रांची: झारखंड में अगले छह महीने के अंदर ही विधानसभा चुनाव होने हैं. सत्ताधारी महागठबंधन और वर्तमान में इंडिया ब्लॉक जहां सत्ता में बने रहने की रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरेगा, वहीं भाजपा-आजसू के एनडीए गठबंधन ने 2019 में जिस सत्ता को गंवा दिया था, उसे फिर से वापस पाना चाहेगा. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पांच महीने बाद ही कोल्हान टाइगर के नाम से विख्यात पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से कुर्सी वापस लेकर खुद मुख्यमंत्री बन जाने की हेमंत की रणनीति बैक फायर तो नहीं कर जाएगी?
यह सवाल इसलिए भी उठना स्वभाविक है कि चंपाई सोरेन झामुमो के न सिर्फ कद्दावर नेता हैं, बल्कि शिबू सोरेन के विश्वासपात्रों में से एक रहे हैं. झारखंड आंदोलन की लड़ाई कोल्हान में बुलंद करने वाले चंपाई सोरेन को जिस आनन-फानन में इस्तीफा कराया गया है, उससे अच्छा मैसेज जनता में नहीं गया है.
हेमंत के फिर सीएम बनने से जनता में उत्साह - झामुमो
इस संबंध में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि हेमंत सोरेन के फिर से सीएम बनने से पूरे राज्यभर के लोग उत्साहित हैं. कोल्हान, संथाल, पलामू, छोटानागपुर हर तरफ उत्साह का माहौल है. क्योंकि 2019 में राज्य की जनता ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया था. भाजपा की साजिश के कारण उन्हें पांच महीना कारावास में रहना पड़ा, यह बात राज्य की जनता भूली नहीं है. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को सिंगल डिजिट में ले आएगी. कोई बैक फायर नहीं होगा.
झामुमो स्पष्ट करे चंपाई को क्यों हटाया- दीपक प्रकाश
झारखंड की राजनीति में बदलाव को लेकर राज्यसभा में भाजपा के सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश कहते हैं कि भाजपा की नजर राज्य की बदलती राजनीतिक घटनाक्रम पर है. झामुमो-कांग्रेस और राजद के नेताओं को बताना चाहिए कि चंपाई सोरेन से क्या गलती हो गई कि उन्हें बेआबरू करके सत्ता से बाहर कर दिया गया. दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य की जनता खास कर आदिवासी समुदाय के लोग हतप्रभ हैं. ऐसे में झामुमो को यह साफ करना चाहिए कि चंपाई सोरेन को क्यों हटाया गया.
चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाकर हेमंत सोरेन के फिर से मुख्यमंत्री बन जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू कहते हैं कि 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में और उन्हीं का चेहरा आगे कर भाजपा को सत्ता से हटाया गया था. कांग्रेस नेता जगदीश साहू कहते हैं कि कुछ परिस्थितियां ऐसी बनी कि हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा और पद मिला. अब जब हेमंत जमानत पर बाहर आ गए हैं तो महागठबंधन के नेता के रूप में उनकी ताजपोशी स्वभाविक है.
उन्होंने कहा कि रणनीति साफ है कि कैसे एक आदिवासी धरती पुत्र और आंदोलनकारी के बेटे को भाजपा के इशारे पर पांच महीने जेल में रखा गया. यही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा. क्योंकि जो जमानत के ऑर्डर हैं वही हेमंत सोरेन के बेगुनाही की गवाही देते हैं.
चंपाई अनुभवी और सुलझे हुए नेता
उन्होंने कहा कि चंपाई सोरेन काफी अनुभवी और सुलझे हुए नेता हैं. उन्हें मालूम है कि विकट परिस्थितियों में उन्हें हेमंत सोरेन ने सत्ता इसलिए सौंपी थी क्योंकि वही हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में राज्य में विकास की गति को आगे बढ़ा सकते थे. उनके नेतृत्व में राज्य ने तरक्की भी की, लेकिन जब अब हेमंत बाहर हैं तो उन्हें दोबारा सीएम बनाने का फैसला स्वाभाविक ही है.
नफा-नुकसान भाजपा की रणनीति पर निर्भर-सत्येंद्र सिंह
वहीं इस संबंध में राज्य की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि यह मानव स्वभाव है कि किसी चीज को पाने की खुशी और खो जाने का गम होता है. चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद इस तरह से ले लिए जाने का अफसोस तो जरूर होगा, लेकिन यह कोल्हान की मजबूत राजनीतिक धरातल पर महागठबंधन और झामुमो को कितना नुकसान पहुंचा पाएगा यह सब भाजपा की रणनीति पर तय करता है.
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