नई दिल्ली: नकली सीबीआई ऑफिसर और फेडएक्स स्टाफ बनकर चीटिंग की वारदात करने वाले मामले का स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने पर्दाफाश किया है. इस मामले में मास्टर माइंड महिला और उसके बेटे सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों की पहचान निहाल विहार निवासी चौधरी संजय,ग्रेटर नोएडा निवासी खुशबू, आसिफ खान और हरदोई यूपी निवासी अभय सिंह के रूप में हुई है.
पुलिस के अनुसार इनमें आरोपी खुशबू वेस्ट बंगाल से ग्रेजुएट है. इनके पास से एक कार, लैपटॉप, 08 मोबाइल, 04 चेक बुक, 04 एटीएम कार्ड जब्त किया गया है. इस फर्जीवाड़ा रैकेट की सरगना महिला बताई जा रही है.डीसीपी आईएफएसओ हेमंत तिवारी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया की इस गैंग ने एयर इंडिया से सीनियर मैनेजर पोस्ट से रिटायर्ड हुई 65 साल की बुजुर्ग महिला से 35 लाख रुपए की चीटिंग की थी. उस मामले में पीड़ित महीला ने पुलिस को बताया था, की उनके पास एक कूरियर कंपनी से फोन आया था. जिसमें बताया गया की जो पार्सल आपने कंबोडिया में भेजा था, उसे मुंबई में जब्त कर लिया गया है.
पार्सल में डेढ़ सौ ग्राम नरकोटिक ड्रग निकली है.इसके बाद उनसे सीबीआई ऑफिसर बनकर और डरा धमका ब्लैकमेल किया जाने लगा. उसी की आड़ में 35 लाख रुपए ठग लिए गए.मामले की शिकायत पर एफआईआर दर्ज किया गया और टेक्नीकल सर्विलांस की मदद से आरोपियों के बारे में पूरा पता लगाकर उन्हें अरेस्ट कर लिया गया. बाद में पुलिस ने ठगी की रकम में 34,50,000 रुपए बैंक अकाउंट में फ्रिज करवा दिए.
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पुलिस को पता चला की आरोपियों में चौधरी संजय, गिरोह का एक सक्रिय मेंबर है, जो चीटिंग के अमाउंट को अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए नकली डॉक्यूमेंट पर खोले गए बैंक अकाउंट को ऑपरेट करने के लिए जिम्मेदार है.जबकि आरोपी खुशबू खान, अपने बेटे आसिफ खान और पति मोइज आलम के साथ काम करने वाली इस रैकेट की मास्टर माइंड है. वह मोइज आलम के साथ मिलकर जाली नाम, पते और जाली सरकारी फोटो आईडी पर खोले गए फर्जी सिम कार्ड और कई बैंक खातों की व्यवस्था करती है.
ठगी गई रकम को उड़ाने के लिए उन्होंने कई फर्जी बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया था.आसिफ खान कमीशन के माध्यम से USDT अकाउंट को संचालित करने और आगे दूसरे आरोपियों को ट्रांसफर करने के लिए सक्रिय रूप से जिम्मेदार है. वह यूएसडीटी अकाउंट के जरिए ठगी गई रकम विदेश में बैठे जालसाजों तक पहुंचाता था.अभय सिंह सक्रिय साजिशकर्ताओं में से एक है, जो धोखेबाजों को कमीशन के आधार पर फर्जी बैंक खाते प्रदान करता था.
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