देहरादून: अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के लिए जीने वाले रतन टाटा ने हर राज्य में कुछ न कुछ ऐसा काम किया है, जिसे लेकर उन्हें हर कोई याद कर रहा है. उत्तराखंड से भी रतन टाटा की यादें जुड़ी हुई है. रतन टाटा ने उत्तराखंड को ऐसे कई प्रोजेक्ट दिए, जिसमें आज भी सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं.
उत्तराखंड के लिए हमेशा से खड़े रहने वाले रतन टाटा उधमसिंह नगर से लेकर हरिद्वार तक ऐसा काम कर गए, जिसकी वजह से आज इन दोनों ही शहरों की औद्योगिक पहचान है. इतना ही नहीं रतन टाटा उत्तराखंड के लिए कई ऐसे प्रोजेक्ट को मंजूरी देकर गए, जो जल्द ही धरातल पर उतरने वाले हैं.
— Tata Group (@TataCompanies) October 9, 2024
नैनो कार का है उत्तराखंड से खास कनेक्शन: उद्योगपति रतन टाटा ने उत्तराखंड के उधमसिंह नगर और हरिद्वार जैसे शहरों में कई प्लांट लगाए. साल 2008 में जब पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो कार के प्लांट का विरोध हुआ तो उन्होंने किसी अन्य राज्य में प्लांट लगाने की बजाए उत्तराखंड का ही रुख किया था.
उत्तराखंड को रतन टाटा ने सुरक्षित और अपने ड्रीम प्रोजेक्ट नैनो कार के लिए बेहतर माना था. यही कारण है कि साल 2009 में वे यहां आए और उधमसिंह नगर के पंतनगर स्थित सिडकुल में नैनो कार को तैयार किया था. खास बात ये है कि खुद रतन टाटा इस प्रोजेक्ट के लिए उत्तराखंड आए थे.
रतन टाटा की कंपनी पंतनगर में पहले से ही काम कर रही थी, लेकिन यहां पर ट्रक बनाने का काम हुआ करता था. बावजूद इसके उन्होंने यहीं पर नैनो कार का उत्पादन किया और साल 2009 में जब पहली कार लॉन्च हुई तो उन्होंने खुद कार के मालिक अशोक विचेरा को चाबी दी थी.
हर सीएम की उम्मीद को रतन टाटा ने किया पूरा: उत्तराखंड में बीजेपी हो या कांग्रेस की सरकार. जब-जब भी उद्योग लगाने की बात आती तो हर मुख्यमंत्री रतन टाटा के पास जरूर पहुंचता. तब-तब रतन टाटा ने उत्तराखंड के लिए कुछ न कुछ दिया.
उत्तराखंड बनने से लेकर आज तक जितने भी मुख्यमंत्री रतन टाटा मिले और उन्होंने जो भी मांगा, उसे रतन टाटा मना नहीं कर पाए. यही कारण है कि जब रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री थे, तब उनके आग्रह पर रतन टाटा ने हरिद्वार और उधमसिंह नगर में कई यूनिट लगाई.
निशंक के बुलावे पर आए थे रतन टाटा: बात 9 नवंबर 2010 यानी उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की है. जब निशंक सरकार ने एक कार्यक्रम आयोजित कर रतन टाटा को सम्मानित करने का मन बनाया. तब तत्कालीन सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के भेजे आमंत्रण पत्र को रतन टाटा ने न केवल स्वीकार किया. बल्कि, खुद वे सम्मान को लेने के लिए देहरादून में पहुंचे थे.
रमेश पोखरियाल निशंक बताते हैं वो उनसे (रतन टाटा) से कई बार मिले, लेकिन वो उनसे हुए मुलाकातों को कभी नहीं भूल सकते. जब रतन टाटा उनके सरकारी आवास पर पहुंचे थे, तब उनका उत्तराखंड के पर्यावरण के प्रति लगाव देखने को मिला था. रतन टाटा की रुचि साहित्य, कला, संस्कृति और योग के साथ ध्यान में भी देखने को मिली थी.
धामी के पत्र के बाद ये काम कर गए रतन टाटा: मौजूदा सरकार में भी हाल ही के महीनों में रतन टाटा ने उत्तराखंड को कई सौगातें दी. बीते अगस्त महीने में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टाटा ग्रुप को पत्र भेजा था. जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया था. उन्होंने पत्र के जवाब में उत्तराखंड की करीब 4 हजार महिलाओं को नौकरी देने का फैसला किया था.
टाटा ग्रुप ने उत्तराखंड सरकार को जो पत्र भेजा था, उसमें कहा गया था कि कर्नाटक और तमिलनाडु में लगे प्लांट में उत्तराखंड की 4 हजार महिलाओं को नौकरी पर रखा जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने भी उन्हें धन्यवाद पत्र भेजा था. बकायदा पत्राचार होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रतन टाटा और उनके ग्रुप का धन्यवाद किया था.
उधमसिंह नगर में इलेक्ट्रॉनिक सिटी का तोहफा: रतन टाटा ही थे, जिन्होंने जाने से पहले उत्तराखंड को इलेक्ट्रॉनिक सिटी का एक तोहफा भी दिया. हालांकि, अभी इस प्रोजेक्ट में काम शुरू हुआ है, लेकिन आने वाले समय में जब यह काम पूरा हो जाएगा तो उत्तराखंड के कुमाऊं और खासकर उधम सिंह नगर के आसपास के हालात पूरी तरह से बदल जाएंगे.
सरकार ने एक इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाने का आग्रह किया था. जिस पर टाटा ग्रुप ने हामी भरी. अब करीब 350 एकड़ भूमि पर इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनाया जाना है. जहां चिप और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तैयार होगी. राज्य सरकार की मानें तो इससे 10 हजार युवाओं को इलेक्ट्रॉनिक सिटी में नौकरी के अवसर मिलेंगे. बीते साल हुई उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान टाटा ग्रुप की तरफ से आए प्रतिनिधि ने इस योजना के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी थी.
अनिल बलूनी को इसलिए लिखा था पत्र: ये बात किसी से छुपी नहीं है कि देश के कई राज्यों में कैंसर समेत गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बनाए टाटा ग्रुप के अस्पताल शानदार काम कर रहे हैं. इसी को लेकर उत्तराखंड के पूर्व में राज्यसभा सांसद रहे और मौजूदा समय में गढ़वाल सीट से लोकसभा सांसद अनिल बलूनी ने भी रतन टाटा से मुलाकात की थी. जिस पर साल 2017 में टाटा ग्रुप ने उत्तराखंड में एक कैंसर अस्पताल बनाने की हामी भरी थी.
वहीं, पत्राचार और व्यक्तिगत मुलाकात के बाद अनिल बलूनी को खुद रतन टाटा ने एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने ये आश्वासन दिया था कि वो उत्तराखंड में कैंसर अस्पताल के लिए हर संभव सहयोग करने के लिए तैयार हैं. यह चर्चा तब हुई थी, जब खुद अनिल बलूनी कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे.
ये भी पढ़ें-
- उत्तराखंड की 4 हजार महिलाओं को जॉब देगा TATA ग्रुप, रहना-खाना फ्री, ऐसे करें अप्लाई
- रतन टाटा ने भारत में क्यों लॉन्च की थी Tata Nano, जानिए कैसे हो गई बाजार से गायब
- क्यों हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को छोड़ना चाहते थे रतन टाटा? कैलेंडर पर हर दिन लगाते थे क्रॉस का निशान
- शराब-सिगरेट से दूर रहने वाले टाटा के सबसे करीबी कौन थे, यहां पढ़ें किस गाड़ी में जाते थे स्कूल