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ERCP के अलावा अब सीधे बीसलपुर पहुंचेगा चंबल नदी का एक्सेस पानी, 145 किलोमीटर का बनेगा ग्रेविटी चैनल - Canal To Bisalpur Dam

Chambal Valley Project, चंबल नदी के राणा प्रताप सागर बांध और जवाहर सागर डैम के एक्सेस पानी को अब डायवर्ट करने की घोषणा की गई है. इसके लिए 8300 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है. साथ ही राणा प्रताप सागर बांध से कैनाल के जरिए भीलवाड़ा जिले में बनास नदी पर पानी ले जाई जाएगी.

Chambal Valley Project
चंबल नदी का पानी पहुंचेगा बीसलपुर (Etv Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 11, 2024, 5:21 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 8:11 PM IST

चंबल वैली प्रोजेक्ट के बारे में जानिए (ETV Bharat Kota)

कोटा. भजनलाल सरकार के पहले बजट में वित्त मंत्री दीया कुमारी ने बुधवार को चंबल नदी के राणा प्रताप सागर बांध और जवाहर सागर डैम के एक्सेस पानी को डायवर्ट करने की घोषणा की है. इसके लिए 8300 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है. इस प्रोजेक्ट को कोटा जल संसाधन विभाग ने तैयार किया है, जिसके तहत राणा प्रताप सागर बांध से भीलवाड़ा जिले में बनास नदी पर कैनाल के जरिए पानी ले जाई जाएगी, जिसके जरिए बीसलपुर डैम को भरा जाएगा, ताकि जयपुर और अन्य शहरों में पानी की आपूर्ति को सुव्यवस्थित रखा जा सकेगा. यह पूरा काम 145 किमी लंबी ग्रेविटी चैनल से बनने वाली नहर के जरिए होगा. इसके जरिए चित्तौड़गढ़ जिले में ब्राह्मणी नदी पर एक डैम भी बनाया जाएगा, जिसके लिए राज्य सरकार ने बजट में 500 करोड़ का प्रावधान इसी योजना के तहत रखा है.

जल संसाधन विभाग के चंबल वैली प्रोजेक्ट के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि राज्य सरकार ने बीते दिनों चंबल से बीसलपुर के लिए पानी ले जाने की योजना बनाने के निर्देश दिए थे. इसके संबंध में हमने बीते 4 महीने में काम किया है और एक पूरा प्रोजेक्ट बनाया है, जिसको राज्य सरकार से बजट में अनुमति भी मिल गई है. अब इसकी डीपीआर बनेगी, साथ ही हमने तय किया एलाइनमेंट पर मोहर लगेगी, जिसके आधार पर ही इसमें काम होना है.

Chambal Valley Project
चंबल वैली प्रोजेक्ट के बारे में फैक्ट्स (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. हाड़ौती में 79 में से 58 डैम पूरी तरह से खाली, शेष में बचा सिर्फ 23 फीसदी पानी - Water in Dams of Hadoti

इस तरह का होगा पूरा प्रोजेक्ट : एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि आरपीएस के सैंडल डैम से कैरियर ड्रेन (कैनाल) शुरू किया जाएगा. ब्राह्मणी नदी पर एक डैम बनाया जाएगा. ब्राह्मणी नदी का एक्सेस पानी करीब 3000 क्यूसेक फीडर इस डैम के जरिए इस कैरियर ड्रेन में डाला जाएगा, जबकि 15000 क्यूसेक पानी आरपीएस डैम का होगा. बीसलपुर की क्षमता 400 एमक्यूएम है. ऐसे में 100 एमक्यूएम पानी ब्राह्मणी नदी का भेजा जाएगा, जबकि शेष 300 एमक्यूएम पानी आरपीएस का एक्सेस पानी है. जिस हिसाब से बीसलपुर में पानी भरने के लिए इसे बनाया जा रहा है, तो करीब 10 से 15 दिन ही यह बारिश के सीजन में चंबल नदी के ओवरफ्लो होने के बाद ही छोड़ जाएगा. इसमें ही बीसलपुर डैम भर जाएगा. इससे जयपुर सहित अन्य शहरों के लिए स्थाई पानी का विकल्प भी मिल जाएगा.

145 किलोमीटर लंबी बनेगी कैरियर ड्रेन : अधीक्षक अभियंता अंसारी ने बताया कि करीब 145 किलोमीटर लंबी इसमें कैरियर ड्रेन बनेगी. इसके साथ ही दो टनल भी बनना इसमें प्रस्तावित है. यह पूरा काम ग्रेविटी चैनल से होगा. इसमें लिफ्ट का कोई काम नहीं होगा, क्योंकी आरपीएस के सैंडल डैम से यह कैरियर ड्रेन बनेगी, जहां पर लेवल 352.80 मीटर है, जबकि भीलवाड़ा जिले में बरनी गांव के नजदीक एक बड़े नाले में इसे मिलाया जाना है. ऐसे में पूरी तरह से यह ग्रेविटी चैनल से पानी चला जाएगा. जिस नाले में इसे मिलाया जाएगा, वह बनास नदी में जाकर मिल जाता है.

पढ़ें. नौनेरा डैम बनकर तैयार, टेस्टिंग के लिए भरा जाएगा कालीसिंध का पानी... रिमोट से खुलेंगे गेट - First ERCP Dam

बनाई जाएगी दो टनल, ब्राह्मणी नदी पर बनेगा बांध : उन्होंने बताया कि चित्तौड़गढ़ के आरपीएस के सैंडल डैम से कैरियर ड्रेन को शुरुआत किया जाना है. इसके बाद यह भैंसरोडगढ़, जवाहर सागर डैम तक चंबल के किनारे किनारे चलेगी. इसके बाद गडरिया महादेव, बूंदी के बिजौलिया घाटा होती हुई भीलवाड़ा जिले में प्रवेश कर जाएगी. इसका एलाइनमेंट लगभग फाइनल जैसा ही है. इसके लिए एक ब्राह्मणी नदी पर डैम भी बनाना प्रस्तावित है. इस डैम की क्षमता डीपीआर में तय की जाएगी. इसकी पूरी डीपीआर बननी है, लेकिन इसकी ऊंचाई थोड़ी कम रखी जाएगी, ताकि डूब एरिया कम रहे.

बूंदी जिले के तीन डैम भी भरेंगे : उन्होंने बताया कि इस फीडर के जरिए बूंदी जिले के तीन डैम भी भरे जाना प्रस्तावित है. इनमें 44.38 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले गरदड़ा डैम, इसके बाद 7.5 एमक्यूएम के अभयपुरा और 93.53 एमक्यूएम का गूढ़ा डैम शामिल हैं. इसमें बनने वाली दो टनलों में पहली बिजौलिया घाटा के नजदीक 2.5 किलोमीटर की रहेगी. वहीं दूसरी खिरिया के पास बूंदी जिले में ही बनेगी. यह इसकी लंबाई करीब 4 किलोमीटर की होगी.

बहकर बंगाल की खाड़ी में ही चला जाता है पानी : उन्होंने बताया कि चंबल नदी में गांधी सागर के ओवरफ्लो होने के बाद पानी को आरपीएस डैम में आता है और यहां से जवाहर सागर, कोटा बैराज होता हुआ आगे जाता है. इसके बाद यह पानी धौलपुर के बाद यमुना नदी और उसके बाद गंगा नदी में मिलता हुआ बंगाल की खाड़ी में चला जाता है. इसका उपयोग नहीं हो पाता है, ऐसे में इसी पानी का उपयोग करने के लिए यह पूरी योजना बनाई गई है.

पढ़ें. Special : JS डैम पर 200 मेगावाट के 40 साल पुराने PSP प्रोजेक्ट को मिली अनुमति, सस्ती बिजली से पंपिंग तो महंगी के समय होगा उत्पादन

2014 में भी बना था यह प्रोजेक्ट : साल 2014 में भी इस तरह का प्रोजेक्ट बना था, जिसमें जवाहर सागर डैम से लिफ्ट के जरिए पानी को ले जाया जाना था. इस प्रोजेक्ट में 89 किलोमीटर लंबी कैनाल बननी थी, लेकिन इसमें करीब 52 किलोमीटर लंबी टनल बननी थी. इसकी कैनाल की चौड़ाई भी काफी कम रखी गई थी. इस प्रोजेक्ट की प्रिलिमनरी रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिस पर काम शुरू होने के पहले ही इस प्रोजेक्ट को साल 2016 में ड्रॉप कर दिया गया. इस पर 4000 करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित रखा गया था, लेकिन यह लिफ्ट आधारित प्रोजेक्ट था. इसके चलते काफी पैसा पानी को लिफ्ट करने पर खर्च होता.

जयपुर सहित इन जिलों को होगा फायदा : बीसलपुर बांध से सवाई माधोपुर और टोंक जिलों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है. इसके अलावा पेयजल के लिए जयपुर, अजमेर और टोंक जिले को पानी मिल रहा है. बीसलपुर में पानी नहीं भरने पर बड़ी आबादी प्रभावित होती है. इसके अलावा जयपुर, अजमेर और टोंक जिले में भी आबादी लगातर बढ़ रही है, इसलिए पानी की जरूरत बढ़ रही है. इसलिए यह प्रोजेक्ट काफी फायदा करने वाला है. दूसरी तरफ चंबल से लाखों क्यूसेक पानी एक्सेस होने पर छोड़ भी दिया जाता है. उसका भी उपयोग कर लिया जाएगा.

चंबल वैली प्रोजेक्ट के बारे में जानिए (ETV Bharat Kota)

कोटा. भजनलाल सरकार के पहले बजट में वित्त मंत्री दीया कुमारी ने बुधवार को चंबल नदी के राणा प्रताप सागर बांध और जवाहर सागर डैम के एक्सेस पानी को डायवर्ट करने की घोषणा की है. इसके लिए 8300 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है. इस प्रोजेक्ट को कोटा जल संसाधन विभाग ने तैयार किया है, जिसके तहत राणा प्रताप सागर बांध से भीलवाड़ा जिले में बनास नदी पर कैनाल के जरिए पानी ले जाई जाएगी, जिसके जरिए बीसलपुर डैम को भरा जाएगा, ताकि जयपुर और अन्य शहरों में पानी की आपूर्ति को सुव्यवस्थित रखा जा सकेगा. यह पूरा काम 145 किमी लंबी ग्रेविटी चैनल से बनने वाली नहर के जरिए होगा. इसके जरिए चित्तौड़गढ़ जिले में ब्राह्मणी नदी पर एक डैम भी बनाया जाएगा, जिसके लिए राज्य सरकार ने बजट में 500 करोड़ का प्रावधान इसी योजना के तहत रखा है.

जल संसाधन विभाग के चंबल वैली प्रोजेक्ट के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि राज्य सरकार ने बीते दिनों चंबल से बीसलपुर के लिए पानी ले जाने की योजना बनाने के निर्देश दिए थे. इसके संबंध में हमने बीते 4 महीने में काम किया है और एक पूरा प्रोजेक्ट बनाया है, जिसको राज्य सरकार से बजट में अनुमति भी मिल गई है. अब इसकी डीपीआर बनेगी, साथ ही हमने तय किया एलाइनमेंट पर मोहर लगेगी, जिसके आधार पर ही इसमें काम होना है.

Chambal Valley Project
चंबल वैली प्रोजेक्ट के बारे में फैक्ट्स (ETV Bharat GFX)

पढ़ें. हाड़ौती में 79 में से 58 डैम पूरी तरह से खाली, शेष में बचा सिर्फ 23 फीसदी पानी - Water in Dams of Hadoti

इस तरह का होगा पूरा प्रोजेक्ट : एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि आरपीएस के सैंडल डैम से कैरियर ड्रेन (कैनाल) शुरू किया जाएगा. ब्राह्मणी नदी पर एक डैम बनाया जाएगा. ब्राह्मणी नदी का एक्सेस पानी करीब 3000 क्यूसेक फीडर इस डैम के जरिए इस कैरियर ड्रेन में डाला जाएगा, जबकि 15000 क्यूसेक पानी आरपीएस डैम का होगा. बीसलपुर की क्षमता 400 एमक्यूएम है. ऐसे में 100 एमक्यूएम पानी ब्राह्मणी नदी का भेजा जाएगा, जबकि शेष 300 एमक्यूएम पानी आरपीएस का एक्सेस पानी है. जिस हिसाब से बीसलपुर में पानी भरने के लिए इसे बनाया जा रहा है, तो करीब 10 से 15 दिन ही यह बारिश के सीजन में चंबल नदी के ओवरफ्लो होने के बाद ही छोड़ जाएगा. इसमें ही बीसलपुर डैम भर जाएगा. इससे जयपुर सहित अन्य शहरों के लिए स्थाई पानी का विकल्प भी मिल जाएगा.

145 किलोमीटर लंबी बनेगी कैरियर ड्रेन : अधीक्षक अभियंता अंसारी ने बताया कि करीब 145 किलोमीटर लंबी इसमें कैरियर ड्रेन बनेगी. इसके साथ ही दो टनल भी बनना इसमें प्रस्तावित है. यह पूरा काम ग्रेविटी चैनल से होगा. इसमें लिफ्ट का कोई काम नहीं होगा, क्योंकी आरपीएस के सैंडल डैम से यह कैरियर ड्रेन बनेगी, जहां पर लेवल 352.80 मीटर है, जबकि भीलवाड़ा जिले में बरनी गांव के नजदीक एक बड़े नाले में इसे मिलाया जाना है. ऐसे में पूरी तरह से यह ग्रेविटी चैनल से पानी चला जाएगा. जिस नाले में इसे मिलाया जाएगा, वह बनास नदी में जाकर मिल जाता है.

पढ़ें. नौनेरा डैम बनकर तैयार, टेस्टिंग के लिए भरा जाएगा कालीसिंध का पानी... रिमोट से खुलेंगे गेट - First ERCP Dam

बनाई जाएगी दो टनल, ब्राह्मणी नदी पर बनेगा बांध : उन्होंने बताया कि चित्तौड़गढ़ के आरपीएस के सैंडल डैम से कैरियर ड्रेन को शुरुआत किया जाना है. इसके बाद यह भैंसरोडगढ़, जवाहर सागर डैम तक चंबल के किनारे किनारे चलेगी. इसके बाद गडरिया महादेव, बूंदी के बिजौलिया घाटा होती हुई भीलवाड़ा जिले में प्रवेश कर जाएगी. इसका एलाइनमेंट लगभग फाइनल जैसा ही है. इसके लिए एक ब्राह्मणी नदी पर डैम भी बनाना प्रस्तावित है. इस डैम की क्षमता डीपीआर में तय की जाएगी. इसकी पूरी डीपीआर बननी है, लेकिन इसकी ऊंचाई थोड़ी कम रखी जाएगी, ताकि डूब एरिया कम रहे.

बूंदी जिले के तीन डैम भी भरेंगे : उन्होंने बताया कि इस फीडर के जरिए बूंदी जिले के तीन डैम भी भरे जाना प्रस्तावित है. इनमें 44.38 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले गरदड़ा डैम, इसके बाद 7.5 एमक्यूएम के अभयपुरा और 93.53 एमक्यूएम का गूढ़ा डैम शामिल हैं. इसमें बनने वाली दो टनलों में पहली बिजौलिया घाटा के नजदीक 2.5 किलोमीटर की रहेगी. वहीं दूसरी खिरिया के पास बूंदी जिले में ही बनेगी. यह इसकी लंबाई करीब 4 किलोमीटर की होगी.

बहकर बंगाल की खाड़ी में ही चला जाता है पानी : उन्होंने बताया कि चंबल नदी में गांधी सागर के ओवरफ्लो होने के बाद पानी को आरपीएस डैम में आता है और यहां से जवाहर सागर, कोटा बैराज होता हुआ आगे जाता है. इसके बाद यह पानी धौलपुर के बाद यमुना नदी और उसके बाद गंगा नदी में मिलता हुआ बंगाल की खाड़ी में चला जाता है. इसका उपयोग नहीं हो पाता है, ऐसे में इसी पानी का उपयोग करने के लिए यह पूरी योजना बनाई गई है.

पढ़ें. Special : JS डैम पर 200 मेगावाट के 40 साल पुराने PSP प्रोजेक्ट को मिली अनुमति, सस्ती बिजली से पंपिंग तो महंगी के समय होगा उत्पादन

2014 में भी बना था यह प्रोजेक्ट : साल 2014 में भी इस तरह का प्रोजेक्ट बना था, जिसमें जवाहर सागर डैम से लिफ्ट के जरिए पानी को ले जाया जाना था. इस प्रोजेक्ट में 89 किलोमीटर लंबी कैनाल बननी थी, लेकिन इसमें करीब 52 किलोमीटर लंबी टनल बननी थी. इसकी कैनाल की चौड़ाई भी काफी कम रखी गई थी. इस प्रोजेक्ट की प्रिलिमनरी रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिस पर काम शुरू होने के पहले ही इस प्रोजेक्ट को साल 2016 में ड्रॉप कर दिया गया. इस पर 4000 करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित रखा गया था, लेकिन यह लिफ्ट आधारित प्रोजेक्ट था. इसके चलते काफी पैसा पानी को लिफ्ट करने पर खर्च होता.

जयपुर सहित इन जिलों को होगा फायदा : बीसलपुर बांध से सवाई माधोपुर और टोंक जिलों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है. इसके अलावा पेयजल के लिए जयपुर, अजमेर और टोंक जिले को पानी मिल रहा है. बीसलपुर में पानी नहीं भरने पर बड़ी आबादी प्रभावित होती है. इसके अलावा जयपुर, अजमेर और टोंक जिले में भी आबादी लगातर बढ़ रही है, इसलिए पानी की जरूरत बढ़ रही है. इसलिए यह प्रोजेक्ट काफी फायदा करने वाला है. दूसरी तरफ चंबल से लाखों क्यूसेक पानी एक्सेस होने पर छोड़ भी दिया जाता है. उसका भी उपयोग कर लिया जाएगा.

Last Updated : Jul 11, 2024, 8:11 PM IST
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