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मध्यप्रदेश में स्पेशल कैडर रिव्यू में विलंब को लेकर कैट ने किया जवाब तलब - स्पेशल कैडर रिव्यू में देरी

CAT issue notice : मध्यप्रदेश में सीएसपी व एडिशनल एसपी के प्रमोशन का मुद्दा लंबे समय से गर्म है. अब इस मामले में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने स्पेशल कैडर रिव्यू को लेकर जवाब तलब किया है. केंद्र शासन को जल्द ही जवाब दाखिल करना होगा.

CAT seeks reply regarding delay in special cadre review
स्पेशल कैडर रिव्यू में विलंब को लेकर कैट ने किया जवाब तलब
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 4:36 PM IST

जबलपुर। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने स्पेशल कैडर रिव्यू में विलंब पर जवाब-तलब कर लिया है. इस सिलसिले में केंद्र शासन सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं. याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश स्टेट पुलिस ऑफिसर एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे व अक्षय खंडेलवाल ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि नियमानुसार स्पेशल कैडर रिव्यू प्रति 5 वर्ष में आवश्यक रूप से होना चाहिए. किंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है.

याचिका में ये हवाला दिया

याचिका में कहा गया कि इस अव्यवस्था से याचिकाकर्ता सहित अन्य को परेशानी हो रही है. दरअसल, सीएसपी, एडिशनल एसपी का प्रमोशन नहीं होता, महज क्रमोन्नति होती है. कैडर संख्या कम होने से आईपीएस अवार्ड होने की संभावना क्षीण होती जा रही है. आलम यह है कि एएसपी के पद से ही अधिकतर सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं. जबकि दूसरे राज्यों में समय से आईपीएस बनाए जा रहे हैं. अन्य राज्यों जैसी व्यवस्था मध्यप्रदेश में भी होनी चाहिए. क्योंकि नियम सबके लिए समान हैं. लेकिन लंबे समय से ये अव्यवस्था चली आ रही है. इसमें सुधार की जरूरत है.

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पदोन्नति का है मामला

याचिका में ये भी कहा गया कि मध्यप्रदेश शासन की ओर से इस सिलसिले में समय-समय पर केंद्र तक सिफारिश भेजी गईं, किंतु केंद्र का रवैया उदासीनता भरा रहा है. 2008 से विलंब से कैडर संख्या के निर्धारण से परेशानी बढ़ती चली गई है. बावजूद इसके कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विलंब से निर्धारण को अन्याय की कोटि में रखा है. वास्तव में पदोन्नति समय रहते मिलना कर्मचारी का अधिकार है.

जबलपुर। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने स्पेशल कैडर रिव्यू में विलंब पर जवाब-तलब कर लिया है. इस सिलसिले में केंद्र शासन सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं. याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश स्टेट पुलिस ऑफिसर एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे व अक्षय खंडेलवाल ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि नियमानुसार स्पेशल कैडर रिव्यू प्रति 5 वर्ष में आवश्यक रूप से होना चाहिए. किंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है.

याचिका में ये हवाला दिया

याचिका में कहा गया कि इस अव्यवस्था से याचिकाकर्ता सहित अन्य को परेशानी हो रही है. दरअसल, सीएसपी, एडिशनल एसपी का प्रमोशन नहीं होता, महज क्रमोन्नति होती है. कैडर संख्या कम होने से आईपीएस अवार्ड होने की संभावना क्षीण होती जा रही है. आलम यह है कि एएसपी के पद से ही अधिकतर सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं. जबकि दूसरे राज्यों में समय से आईपीएस बनाए जा रहे हैं. अन्य राज्यों जैसी व्यवस्था मध्यप्रदेश में भी होनी चाहिए. क्योंकि नियम सबके लिए समान हैं. लेकिन लंबे समय से ये अव्यवस्था चली आ रही है. इसमें सुधार की जरूरत है.

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