भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से सांसद बन जाने के बाद बुधनी विधानसभा सीट खाली हो गई है. खाली हुई हाईप्रोफाइल सीट पर शिवराज का उत्तराधिकारी कौन होगा, ये प्रश्न लगातार सामने आ रहा है. क्या 2005 में जिसने शिवराज सिंह चौहान के लिए ये सीट खाली की थी, उन्हें फिर सौंप दी जाएगी या पार्टी एकदम से कोई नया नाम सामने लाकर सबको चौंका देगी. भोपाल में बीजेपी मुख्यालय में हुई चुनाव समिति की बैठक में विजयपुर और बुधनी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम का पैनल तैयार कर लिया गया है. हांलाकि 3 बार जिस सीट का शिवराज सिंह ने प्रतिनिधित्व किया उस पर आखिरी फैसला उनकी मुहर के बाद ही होगा. इस सीट के लिए सबसे प्रबल दावेदारों में राजेन्द्र सिंह राजपूत का नाम है. उन्होंने 2005 में शिवराज सिंह के लिए यह सीट खाली कर दी थी.
बीजेपी चुनाव समिति की बैठक में किस नाम पर मुहर
बीजेपी मुख्यालय में सोमवार को मध्य प्रदेश में 2 सीटों पर होने जा रहे उप चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम पर विचार किया गया. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में हुई चुनाव समिति की अहम बैठक में दोनों सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का पैनल तैयार हुए. वीडी शर्मा ने कहा, "जो पैनल तैयार हुए हैं केन्द्रीय नेतृत्व के पास भेजा जाएगा. विजयपुर सीट से राम निवास रावत का नाम लगभग तय ही माना जाए. वे इसी वादे के साथ बीजेपी में आए थे और मंत्री भी बनाए जा चुके हैं. पार्टी के लिए बुधनी सीट पर उम्मीदवार की तलाश करना चुनौती है. इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान की मुहर पर ही नाम तय होगा."
बुधनी सीट पर कौन होगा शिवराज सिंह का वारिस
बुधनी सीट पर जिन नामों की चर्चा है. उनमें सबसे मजबूत नाम राजेन्द्र सिंह राजपूत का है. पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत ने 2005 में ये सीट शिवराज सिंह चौहान के लिए सहर्ष छोड़ दी थी. इस लिहाज से देखें तो इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार राजेन्द्र सिंह राजपूत ही हैं. क्योंकि करीब 20 साल पहले अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत में ही अपनी सीट छोड़ देने वाले राजेन्द्र सिंह की पॉलीटिक्स में फिर कोई टर्निंग पाइंट नहीं आया. उनका नाम विदिशा से लोकसभा चुनाव के लिए भी चला लेकिन टिकट रमाकांत भार्गव को मिला.
कार्तिकेय सिंह चौहान भी मजबूत दावेदार
दूसरा नाम रमाकांत भार्गव का है. बीते चुनाव में विदिशा सीट से सांसद रहे रमाकांत भार्गव की गिनती भी शिवराज सिंह के करीबियों में होती है. तीसरा नाम रविश कुमार चौहान का है. इनकी दमदारी क्षेत्र का किरार वोटर है. एक नाम शिवराज सिंह के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का भी है. लेकिन राजनीतिक जानकार ये मानते हैं कि शिवराज परिवारवाद के आरोप का जोखिम नहीं लेंगे. लिहाजा कार्तिकेय का नाम आगे बढ़ाना मुमकिन नहीं दिखाई देता. हांलाकि, पूर्व मंत्री रामपाल सिंह कहते हैं कि, बुधनी सीट से नामों की पैनल भेजी गई है. क्या कार्तिकेय सिंह चौहान मजबूत दावेदार हैं. इस पर उन्होंने कहा कि. "बिल्कुल, क्षेत्र के लोगों की तरफ से उनके नाम की मांग भी है."
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बुधनी में निर्णायक है किरार समाज
बुधनी विधानसभा सीट पर किरार समाज का वोट निर्णायक है. यहां 40 हजार से ज्यादा किरार समाज के वोटर हैं और करीब 35 साल से इसी समाज ने इस सीट पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व किया है. राजकुमार पटेल के बाद देव कुमार पटेल फिर राजेन्द्र सिंह राजपूत यहां से विधायक चुने गए थे. 2005 में राजेन्द्र सिंह के सीट को छोड़ने के बाद 2023 के विधानसभा चुनाव तक शिवराज सिंह चौहान इस सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे.