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शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारण का मामला: हाईकोर्ट ने अधूरी याचिका पर हस्तक्षेप से किया इनकार

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 19, 2024, 6:35 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर हाईस्कूल के अध्यापकों की वरिष्ठता विवाद को लेकर नौ वर्ष से विचाराधीन 36 याचिकाओं को गुण-दोष के आधार पर निस्तारित करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचियों से नए सिरे से आपत्ति दाखिल करने को कहा है.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर हाईस्कूल के अध्यापकों की वरिष्ठता विवाद को लेकर नौ वर्ष से विचाराधीन 36 याचिकाओं को गुण-दोष के आधार पर निस्तारित करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचियों से नए सिरे से आपत्ति दाखिल करने को कहा है. सथा ही कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग वरिष्ठता निर्धारित करने से प्रभावित होने वालों को नोटिस जारी कर उनके जवाब पर विचार कर‌ नियमानुसार निर्णय ले. कोर्ट ने कहा कि आधे-अधूरे तथ्यों व मांग के साथ दाखिल याचिकाओं पर यथोचित अनुतोष नहीं दिया जा सकता.

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जो अध्यापक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इस निर्णय का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने तपेशर राम व अन्य सहित 36 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है. कोर्ट ने अनिल कुमार यादव केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 या अनुच्छेद 32 के तहत याचिका करने वाला सत्यवादी, स्पष्टवादी व विवर्त होना चाहिए. वस्तुगत तथ्यों को याचिका में उद्घाटित करना चाहिए, लुकाछिपी या छांटना व चुनने की अनुमति नहीं दी जा सकती. तथ्य पर पर्दा डालने व संपूर्ण तथ्य प्रकट न करने वाले के पक्ष में अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इस मामले में ऐसा ही है.

कोर्ट ने कहा कि दो बार याचिका की गई. पहली प्रत्यावेदन तय करने के निर्देश के साथ निस्तारित कर दी गई थी. निरस्त होने पर दोबारा यह याचिका की गई है, वह भी अधूरे तथ्यों के साथ. याचिका के साथ प्रत्यावेदन ही नहीं लगाया है और वरिष्ठता तय करने से प्रभावित होने वालों को पक्षकार नहीं बनाया गया है. कुछ लोगों को ही पक्षकार बनाया गया है, जिन्हें अभी तक नोटिस नहीं जारी किया गया. याचिकाएं नौ साल से लंबित हैं. इस पर कोर्ट ने मेरिट पर आदेश न देकर याचियों की वरिष्ठता निर्धारित करने पर आपत्ति का निस्तारण करने का निर्देश दिया है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर हाईस्कूल के अध्यापकों की वरिष्ठता विवाद को लेकर नौ वर्ष से विचाराधीन 36 याचिकाओं को गुण-दोष के आधार पर निस्तारित करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचियों से नए सिरे से आपत्ति दाखिल करने को कहा है. सथा ही कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग वरिष्ठता निर्धारित करने से प्रभावित होने वालों को नोटिस जारी कर उनके जवाब पर विचार कर‌ नियमानुसार निर्णय ले. कोर्ट ने कहा कि आधे-अधूरे तथ्यों व मांग के साथ दाखिल याचिकाओं पर यथोचित अनुतोष नहीं दिया जा सकता.

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जो अध्यापक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इस निर्णय का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने तपेशर राम व अन्य सहित 36 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है. कोर्ट ने अनिल कुमार यादव केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 या अनुच्छेद 32 के तहत याचिका करने वाला सत्यवादी, स्पष्टवादी व विवर्त होना चाहिए. वस्तुगत तथ्यों को याचिका में उद्घाटित करना चाहिए, लुकाछिपी या छांटना व चुनने की अनुमति नहीं दी जा सकती. तथ्य पर पर्दा डालने व संपूर्ण तथ्य प्रकट न करने वाले के पक्ष में अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इस मामले में ऐसा ही है.

कोर्ट ने कहा कि दो बार याचिका की गई. पहली प्रत्यावेदन तय करने के निर्देश के साथ निस्तारित कर दी गई थी. निरस्त होने पर दोबारा यह याचिका की गई है, वह भी अधूरे तथ्यों के साथ. याचिका के साथ प्रत्यावेदन ही नहीं लगाया है और वरिष्ठता तय करने से प्रभावित होने वालों को पक्षकार नहीं बनाया गया है. कुछ लोगों को ही पक्षकार बनाया गया है, जिन्हें अभी तक नोटिस नहीं जारी किया गया. याचिकाएं नौ साल से लंबित हैं. इस पर कोर्ट ने मेरिट पर आदेश न देकर याचियों की वरिष्ठता निर्धारित करने पर आपत्ति का निस्तारण करने का निर्देश दिया है.

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