रांची: विधानसभा के लिए राजनीति का युद्ध शुरू होने वाला है. एक दौर था जब झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को उनके गढ़ (दुमका) में घेरने के लिए भाजपा ने राजनीति का चक्रव्यूह बनाया था. इसकी शुरुआत हुई थी जामा विधानसभा क्षेत्र से. राज्य गठन से पहले एकीकृत बिहार में 1995 और 2000 के विधानसभा चुनाव में गुरुजी के ज्येष्ठ पुत्र दुर्गा सोरेन जामा विधानसभा क्षेत्र में जम चुके थे.
गुरूजी के भविष्य का उत्तराधिकारी तैयार हो रहा था. तब दुर्गा सोरेन के करीबियों में से एक सुनील सोरेन को बाबूलाल मरांडी भाजपा में खींच लाए और सुनील ने 2005 के चुनाव में दुर्गा सोरेन को जामा के मैदान से उखाड़ दिया. फिर वही प्लॉट तैयार होता दिख रहा है. सिर्फ किरदार बदल गये हैं. सुनील सोरेन की जगह सीता ने और शिबू सोरेन की जगह हेमंत ने ले ली है.
सोरेन परिवार के खिलाफ जामा में बना था चक्रव्यूह
दुर्गा सोरेन का जामा में 2005 का चुनाव हारना शिबू सोरेन परिवार के लिए यह एक बड़े सदमे से कम नहीं था. इस हार के कुछ साल बाद ही 2009 में दुर्गा सोरेन का असमय देहांत हो गया. इधर, भाजपा की नजर दुमका लोकसभा सीट पर जमे शिबू सोरेन पर थी. जब 2009 का लोकसभा चुनाव आया तो भाजपा ने सुनील सोरेन को शिबू सोरेन के सामने मैदान में उतार दिया.
जामा विधानसभा सीट पर दुर्गा सोरेन को हराने वाले सुनील ने भी पूरी मेहनत की लेकिन चुनाव हार गए. भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त मोदी लहर में शिबू सोरेन के लिए तैयार चक्रव्यूह को और मजबूत किया. बावजूद इसके सुनील सोरेन की कम अंतर से ही सही लेकिन फिर हार हुई.
गुरुजी को हराने के लिए सुनील को करना पड़ा लंबा इंतजार
अब 2019 के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन को हरा पाना असंभव सा दिखने लगा था क्योंकि शिबू सोरेन को महागठबंधन के रूप में कांग्रेस और जेवीएम का भी समर्थन था. यही मजबूती शिबू सोरेन के लिए कमजोर कड़ी बन गई. खराब स्वास्थ्य के कारण जनसंपर्क चलाना शिबू सोरेन के आड़े आ रहा था. इस बीच जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी का यह बयान कि गुरूजी की बड़े अंतर से जीत होगी, झामुमो के चुनावी कैंपेन को सुस्त करने लगी.
इधर, सुनील सोरेन क्षेत्र की जनता को यह बताने में जोर शोर से जुटे थे कि अब जमाना बदल चुका है. गुरूजी जब संसद में भी क्षेत्र के मुद्दे नहीं उठा सकते फिर यहां के लोगों का भला कैसे होगा. भाजपा का यह चक्रव्यूह काम करने लगा था. जब मतों की गिनती शुरू हुई तब गुरूजी और सुनील के बीच कांटे की टक्कर फेरबदल की ओर इशारा करने लगी. फिर वही हुआ जिसका भाजपा को लंबे समय से इंतजार था. भाजपा का चक्रव्यूह काम कर गया. 2019 भाजपा के सुनील सोरेन दुमका से सांसद बन गये.
क्या फिर जामा बनेगा चक्रव्यूह का गवाह
राजनीति के जानकार अनुमान लगाने लगे थे कि दुमका में शिबू सोरेन के खिलाफ भाजपा की जीत झामुमो के लिए विधानसभा चुनाव में मुसीबत खड़ी करेगी. लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा. 2019 के विस चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले महागठबंधन को बहुमत मिला और सरकार बनी. एक बार फिर राजनीतिक घड़ी की सुई घूम कर उसी जगह पर आ गयी है.
फर्क इतना है कि जिस जामा विस में दुर्गा सोरेन को हराने वाले सुनील सोरेन ने दुमका लोकसभा सीट पर शिबू सोरेन को शिकस्त दी थी, उसी जामा विधानसभा सीट से 2009 से अब तक लगातार तीन बार जीतने वाली स्वर्गीय दुर्गी सोरेन की पत्नी सीता सोरेन अपने दोनों देवरों और गोतनी (हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन और कल्पना सोरेन) के खिलाफ भाजपा का झंडा बुलंद कर रहीं हैं. यह अलग बात है कि दुमका लोकसभा सीट पर झामुमो के नलिन सोरेन से उन्हें शिकस्त खानी पड़ी है. भाजपा में रुतबा बरकरार है. फिलहाल, उस सवाल पर सस्पेंस की परत चढ़ी हुई है कि सीता सोरेन को भाजपा जामा में आजमाएगी या कहीं और.
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