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400 साल से अंडरग्राउंड बह रहा खूनी भंडारा का पानी, 40 हजार घरों की बुझा रहा प्यास - mp burhanpur updates

Kundi bhandara history & facts : विश्व प्रसिद्ध भूमिगत जल वितरण प्रणाली कुंडी भंडारा (Kundi Bhandara) को खूनी भंडारा (KhoonI Bhandra) भी कहा जाता है. इसे यूनेस्को की अस्थाई सूची में शामिल किया गया है.

Kundi bhandara history & facts
40 हजार घरों की आज भी प्यास बुझा रहा ये विश्व धरोहर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 4:48 PM IST

Updated : Mar 15, 2024, 5:23 PM IST

यूनेस्को की सूची में शामिल होने पर ये बोलीं अर्चना चिटनिस

बुरहानपुर. जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर लालबाग में सतपुड़ा पहाड़ी क्षेत्र में विश्व प्रसिध्द भूमिगत जल वितरण प्रणाली कुंडी भंडारा (खूनी भंडारा) स्थित है. 400 साल पुराने इस अंडर ग्राअंड वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से आज भी मिनरल वॉटर जितना साफ पानी मिलता है. लगभग चार सौ साल पहले मुगल शासकों के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने बुरहानपुर में सूबेदार रहते हुए इस जलसंरचना का निर्माण कराया था.

आज भी 40 हजार घरों को पानी हो रहा सप्लाई

विश्व प्रसिद्ध भूमिगत जल वितरण प्रणाली कुंडी भंडारा (Kundi Bhandara) को खूनी भंडारा (KhoonI Bhandra) भी कहा जाता है. इसमें करीब 108 कुंडिया बनाई गई थीं. इस भूमिगत जल संरचना से आज भी पानी की अविरल धारा बह रही है, इससे उपनगर लालबाग के 40 हजार से ज्यादा घरों तक आज भी शुद्ध पानी पहुंच रहा है. करीब 15 साल के प्रयास के बाद यूनेस्को ने अपनी अस्थाई सूची में बुरहानपुर के खूनी भंडारा समेत 6 धरोहरों को शामिल किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने ट्वीटर हैंडल पर यह जानकारी देकर बधाई दी है.

कुंडी भंडारा को खूनी भंडारा क्याें कहते हैं?

दरअसल, यहां बहने वाले पानी का रंग हल्का गुलाबी और लाल सा दिखाई पड़ता है, जिसकी वजह से लोग इसे कुंडी भंडारा की जगह खूनी भंडारा भी कहने लगे थे. सबसे चौंकाने वाली बात है कि यहां के पानी का पीएच लेवल 7.2 से 7.5 के बीच है. जबकि आमतौर पर पानी का औसत पीएच लेवल 7.8 से 8.2 होता है. कहा जाता है कि मुगलों ने अपने शासन काल में बुरहानपुर पर काफी ध्यान दिया था, क्योंकि यह दक्षिण भारत में उनके फैलाव का एक आधार था.

फारसी वैज्ञानिक ने की थी मुघलों की मदद

इतिहासकार बताते हैं कि यह शहर ताप्ती और उतावली नदी के किनारे बसा है और यहां सालाना औसतन 880 मिलीमीटर वर्षा ही होती है. उस दौर में मुगल सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना को यही चिंता थी कि किस तरह से वह अपनी दो लाख की सेना के लिए पानी और अन्य संसाधनों की व्यवस्था करे. खानखाना ने दिमाग लगाया कि पीने के पानी की व्यवस्था भूमिगत जल व्यवस्था हो, जिससे शत्रु उनके पेयजल में जहर भी न मिला सके. इसके बाद फारसी भू-वैज्ञानिक तबकुतुल अर्ज ने सन् 1615 में कुंडी भंंडारा का निर्माण किया.

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दुनिया में मध्यप्रदेश की धाक, छह धरोहर यूनेस्को की सूची में शामिल, जानिये आखिर क्यों खास हैं यह धरोहर

यूनेस्को की सूची में शामिल होने पर ये बोलीं अर्चना चिटनिस

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनिस ने कुंडी भंडारा के यूनेस्को में शामिल होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा- ' यूनेस्को ने अपने अस्थाई सूची मे कुंडी भंडारा को शामिल किया है, इसके बाद अब कुंडी भंडारा का यूनेस्कों की स्थाई सूची में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है, अब देशी-विदेशी सैलानियों के साथ-साथ पानी पर शोध करने वाले देशी-विदेशी शोधकर्ता भी इस स्थल का रूख करेंगे, जिसके लिए शासन प्रशासन स्तर पर हमें काफी तैयारी करनी होगी.'

यूनेस्को की सूची में शामिल होने पर ये बोलीं अर्चना चिटनिस

बुरहानपुर. जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर लालबाग में सतपुड़ा पहाड़ी क्षेत्र में विश्व प्रसिध्द भूमिगत जल वितरण प्रणाली कुंडी भंडारा (खूनी भंडारा) स्थित है. 400 साल पुराने इस अंडर ग्राअंड वॉटर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से आज भी मिनरल वॉटर जितना साफ पानी मिलता है. लगभग चार सौ साल पहले मुगल शासकों के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने बुरहानपुर में सूबेदार रहते हुए इस जलसंरचना का निर्माण कराया था.

आज भी 40 हजार घरों को पानी हो रहा सप्लाई

विश्व प्रसिद्ध भूमिगत जल वितरण प्रणाली कुंडी भंडारा (Kundi Bhandara) को खूनी भंडारा (KhoonI Bhandra) भी कहा जाता है. इसमें करीब 108 कुंडिया बनाई गई थीं. इस भूमिगत जल संरचना से आज भी पानी की अविरल धारा बह रही है, इससे उपनगर लालबाग के 40 हजार से ज्यादा घरों तक आज भी शुद्ध पानी पहुंच रहा है. करीब 15 साल के प्रयास के बाद यूनेस्को ने अपनी अस्थाई सूची में बुरहानपुर के खूनी भंडारा समेत 6 धरोहरों को शामिल किया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने ट्वीटर हैंडल पर यह जानकारी देकर बधाई दी है.

कुंडी भंडारा को खूनी भंडारा क्याें कहते हैं?

दरअसल, यहां बहने वाले पानी का रंग हल्का गुलाबी और लाल सा दिखाई पड़ता है, जिसकी वजह से लोग इसे कुंडी भंडारा की जगह खूनी भंडारा भी कहने लगे थे. सबसे चौंकाने वाली बात है कि यहां के पानी का पीएच लेवल 7.2 से 7.5 के बीच है. जबकि आमतौर पर पानी का औसत पीएच लेवल 7.8 से 8.2 होता है. कहा जाता है कि मुगलों ने अपने शासन काल में बुरहानपुर पर काफी ध्यान दिया था, क्योंकि यह दक्षिण भारत में उनके फैलाव का एक आधार था.

फारसी वैज्ञानिक ने की थी मुघलों की मदद

इतिहासकार बताते हैं कि यह शहर ताप्ती और उतावली नदी के किनारे बसा है और यहां सालाना औसतन 880 मिलीमीटर वर्षा ही होती है. उस दौर में मुगल सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना को यही चिंता थी कि किस तरह से वह अपनी दो लाख की सेना के लिए पानी और अन्य संसाधनों की व्यवस्था करे. खानखाना ने दिमाग लगाया कि पीने के पानी की व्यवस्था भूमिगत जल व्यवस्था हो, जिससे शत्रु उनके पेयजल में जहर भी न मिला सके. इसके बाद फारसी भू-वैज्ञानिक तबकुतुल अर्ज ने सन् 1615 में कुंडी भंंडारा का निर्माण किया.

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यूनेस्को की सूची में शामिल होने पर ये बोलीं अर्चना चिटनिस

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व बुरहानपुर विधायक अर्चना चिटनिस ने कुंडी भंडारा के यूनेस्को में शामिल होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा- ' यूनेस्को ने अपने अस्थाई सूची मे कुंडी भंडारा को शामिल किया है, इसके बाद अब कुंडी भंडारा का यूनेस्कों की स्थाई सूची में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है, अब देशी-विदेशी सैलानियों के साथ-साथ पानी पर शोध करने वाले देशी-विदेशी शोधकर्ता भी इस स्थल का रूख करेंगे, जिसके लिए शासन प्रशासन स्तर पर हमें काफी तैयारी करनी होगी.'

Last Updated : Mar 15, 2024, 5:23 PM IST
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