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भीषण गर्मी में प्यासा रेगिस्तान का जहाज, देगराय ओरण क्षेत्र के तालाब सूखे - camels are facing water crisis - CAMELS ARE FACING WATER CRISIS

जैसलमेर जिले में इन पानी का संकट है. खेतों और जंगलों में बने तालाब सूख चुके हैं या सूखने की कगार है. ऐसे में राज्य पशु ऊंट और अन्य पशुओं के सामने पीने के पानी का संकट गहरा गया है.

Camels are facing water crisis in Jaisalmer
भीषण गर्मी में प्यासा रेगिस्तान का जहाज (photo etv bharat jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 15, 2024, 1:26 PM IST

Updated : May 15, 2024, 2:15 PM IST

देगराय ओरण क्षेत्र के तालाब सूखे (photo etv bharat jaisalmer)

जैसलमेर. रेगिस्तान का जहाज ऊंट इन दिनों प्यासा है. जिले के देगराय ओरण क्षेत्र में ज्यादा संकट है. इस ओरण क्षेत्र के 35 में से 32 तालाब सूख चुके हैं. शेष तीन तालाब भी सूखने की कगार पर है. इस वजह से ओरण के 5 हजार ऊंटों के सामने पेयजल संकट गहरा गया है.

जिले में करीब 35 हजार से ज्यादा ऊंट है, जिसमें से 5 हजार अकेले देगराय ओरण में रहते हैं. यहां के 35 में से तीन तालाब सुतराड़ी - पड़ियाड़ी व साबड़ासर में ही पानी है. इसमें भी सुतराड़ी में 10 दिन का, पड़ियाड़ी 15 दिन का और साबड़ासर में करीब डेढ़ माह का पानी बचा है. अब ऊंटपालक चिंतित है कि इस भीषण गर्मी में 5 हजार ऊंटों की प्यास कैसे बुझ पाएगी.

पढ़ें: जैसलमेर: देगराय ओरण में हाईटेंशन तार से टकराने से 2 दुर्लभ प्रवासी पक्षियों की मौत

जिले का सबसे बड़ा ओरण क्षेत्र है देगराय: पशुपालक उतमाराम ने बताया कि देगराय ओरण जिले का सबसे बड़ा ओरण क्षेत्र है. इस ओरण में ऊंटों के अलावा 50 हजार से अधिक भेड़ बकरी और 6 हजार से ज्यादा गायें हैं. ये पशु भी इन तीन तालाबों पर निर्भर है. इन तालाबों के सूखने पर इनके सामने भी पेयजल संकट गहरा जाएगा.

कम पानी में जी सकता है ऊंट: यह राज्य पशु रेगिस्तान की पारिस्थितिकी के हिसाब से ही बना है. यह कम पानी में जी सकता है. सर्दी में तीन दिनों में एक बार और गर्मी में एक दिन में एक बार पानी पीता है. गर्मी के मौसम में एक बार में ऊंट करीब 150 लीटर तक पानी पी लेता है.

यह भी पढ़ें: जैसलमेर : देगराय ओरण में NGT के आदेशों की अवमानना, रोक के बावजूद हो रहे कार्य

दस हजार हेक्टयर में फैला है देगराय ओरण: यह ओरण करीब 10 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है. इस परिधि में करीब 10 गांव आते हैं. ऐसे में सभी में पानी की समस्या नासूर बन चुकी हैं. इन दिनों गांवों में पेयजल संकट गहराया हुआ है. ऐसे में पशुपालक उनको पानी पिलाने में सक्षम ही नहीं है. ओरण के 35 तालाब ही वर्षों से इन ऊंटों की प्यास बुझाते आ रहे हैं. तालाब सूख जाने पर अब तीन तालाबों पर 10 से 15 किमी का सफर तय करके ऊंट अपनी प्यास बुझाने आ रहे हैं.

देवीकोट इलाके में कम बरसा पानी: 35 तालाबों में से अधिकांश तालाब 6 माह में सूख जाते हैं, लेकिन 7 से 8 तालाबों में गर्मी के दिनों में पानी रहता है. गत बार देवीकोट रेनगेज इलाके में केवल 88 एमएम बारिश ही हुई. इस रेनगेज से ही इन तालाबों में पानी की आवक होती है, लेकिन इस बार वह बहुत कम हुई. इस वजह से इस बार 32 तालाब अप्रैल में ही सूख गए.

देगराय ओरण क्षेत्र के तालाब सूखे (photo etv bharat jaisalmer)

जैसलमेर. रेगिस्तान का जहाज ऊंट इन दिनों प्यासा है. जिले के देगराय ओरण क्षेत्र में ज्यादा संकट है. इस ओरण क्षेत्र के 35 में से 32 तालाब सूख चुके हैं. शेष तीन तालाब भी सूखने की कगार पर है. इस वजह से ओरण के 5 हजार ऊंटों के सामने पेयजल संकट गहरा गया है.

जिले में करीब 35 हजार से ज्यादा ऊंट है, जिसमें से 5 हजार अकेले देगराय ओरण में रहते हैं. यहां के 35 में से तीन तालाब सुतराड़ी - पड़ियाड़ी व साबड़ासर में ही पानी है. इसमें भी सुतराड़ी में 10 दिन का, पड़ियाड़ी 15 दिन का और साबड़ासर में करीब डेढ़ माह का पानी बचा है. अब ऊंटपालक चिंतित है कि इस भीषण गर्मी में 5 हजार ऊंटों की प्यास कैसे बुझ पाएगी.

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जिले का सबसे बड़ा ओरण क्षेत्र है देगराय: पशुपालक उतमाराम ने बताया कि देगराय ओरण जिले का सबसे बड़ा ओरण क्षेत्र है. इस ओरण में ऊंटों के अलावा 50 हजार से अधिक भेड़ बकरी और 6 हजार से ज्यादा गायें हैं. ये पशु भी इन तीन तालाबों पर निर्भर है. इन तालाबों के सूखने पर इनके सामने भी पेयजल संकट गहरा जाएगा.

कम पानी में जी सकता है ऊंट: यह राज्य पशु रेगिस्तान की पारिस्थितिकी के हिसाब से ही बना है. यह कम पानी में जी सकता है. सर्दी में तीन दिनों में एक बार और गर्मी में एक दिन में एक बार पानी पीता है. गर्मी के मौसम में एक बार में ऊंट करीब 150 लीटर तक पानी पी लेता है.

यह भी पढ़ें: जैसलमेर : देगराय ओरण में NGT के आदेशों की अवमानना, रोक के बावजूद हो रहे कार्य

दस हजार हेक्टयर में फैला है देगराय ओरण: यह ओरण करीब 10 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है. इस परिधि में करीब 10 गांव आते हैं. ऐसे में सभी में पानी की समस्या नासूर बन चुकी हैं. इन दिनों गांवों में पेयजल संकट गहराया हुआ है. ऐसे में पशुपालक उनको पानी पिलाने में सक्षम ही नहीं है. ओरण के 35 तालाब ही वर्षों से इन ऊंटों की प्यास बुझाते आ रहे हैं. तालाब सूख जाने पर अब तीन तालाबों पर 10 से 15 किमी का सफर तय करके ऊंट अपनी प्यास बुझाने आ रहे हैं.

देवीकोट इलाके में कम बरसा पानी: 35 तालाबों में से अधिकांश तालाब 6 माह में सूख जाते हैं, लेकिन 7 से 8 तालाबों में गर्मी के दिनों में पानी रहता है. गत बार देवीकोट रेनगेज इलाके में केवल 88 एमएम बारिश ही हुई. इस रेनगेज से ही इन तालाबों में पानी की आवक होती है, लेकिन इस बार वह बहुत कम हुई. इस वजह से इस बार 32 तालाब अप्रैल में ही सूख गए.

Last Updated : May 15, 2024, 2:15 PM IST
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