जयपुर : चेक अनादरण मामलों की विशेष अदालत क्रम-8 महानगर प्रथम ने लोन के पेटे जमा कराए गए करीब 2.59 करोड़ रुपए राशि के चेक बाउंस होने के मामले में डब्ल्यूटीपी के प्रबंध निदेशक अनूप बरतरिया, रुचि बरतरिया, विरेन्द्र बरतरिया और सरोजनी बरतरिया के गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने पूर्व में जारी गिरफ्तारी वारंट की तामील स्पेशल मैसेंजर से कराने को कहा है. अदालत ने यह आदेश अनूप बरतरिया व अन्य की ओर से दायर प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ 23 मई, 2024 को प्रसंज्ञान लेकर समन जारी किए थे. वहीं, 2 फरवरी 2018 को इनके जमानती वारंट जारी किए गए. आरोपियों को अदालती आदेश की जानकारी होने के बावजूद वे अदालत में पेश नहीं हुए. ऐसे में उन्हे विधि सम्मत तरीके से गिरफ्तारी वारंट के जरिए तलब किया है.
पढ़ें. पैरवी के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ, चिकित्सा निदेशक 25 हजार के जमानती वारंट से तलब
प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उनका परिवादी से राजीनामा हो गया है और विवादित चेक राशि भी जमा कराई जा चुकी है. एनआई एक्ट की धारा 138 जमानतीय अपराध है. उन पर जमानती वारंट की तालीम नहीं हुई है और सीधे गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किए जा सकते. ऐसे में गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जाए. इसका विरोध करते हुए परिवादी यूको बैंक की ओर से अधिवक्ता दिनेश गर्ग ने कहा कि आरोपियों को प्रकरण की पूरी जानकारी होने के बावजूद भी तो अदालत में हाजिर नहीं हो रहे हैं. ऐसे में उनके प्रार्थना पत्र को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने से इनकार कर दिया है.