पटना: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज मोदी सरकार 3.0 का बजट पेश करने के लिए तैयार हैं. निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. बजट से बिहार के बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स को बहुत उम्मीदें हैं.
बजट से बिहार को उम्मीद: आम बजट से बिहार के व्यापार वर्ग से जुड़े हुए लोगों को उम्मीद है कि सरकार उसके लिए कोई राहत वाला फैसला लेगी. बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आशीष शंकर उनका कहना है कि हर साल बजट से पहले वह लोग सरकार को सलाह देते हैं. इस बार भी उन लोगों ने सरकार को सलाह दी है. विशेष राज्य के दर्जे की मांग बिहार वर्षों से कर रहा है लेकिन कुछ कारणों से केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे पा रही है.
इंडस्ट्रियल बैकवर्ड स्टेट की मांग: बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आशीष शंकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि केंद्र सरकार से उन लोगों ने बिहार को इंडस्ट्रियल बैकवर्ड स्टेट देने की मांग की है. इस मांग के पूरा होने से बिहार में बाहर के निवेशक अपना इंडस्ट्री लगा सकेंगे. अडाणी ग्रुप और कुछ शुगर मिल को छोड़ दिया जाए तो कोई बड़े उद्योग बिहार में नहीं लग पा रहे हैं. अब कुछ उम्मीद जगी है कि कुछ कंपनी बिहार को लेकर उत्साहित हुए हैं.
"बिहार को इंडस्ट्रियल बैकवर्ड स्टेट घोषित किया जाए. जिससे बिहार में बाहर के निवेशक अपना इंडस्ट्री लगा सकेंगे. जीएसटी का सरलीकरण किया जाए उसके स्लैब को कम किया जाए. 5% से लेकर 28 पर्सेंट तक के जीएसटी स्लैब को कम किया जाए. इसका सरलीकरण किया जाए ताकि व्यापारियों को कुछ सुविधा मिल सके. जीएसटी को लेकर सरकार ने जो मापदंड तय किया है उसमें कुछ सुधार की जरूरत है." -आशीष शंकर, उपाध्यक्ष, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स
व्यापारियों को होगा फायदा: आशीष शंकर ने कहा है कि कच्चे माल पर कुछ जीएसटी लगाया जा रहा है और जब उस कच्चे माल से प्रोडक्ट तैयार किया जाता है तो उसको अलग से जीएसटी में शामिल किया जाता है. इसी को लेकर बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार से मांग की है कि ऐसे प्रोडक्ट पर एक बड़ा जीएसटी हटाया जाए ताकि जीएसटी का दोहरा भाड़ा व्यापारियों पर नहीं पड़े. इससे आम लोगों के साथ-साथ व्यापार जगत से जुड़े हुए लोगों को फायदा होगा.
पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी में शामिल की मांग: बिहार चैंबर ऑफ़ कॉमर्स ने सरकार से मांग की है कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट को जीएसटी के दायरे में लाया जाए. आशीष शंकर ने बताया कि पेट्रोलियम पदार्थ एवं पीएनजी को वैट अंदर में रखा गया है. पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के अंदर में लाया जाए ताकि ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे में लोगों को कुछ सुविधा मिल सके. उद्योग से जुड़े हुए लोगों को ट्रांसपोर्टेशन में बहुत ज्यादा खर्च पड़ता है यदि पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी में शामिल किया जाता है तो उन लोगों के ट्रांसपोर्टेशन में बहुत खर्च बचेगी.
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