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फसलों को बचाने बुंदेलखंड के किसान का जुगाड़, कांच की बोतलों की आवाज कर भगा रहे जानवर - animal run away from glass bottle

Sagar Farmers Jugaad: कई बार जानवर किसानों की फसलों को खराब कर देते हैं. जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए सागर में किसान कई देसी जुगाड़ अपना रहे हैं. ऐसा ही एक जुगाड़

sagar farmers jugaad
फसलों को बचाने बुंदेलखंड के किसान का जुगाड़
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 12, 2024, 8:41 PM IST

Updated : Feb 12, 2024, 10:51 PM IST

फसलों को बचाने बुंदेलखंड के किसान का जुगाड़

सागर। सरकार भले ही किसानों की हरसंभव मदद का दावा करे, लेकिन कई ऐसी समस्याएं हैं. जिनमें किसानों को सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिलती है. फसल की बुवाई से लेकर फसल पकने तक फसलों की सुरक्षा के लिए किसानों को तरह-तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है. खाद, बीज, पानी और कीटनाशक की व्यवस्था के बाद जैसे-तैसे फसल तैयार होती है, तो फसलों के लिए जानवरों से बचाना बड़ी चुनौती होती है. बुंदेलखंड के किसान भी इसी समस्या से काफी परेशान रहते हैं. इन समस्याओं से निजात पाने किसान तरह-तरह की जुगाड़ करते हैं.

ऐसे में गरीब किसान, जो फेसिंग का खर्चा नहीं उठा पाते हैं, वो जुगाड़ के जरिए अपनी फसलों को जानवरों से बचाते हैं. बुंदेलखंड के किसानों ने एक ऐसा ही सस्ता और कारगर उपाय अपनाया है. किसान खराब बोतल और नटवोल्ट के जरिए अपनी फसलों को जानवरों से बचा रहे हैं.

बुंदेलखंड के किसानों की जुगाड़

बुंदेलखंड में जिन इलाकों में खेती की जमीन जंगल से लगी होती है. उन इलाकों की सबसे बड़ी समस्या फसलों को जानवरों द्वारा उजाड़ देना है. संपन्न किसान तो फसलों की रक्षा फेसिंग लगाकर कर लेते हैं, लेकिन छोटे और मझोले किसान ज्यादा लागत के कारण फसलों की सुरक्षा के लिए फेंसिंग कराने में सक्षम नहीं होते हैं. ऐसे में सागर जिले के रहली विकासखंड के पाटई गांव के किसानों ने जुगाड़ से फसलों को सुरक्षित करने का तरीका अपनाया है. किसान अपने खेतों में कांच की खाली बोतल और बोतल के पास कील या नट बोल्ट टांग देते हैं.

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किसानों ने टांगी कांच को बोतलें

जब हवा चलती है, तो नट बोल्ट बोतल से टकराता है और आवाज करता है, तो फसल को खाने वाले जानवर भाग खडे़ होते हैं. इस जुगाड़ में किसान का कोई पैसा खर्च नहीं होता है, क्योंकि कांच की खाली बोतल आसानी से मिल जाती है और बेकार पडे़ नट बोल्ट भी आसानी से मिल जाते हैं. जिन्हें एक लकडी के सहारे टांग दिया जाता है.

किन जानवरों से परेशान रहते हैं किसान

दरअसल जिस इलाके में किसानों ने फसलों को बचाने के लिए जुगाड़ तैयार किया है. वो जंगल से लगा हुआ इलाका है. किसान जैसे-तैसे अपने पालतू मवेशियों से तो फसलों को बचा लेते हैं, लेकिन समूह में फसलों पर हमला करने वाले जंगली जानवरों से बचाना काफी मुश्किल होता है. जंगल से सांभर, चीतल, हिरणों के झुंड फसलों पर हमला तो करते ही हैं. इन सबसे ज्यादा खतरनाक जंगली सुअर होता है, जो अक्सर रात में झुंड में हमला करते हैं और सुबह होने तक फसल को तहस नहस करके चल जाते हैं.

ऐसे में फसलों को बचाने के लिए किसानों को तरह-तरह के जुगाड़ करना होता है. बुंदेलखंड में जंगली सुअर से फसलों को बचाने के लिए किसान पटाखे फोडते हैं. तेज आवाज में गाने बजाते हैं, क्योंकि किसान जंगली सुअर को मार नहीं सकते हैं. ऐसे में उन्हें अपनी फसल और अपने आप को बचाने के लिए तरह-तरह के जुगाड़ करना होती है.

मध्य प्रदेश में नहीं लागू कोई योजना

जहां तक बात करें तो देश के कई राज्यों में जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए किसानों को फेंसिंग लगाने के लिए अनुदान दिया जाता है. मध्य प्रदेश कृषि विभाग में इस तरह की कोई योजना नहीं है. उद्यानिकी विभाग में पिछली सरकार के कार्यकाल में कुछ इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ये योजना जरूर लागू की गई थी. इतना जरूर है कि वन विभाग जंगल की सीमा से लगे किसानों को फेंसिंग करने के लिए मामूली आर्थिक मदद जरूर करता है.

यहां पढ़ें...

क्या कहता है कृषि विभाग

सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत कहते हैं कि जंगली इलाकों से लगे किसानों को फेंसिंग लगाने के लिए वन विभाग आर्थिक मदद करता है, लेकिन कृषि विभाग में इस तरह की कोई योजना नहीं है. इसलिए किसान अपनी फसलों को जानवरों से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं. जहां तक दूसरे उपायों की बात है, तो जंगली जानवरों को फसलों से बचाने के लिए मट्ठे को सड़ाकर खेत की मेड़ों पर डालने से जानवर नहीं आते हैं. इसके अलावा गौमूत्र को करीब 15 दिन रखने के बाद मेड़ पर डाल देते हैं. साथ ही चमकीली चीजें भी जानवरों को रोकने में मददगार होते हैं.

फसलों को बचाने बुंदेलखंड के किसान का जुगाड़

सागर। सरकार भले ही किसानों की हरसंभव मदद का दावा करे, लेकिन कई ऐसी समस्याएं हैं. जिनमें किसानों को सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिलती है. फसल की बुवाई से लेकर फसल पकने तक फसलों की सुरक्षा के लिए किसानों को तरह-तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है. खाद, बीज, पानी और कीटनाशक की व्यवस्था के बाद जैसे-तैसे फसल तैयार होती है, तो फसलों के लिए जानवरों से बचाना बड़ी चुनौती होती है. बुंदेलखंड के किसान भी इसी समस्या से काफी परेशान रहते हैं. इन समस्याओं से निजात पाने किसान तरह-तरह की जुगाड़ करते हैं.

ऐसे में गरीब किसान, जो फेसिंग का खर्चा नहीं उठा पाते हैं, वो जुगाड़ के जरिए अपनी फसलों को जानवरों से बचाते हैं. बुंदेलखंड के किसानों ने एक ऐसा ही सस्ता और कारगर उपाय अपनाया है. किसान खराब बोतल और नटवोल्ट के जरिए अपनी फसलों को जानवरों से बचा रहे हैं.

बुंदेलखंड के किसानों की जुगाड़

बुंदेलखंड में जिन इलाकों में खेती की जमीन जंगल से लगी होती है. उन इलाकों की सबसे बड़ी समस्या फसलों को जानवरों द्वारा उजाड़ देना है. संपन्न किसान तो फसलों की रक्षा फेसिंग लगाकर कर लेते हैं, लेकिन छोटे और मझोले किसान ज्यादा लागत के कारण फसलों की सुरक्षा के लिए फेंसिंग कराने में सक्षम नहीं होते हैं. ऐसे में सागर जिले के रहली विकासखंड के पाटई गांव के किसानों ने जुगाड़ से फसलों को सुरक्षित करने का तरीका अपनाया है. किसान अपने खेतों में कांच की खाली बोतल और बोतल के पास कील या नट बोल्ट टांग देते हैं.

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किसानों ने टांगी कांच को बोतलें

जब हवा चलती है, तो नट बोल्ट बोतल से टकराता है और आवाज करता है, तो फसल को खाने वाले जानवर भाग खडे़ होते हैं. इस जुगाड़ में किसान का कोई पैसा खर्च नहीं होता है, क्योंकि कांच की खाली बोतल आसानी से मिल जाती है और बेकार पडे़ नट बोल्ट भी आसानी से मिल जाते हैं. जिन्हें एक लकडी के सहारे टांग दिया जाता है.

किन जानवरों से परेशान रहते हैं किसान

दरअसल जिस इलाके में किसानों ने फसलों को बचाने के लिए जुगाड़ तैयार किया है. वो जंगल से लगा हुआ इलाका है. किसान जैसे-तैसे अपने पालतू मवेशियों से तो फसलों को बचा लेते हैं, लेकिन समूह में फसलों पर हमला करने वाले जंगली जानवरों से बचाना काफी मुश्किल होता है. जंगल से सांभर, चीतल, हिरणों के झुंड फसलों पर हमला तो करते ही हैं. इन सबसे ज्यादा खतरनाक जंगली सुअर होता है, जो अक्सर रात में झुंड में हमला करते हैं और सुबह होने तक फसल को तहस नहस करके चल जाते हैं.

ऐसे में फसलों को बचाने के लिए किसानों को तरह-तरह के जुगाड़ करना होता है. बुंदेलखंड में जंगली सुअर से फसलों को बचाने के लिए किसान पटाखे फोडते हैं. तेज आवाज में गाने बजाते हैं, क्योंकि किसान जंगली सुअर को मार नहीं सकते हैं. ऐसे में उन्हें अपनी फसल और अपने आप को बचाने के लिए तरह-तरह के जुगाड़ करना होती है.

मध्य प्रदेश में नहीं लागू कोई योजना

जहां तक बात करें तो देश के कई राज्यों में जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए किसानों को फेंसिंग लगाने के लिए अनुदान दिया जाता है. मध्य प्रदेश कृषि विभाग में इस तरह की कोई योजना नहीं है. उद्यानिकी विभाग में पिछली सरकार के कार्यकाल में कुछ इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ये योजना जरूर लागू की गई थी. इतना जरूर है कि वन विभाग जंगल की सीमा से लगे किसानों को फेंसिंग करने के लिए मामूली आर्थिक मदद जरूर करता है.

यहां पढ़ें...

क्या कहता है कृषि विभाग

सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत कहते हैं कि जंगली इलाकों से लगे किसानों को फेंसिंग लगाने के लिए वन विभाग आर्थिक मदद करता है, लेकिन कृषि विभाग में इस तरह की कोई योजना नहीं है. इसलिए किसान अपनी फसलों को जानवरों से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं. जहां तक दूसरे उपायों की बात है, तो जंगली जानवरों को फसलों से बचाने के लिए मट्ठे को सड़ाकर खेत की मेड़ों पर डालने से जानवर नहीं आते हैं. इसके अलावा गौमूत्र को करीब 15 दिन रखने के बाद मेड़ पर डाल देते हैं. साथ ही चमकीली चीजें भी जानवरों को रोकने में मददगार होते हैं.

Last Updated : Feb 12, 2024, 10:51 PM IST
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