बुरहानपुर। बुरहानपुर की इंदिरा कॉलोनी में रहने वाले युवा बिजनेसमैन आकाश अग्रवाल ने जिद और जुनून के चलते 21 हजार फीट की ऊंचे खतरनाक एवरेस्ट पर चढ़ाई पूरी की है. हिमाचल प्रदेश के कोमिक गांव की चौ-चौ कांग निल्डा जिसे 'गुआन नेल्डा' या 'आसमान में नीला चाँद' के नाम से भी जाना जाता है, इस पहाड़ पर चढ़ने वाले ये दूसरे भारतीयों का दल है. इससे पहले 1988 में भारतीय दल ने चढ़ाई पूरी की थी. अब तक इस चोटी पर केवल 4 दलों ने ही पहुंचने में सफलता हासिल की है. इसमे दो दल भारतीयों के शामिल हैं.
एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले कड़ा इम्तिहान
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए युवाओं को पहले कड़े इम्तिहान से गुजरना पड़ा. रोजाना 10 किमी की रनिंग और वह भी 10 किलो वजन टांगकर. फिर कई स्वास्थ्य परीक्षण कराने पड़े. इसके बाद वहां के जिला प्रशासन और सेना की अनुमति के बाद ट्रैकिंग और क्लाइबिंग करने का सपना पूरा हो सका है. इस चोटी पर चढ़कर युवाओं के इस दल ने तिरंगा लहराया है. इसके लिए उन्हें 8 दिन का समय लगा. इस प्रकार बुरहानपुर के आकाश अग्रवाल ने ट्रैकिंग और क्लाइबिंग में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
9 सदस्यीय दल में शामिल हुए आकाश अग्रवाल
दरअसल, 9 सदस्यीय दल ने विश्व की सबसे ऊंची और खतरनाक पहाड़ी की चढ़ाई की है. इस उपलब्धि पर उनकी टीम का हिमाचल की सरकार ने स्वागत किया है. उन्होंने जिद और जुनून से अब तक कई देशों में सफल ट्रैकिंग और क्लाइबिंग का परचम लहराया है. इस उपलब्धि से बुरहानपुर के साथ ही पूरा प्रदेश गौरान्वित हुआ है. उनके परिजन बेटे की उपलब्धि से बेहद खुश हैं. समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने आकाश अग्रवाल का फूलमाला पहनाकर सत्कार किया है.
आकाश ने साल 2016 से की थी शुरुआत
आकाश अग्रवाल ने बताया "ट्रैकिंग और क्लाइबिंग की शुरुआत 2016 से की थी. अब तक वे 16 जगहों पर ट्रैकिंग और क्लाइबिंग कर चुके हैं. हाल ही में उन्होंने चौ-चौ कांग गिल्डा पर 21 हजार फीट की चढ़ाई करके इतिहास रचा है. वहां का ऑक्सीजन लेवल से बेहद कम है. बावजूद इसके इस उपलब्धि को अपने नाम किया है. इस उपलब्धि के लिए उन्हें 3 महीने की कड़ी मेहनत से होकर गुजरना पड़ा है. रोजाना सुबह शाम जमकर अभ्यास किया.ठ