पटना : चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ का आज अंतिम दिन है. आज छठ व्रती उदयीमान भगवान भास्कर को सूर्योदय के समय अर्घ्य देंगे. इसी के साथ सूर्य उपासना का चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न होगा. चौथा दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि छठ महापर्व का आखिरी दिन होता है. छठ व्रती पूरे विधि विधान से भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे. पूरब के दिशा में अपना चेहरा रखके सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
भगवान सूर्य की दोनों पत्नियों की आराधना : कहा जाता है कि सप्तमी तिथि को भगवान भास्कर का सूर्योदय के समय जो किरणें आती है, वह उषा की किरणें होती हैं. ज्योतिषाचार्य मुक्ति कुमार झा बताते हैं कि छठ महापर्व में सूर्य की दोनों पत्नियों की आराधना की जाती है. सबसे पहले षष्ठी तिथि को सूर्य की पहली पत्नी संध्या की आराधना होती है और अगले दिन उषा की आराधना होती है.
''सूर्योदय के समय जब सूर्य में लालिमा होती है, उस समय अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है और इसी समय अर्घ्य दिया जाता है. जब सूर्योदय होना शुरू होता है और सूर्य लालिमा के साथ धीरे-धीरे निकलता है उस समय अर्घ्य दिया जाता है. इससे पहले छठ व्रती जल में खड़ा होकर छठी मैया की आराधना करते हैं.''- मुक्ति कुमार झा, ज्योतिषाचार्य
सुख समृद्धि और वंश वृद्धि के लिए पूजा : कहा जाता है कि छठी मैया की पूजा सुख समृद्धि और वंश की वृद्धि की कामना को लेकर किया जाता है. छठी मैया की महिमा ऐसी होती है कि पूरी श्रद्धा से उनसे जो मांगी जाए, वह पूरी होती है. यही श्रद्धा का भाव छठ महापर्व के दौरान बिहार, यूपी, झारखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों के छठ घाट पर देखने को मिल रहा है.
आस्था का विहंगम दृश्य : श्रद्धालुओं की भीड़ आस्था का विहंगम दृश्य प्रस्तुत कर रही है. बिहार-झारखंड के लोग जो विदेशों में रह रहे हैं, वह वहां भी छठ पूजा मना रहे हैं. आज उगते सूरज को अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व संपन्न होगा और 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद छठ व्रती अपना उपवास तोड़ेंगे.
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