के फूलों की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि व्यापारी इन्हें नागपुर, रायपुर, भोपाल, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों तक सीधे खेतों से ले जा रहे हैं. जिले में फूलों की खेती का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है और वर्तमान में लगभग 2500 एकड़ में फूलों की खेती की जा रही है. त्यौहारों और आयोजनों में फूलों की मांग निरंतर बढ़ने के कारण किसान पारंपरिक फसलों की अपेक्षा फूलों की व्यावसायिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
किसान हो रहे मालामाल, जिंदगी हो रही गुलजार
फूलों की खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है. कम समय में ज्यादा लाभ मिलने के कारण किसान फूलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं. स्थानीय किसान इस नवाचार और गेंदे की खेती से हो रहे लाभ को देखकर प्रेरणा ले रहे हैं. छिंदवाड़ा जिले के गेंदे की खेती का यह प्रयोग आने वाले समय में दूसरे किसानों के लिए एक आदर्श बन सकता है, जिससे जिले के अन्य किसान भी प्रोत्साहित होकर व्यावसायिक खेती में आगे आ सकेंगे.