छतरपुर : उल्टी-दस्त से मौत के बाद गंगवाहा गांव के ग्रामीण घबराए हुए हैं. जिन्हें उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद बमीठा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है, वे इस बात की शिकायत कर रहे हैं, कि वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं और इस कारण लोगों को तत्काल इलाज नहीं मिल पा रहा है.
परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय से महज 40 किलोमीटर दूर बमीठा क्षेत्र में गंगवहां गांव स्थित है. इस गांव में पिछले कुछ दिनों से उल्टी दस्त के केस सामने आए हैं. दो लोगों की मौत हो चुकी है और करीब एक दर्जन को गांव में ही उल्टी दस्त की समस्या से लड़ रहे हैं. आरोप हैं कि कुछ लोग जिला बमीठा अस्पताल आ गए हैं लेकिन यहां उन्हें बीते रविवार तक उपचार नहीं मिला. हालत गंभीर होने के कारण परिजन मरीजों को लेकर दूसरे अस्पताल के लिए निकले लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
दो बच्चों की हुई मौत
बताया गया कि रविवार को अरविंद आदिवासी उम्र 11 वर्ष और रोशनी आदिवासी उम्र 5 वर्ष को लगातार उल्टी दस्त होने पर बमीठा स्वस्थ्य केंद्र लाया गया था, परिजनों का आरोपहै कि यहां डॉक्टर नहीं मिलने पर दूसरे डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाते समय दोनों ने रास्ते में दम तोड़ दिया. सोमवार को मिनजी उर्फ बोरा आदिवासी उम्र 30 वर्ष, रामकली उर्फ बोरु आदिवासी उम्र 25 वर्ष, रामा आदिवासी उम्र 7 वर्ष उल्टी दस्त होने पर बमीठा स्वस्थ्य केंद्र आए पर अस्पताल में कोई भी कर्मचारी नहीं था. मरीज डॉक्टरों के इंतजार में हैं और गंगवहां गांव में उल्टी दस्त के मरीज बढ़ते चले जा रहे हैं. वहीं इस मामले पर जब बीएमओ से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि स्टाफ गंगवाहा के बाकी पीड़ितों को देखने गया था, इसलिए कुछ देर बमीठा स्वास्थ्य केंद्र में लोग नहीं थे.