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चांदनी चौक में 'हाथ' में 'झाड़ू' लिए BJP के सामने होगी कांग्रेस, जानें इस सीट का पूरा इतिहास

Lok sabha Election 2024: चांदनी चौक दिल्ली की पहली और सबसे छोटी लोकसभा सीट है. यह सीट 1956 में अस्तित्व में आया था. राजनीतिक लिहाज से भी यह सीट काफी अहम है. कांग्रेस अब तक यहां से नौ बार जीत चुकी है, जबकि बीजेपी ने चार बार बाजी मारी है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 28, 2024, 4:06 PM IST

Updated : Mar 3, 2024, 4:49 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में से एक है चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र (Chandni Chowk Lok sabha Seat). यह 1956 में अस्तित्व में आया था. लेकिन, इसकी पहचान लोकसभा क्षेत्र होने से नहीं बल्कि यहां पर स्थित ऐतिहासिक इमारतों, यहां के खानपान और बाजारों से है. यहां की पतली-पतली गलियों को कटरा कहा जाता है. यहां पर प्राचीनकालीन बड़ी-बड़ी इमारतें हैं, जहां पर संयुक्त परिवार रहते थे.

चांदनी चौक से रहे अब तक के सांसद
चांदनी चौक से रहे अब तक के सांसद

चांदनी चौक में ही इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक आइटम की बहुत बड़ी मार्केट है, जिसे भगीरथ पैलेस के नाम से जाना जाता है. भगीरथ पैलेस में ही सर्जिकल आइटम व दवाईयां भी थोक में मिलती हैं. चांदनी चौक शादी में पहने जाने वाले लहंगे, शेरवानी और अन्य पार्टी वीयर कपड़ों के लिए भी प्रसिद्ध है. कूंचा महाजनी के नाम से प्रसिद्ध सराफा बाजार भी यहीं है. कूंचा में बड़े पैमाने पर सोने और चांदी के आभूषण बनाने के लिए कच्चा माल भी उतरता है. यह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित है.

मेट्रो की यलो लाइन पर चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन भी स्थित है. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी नई राजधानी शाहजहांनाबाद के नजदीक यमुना नदी के तट पर मुगलकाल के समय में लाल किला बनवाया था. उस समय में मुगल शाही जुलूस चांदनी चौक से गुजरते थे. यह क्षेत्र पुरानी दिल्ली के मध्य में लाल किले के लाहौरी गेट से शुरू होकर फतेहपुरी मस्जिद तक फैला है. यह दिल्ली का सबसे छोटा लोकसभा क्षेत्र माना जाता है. चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में दिल्ली के 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

इन ऐतिहासिक इमारतों से चांदनी चौक की पहचान: मध्य काल में मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाया गया लाल किला चांदनी चौक के सामने ही सड़क के उस पार स्थित है. इसके साथ ही जामा मस्जिद, गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, फतेहपुरी मस्जिद और दिगंबर लाल जैन लाल मंदिर भी यहीं स्थित है. यहां एक पक्षियों का अस्पताल भी है, जहां घायल और बीमार पक्षियों का इलाज किया जाता है. सिखों का पवित्र स्थल गुरुद्वारा शीशगंज भी यहीं स्थित है.

वर्ष 1675 में औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर का यहां सिर कटवा दिया था. इसके बाद इसका नाम गुरुद्वारा शीशगंज पड़ा. जिस पेड़ के नीचे गुरु का सिर काटा गया और जेल में रहने के दौरान नहाने के लिए उन्होंने जिस कुएं का इस्तेमाल किया था उसे यहां संरक्षित किया गया है. मिर्जा गालिब की हवेली भी इसी लोकसभा क्षेत्र के बल्लीमारान विधानसभा में आती है.

खानपान से भी है चांदनी चौक की पहचान: यहां की पराठे वाली गली पराठों के लिए प्रसिद्ध है. यहां की दुकानों पर कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी परांठा खाने आए थे. एक दो दुकानों पर इन नेताओं की उस जमाने की पराठा खाने की तस्वीरें भी आपको लगी मिल जाएंगी. इसके अलावा यहां पर दौलत की चाट भी मिलती है, जो काफी प्रसिद्ध है.

चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटें: चांदनी चौक, आदर्श नगर, शालीमार बाग, शकूरबस्ती, त्रिनगर, वजीरपुर, मॉडल टाउन, सदर बाजार, मटिया महल और बल्लीमारान हैं. पिछले दो विधानसभा चुनाव से इन सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में आप की इस सीट पर दाल नहीं गली. बल्कि उसके प्रत्याशी को 2014 में दूसरे और 2019 में तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.

वर्ष 2019 में इस सीट से भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी. उन्हें कुल 5,19,055 वोट मिले थे. वहीं निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल को कुल 2,90,910 वोट मिले थे. इस सीट पर कुल 63 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस सीट पर हार का अंतर 2,28145 वोट का रहा था. कुल 15 लाख 62 हजार 283 मतदाता हैं. इनमें से पुरुष मतदाता 8,48,676 और महिला मतदाता 7,13,475 हैं.

वैश्य प्रत्याशियों का रहा है दबदबा: चांदनी चौक सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो इस सीट पर अधिकतर वैश्य समाज के प्रत्याशियों ने ही जीत दर्ज की है. चाहे वह प्रत्याशी कांग्रेस का रहा हो या भाजपा. यहां ऐसा भी रहा है कि कई बार हारने और जीतने वाले दोनों ही प्रत्याशी वैश्य रहे हैं. अभी तक इस सीट पर कुल 16 बार चुनाव हुए. उसमें से नौ बार वैश्य समाज के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है.

ये हैं संभावित प्रत्याशी: इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में है. इस सीट से कांग्रेस से जय प्रकाश अग्रवाल व अलका लांबा एवं भाजपा से फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार, विजय गोयल और पूर्व मेयर व डीयू में प्रोफेसर रजनी अब्बी का नाम रेस में चल रहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में से एक है चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र (Chandni Chowk Lok sabha Seat). यह 1956 में अस्तित्व में आया था. लेकिन, इसकी पहचान लोकसभा क्षेत्र होने से नहीं बल्कि यहां पर स्थित ऐतिहासिक इमारतों, यहां के खानपान और बाजारों से है. यहां की पतली-पतली गलियों को कटरा कहा जाता है. यहां पर प्राचीनकालीन बड़ी-बड़ी इमारतें हैं, जहां पर संयुक्त परिवार रहते थे.

चांदनी चौक से रहे अब तक के सांसद
चांदनी चौक से रहे अब तक के सांसद

चांदनी चौक में ही इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक आइटम की बहुत बड़ी मार्केट है, जिसे भगीरथ पैलेस के नाम से जाना जाता है. भगीरथ पैलेस में ही सर्जिकल आइटम व दवाईयां भी थोक में मिलती हैं. चांदनी चौक शादी में पहने जाने वाले लहंगे, शेरवानी और अन्य पार्टी वीयर कपड़ों के लिए भी प्रसिद्ध है. कूंचा महाजनी के नाम से प्रसिद्ध सराफा बाजार भी यहीं है. कूंचा में बड़े पैमाने पर सोने और चांदी के आभूषण बनाने के लिए कच्चा माल भी उतरता है. यह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक स्थित है.

मेट्रो की यलो लाइन पर चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन भी स्थित है. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी नई राजधानी शाहजहांनाबाद के नजदीक यमुना नदी के तट पर मुगलकाल के समय में लाल किला बनवाया था. उस समय में मुगल शाही जुलूस चांदनी चौक से गुजरते थे. यह क्षेत्र पुरानी दिल्ली के मध्य में लाल किले के लाहौरी गेट से शुरू होकर फतेहपुरी मस्जिद तक फैला है. यह दिल्ली का सबसे छोटा लोकसभा क्षेत्र माना जाता है. चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में दिल्ली के 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

इन ऐतिहासिक इमारतों से चांदनी चौक की पहचान: मध्य काल में मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाया गया लाल किला चांदनी चौक के सामने ही सड़क के उस पार स्थित है. इसके साथ ही जामा मस्जिद, गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, फतेहपुरी मस्जिद और दिगंबर लाल जैन लाल मंदिर भी यहीं स्थित है. यहां एक पक्षियों का अस्पताल भी है, जहां घायल और बीमार पक्षियों का इलाज किया जाता है. सिखों का पवित्र स्थल गुरुद्वारा शीशगंज भी यहीं स्थित है.

वर्ष 1675 में औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर का यहां सिर कटवा दिया था. इसके बाद इसका नाम गुरुद्वारा शीशगंज पड़ा. जिस पेड़ के नीचे गुरु का सिर काटा गया और जेल में रहने के दौरान नहाने के लिए उन्होंने जिस कुएं का इस्तेमाल किया था उसे यहां संरक्षित किया गया है. मिर्जा गालिब की हवेली भी इसी लोकसभा क्षेत्र के बल्लीमारान विधानसभा में आती है.

खानपान से भी है चांदनी चौक की पहचान: यहां की पराठे वाली गली पराठों के लिए प्रसिद्ध है. यहां की दुकानों पर कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी परांठा खाने आए थे. एक दो दुकानों पर इन नेताओं की उस जमाने की पराठा खाने की तस्वीरें भी आपको लगी मिल जाएंगी. इसके अलावा यहां पर दौलत की चाट भी मिलती है, जो काफी प्रसिद्ध है.

चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटें: चांदनी चौक, आदर्श नगर, शालीमार बाग, शकूरबस्ती, त्रिनगर, वजीरपुर, मॉडल टाउन, सदर बाजार, मटिया महल और बल्लीमारान हैं. पिछले दो विधानसभा चुनाव से इन सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में आप की इस सीट पर दाल नहीं गली. बल्कि उसके प्रत्याशी को 2014 में दूसरे और 2019 में तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.

वर्ष 2019 में इस सीट से भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी. उन्हें कुल 5,19,055 वोट मिले थे. वहीं निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल को कुल 2,90,910 वोट मिले थे. इस सीट पर कुल 63 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस सीट पर हार का अंतर 2,28145 वोट का रहा था. कुल 15 लाख 62 हजार 283 मतदाता हैं. इनमें से पुरुष मतदाता 8,48,676 और महिला मतदाता 7,13,475 हैं.

वैश्य प्रत्याशियों का रहा है दबदबा: चांदनी चौक सीट के जातिगत समीकरण की बात करें तो इस सीट पर अधिकतर वैश्य समाज के प्रत्याशियों ने ही जीत दर्ज की है. चाहे वह प्रत्याशी कांग्रेस का रहा हो या भाजपा. यहां ऐसा भी रहा है कि कई बार हारने और जीतने वाले दोनों ही प्रत्याशी वैश्य रहे हैं. अभी तक इस सीट पर कुल 16 बार चुनाव हुए. उसमें से नौ बार वैश्य समाज के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है.

ये हैं संभावित प्रत्याशी: इस बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में है. इस सीट से कांग्रेस से जय प्रकाश अग्रवाल व अलका लांबा एवं भाजपा से फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार, विजय गोयल और पूर्व मेयर व डीयू में प्रोफेसर रजनी अब्बी का नाम रेस में चल रहा है.

Last Updated : Mar 3, 2024, 4:49 PM IST
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