छिंदवाड़ा। कांग्रेस और कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भले ही कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन पूर्व सीएम कमलनाथ ने आधिकारिक तौर पर यह बता दिया है कि एक बार फिर से छिंदवाड़ा लोकसभा में उनके बेटे और वर्तमान सांसद नकुलनाथ ही मैदान में होंगे. हालांकि भाजपा ने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.
आसान नहीं है नकुलनाथ की राह, 2019 में मिली थी कड़ी टक्कर
9 बार छिंदवाड़ा से सांसद रहे और एक बार मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का छिंदवाड़ा किला उस समय डगमगा गया था. जब 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके बेटे नकुलनाथ को मैदान में उतारा गया था. लाखों वोटों के अंतर से भाजपा को मात देने वाले कमलनाथ के मुकाबले उनके बेटे नकुलनाथ मात्र 37536 के मामूली अंतर से चुनाव जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आदिवासी नेता व पूर्व विधायक नत्थन शाह को मैदान में उतारा था. नत्थन शाह के टिकट के बाद राजनीतिक गलियों में चर्चा थी कि भाजपा ने कमलनाथ के मुकाबले बहुत कमजोर कैंडिडेट मैदान में उतारा है, लेकिन इसके बाद भी चुनावी नतीजे चौंकाने वाले आए थे.
साल 2019 के चुनाव में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर 5,87,305 वोट मिले थे. वहीं, इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार नत्थन शाह को 549769 वोट मिले थे. इसी सीट पर अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के उम्मीदवार को 35968 और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को 14275 वोट मिले थे. छिंदवाड़ा में 20,324 लोगों ने नोटा का भी इस्तेमाल किया था.
यहां की सातों विधानसभा में कांग्रेस का कब्जा
छिंदवाड़ा लोकसभा में पांढुर्णा जिले को मिलाकर 16 लाख 24 हजार 308 मतदाता हैं. जिसमें 8 लाख 20 हजार 625 पुरुष मतदाता और 8 लाख 3 हजार 673 महिला मतदाता के अलावा थर्ड जेंडर भी 10 मतदाता है. छिंदवाड़ा लोकसभा में फिलहाल 7 विधानसभा है और सातों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं. जिसमें से छिंदवाड़ा विधानसभा से खुद कमलनाथ विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं.
सत्ता बदलने के बाद छिंदवाड़ा के विकास में हुई कटौती
छिंदवाड़ा लोकसभा के प्रमुख राजनीतिक मुद्दों की बात की जाए तो कमलनाथ अब तक अपने विकास को गिनाते हुए मैदान में होते हैं, तो वहीं भाजपा इसे अपने 22 सालों के कार्यकाल की उपलब्धि बताती है. कमलनाथ जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस दौरान उन्होंने छिंदवाड़ा में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से लेकर एग्रीकल्चर कॉलेज हॉर्टिकल्चर कॉलेज विश्वविद्यालय जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी, लेकिन सत्ता बदलने के साथ ही इन सभी विकास कार्यों के बजट पर कटौती कर दी गई. इसको लेकर कमलनाथ कई बार सरकार पर भेदभाव का आरोप भी लगा चुके हैं.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी मोदी सरकार और मध्य प्रदेश सरकार की उपलब्धियां गिनाते है और योजनाओं के दम पर चुनाव जीतने की बात करती है. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव के पहले छिंदवाड़ा जिले से पांढुर्णा को अलग कर जिला भी बना दिया गया है. जिसे भाजपा अपनी उपलब्धि बताती है. हालांकि विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को नहीं मिला था. कांग्रेस ने पांढुर्णा और सौंसर दोनों विधानसभा में जीत हासिल की थी.
मुख्यमंत्री के अगुवाई में बेटे ने लड़ा था लोकसभा का चुनाव
दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद पिता कमलनाथ ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से अपने बेटे नकुलनाथ को मैदान में उतारा था. जब लोकसभा चुनाव के मतदान हुए. इस दौरान छिंदवाड़ा के विधानसभा के लिए भी उपचुनाव हुआ था. पिता मुख्यमंत्री होते हुए भी नकुलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा में पिता की जीत के अन्तर को बरकरार नहीं रख पाए थे.
आदिवासी वोट बैंक पर फोकस कमलनाथ
2019 के चुनाव में जीत का अंतर कम करने पर भाजपा काफी उत्साहित नजर आ रही है. दरअसल तीन विधानसभा आदिवासी बाहुल्य है, यहां पर बीजेपी फोकस कर रही है. इसके साथ ही पांढुर्णा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और प्रदेश महासचिव उज्जवल सिंह चौहान सहित नगर पालिका के अध्यक्ष और पार्षद होने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसके साथ ही छिंदवाड़ा नगर निगम के सात पार्षद भी अब भाजपा के पाले में चले गए हैं. जो कमलनाथ के काफी नजदीक माने जाते थे.