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बसपा का चुनाव अभियान; आकाश आनंद आज नगीना से शुरू करेंगे रैलियां, मायावती 12 को नागपुर में करेंगी सभा - Akash Anand

UP Politics: आकाश जहां उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से चुनाव अभियान का आगाज करेंगे, वहीं मायावती 12 अप्रैल को नागपुर से जनसभाओं का श्रीगणेश करेंगी. इस बार उत्तर प्रदेश में मायावती के साथ ही उनके भतीजे आकाश आनंद की भी साख दांव पर लगी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 6, 2024, 11:56 AM IST

लखनऊ: UP Politics: बहुजन समाज पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद आज से लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार की कमान संभालेंगे. उत्तर प्रदेश में अपनी पहली रैली करने आकाश बिजनौर की नगीना सीट पर उतरेंगे.

यहां पर वह बहुजन समाज पार्टी की नींव मजबूत करने का प्रयास करेंगे. आकाश की आज से शुरू हो रही जनसभाएं मई तक लगातार जारी रहेंगी. इस दौरान कई बार में अपनी बुआ मायावती के साथ भी मंच साझा करेंगे.

आकाश जहां उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से चुनाव अभियान का आगाज करेंगे, वहीं मायावती 12 अप्रैल को नागपुर से जनसभाओं का श्रीगणेश करेंगी. इस बार उत्तर प्रदेश में मायावती के साथ ही उनके भतीजे आकाश आनंद की भी साख दांव पर लगी है.

लोकसभा सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. यहां पर 80 लोकसभा सीटें हैं. यहां जो पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है वह दिल्ली के लाल किला पर काबिज होने की रेस में सबसे आगे पहुंच जाती है.

उत्तर प्रदेश ने राज्य की कमान यहां की प्रमुख पार्टियों को जरूर सौंपी है, लेकिन केंद्र में सत्ता की चाबी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के ही हाथ रही है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी की एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार रही और तीन बार गठबंधन की सरकार की मुखिया मायावती रहीं.

बीएसपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव बसपा ने अकेले ही लड़ने का फैसला लिया है. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव अकेले लड़कर बसपा देख चुकी है. उसकी सांस फूल गई थी.

403 सीट में से सिर्फ एक सीट पर ही विधायक बन पाया था. 2019 लोकसभा चुनाव जब बीएसपी ने सपा और आरएलडी के साथ मिलकर लड़ा था तो 10 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी, जबकि 2014 में अकेले दम लड़ने वाली बीएसपी जीरो सीट पर थी.

2024 में एक बार फिर बीएसपी अकेले है और सियासी गलियारों में जो चर्चा है वह फिर से जीरो की ही है. हालांकि इस बार बुआ मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद के साथ मिलकर कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती हैं.

वह खुद चुनाव प्रचार की कमान संभालेगी और ज्यादातर स्थानों पर अपने भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को मौका देंगी. आकाश को भविष्य में बीएसपी की राजनीति करनी है.

इसलिए भले मायावती ने आकाश को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का उत्तराधिकारी न घोषित किया हो लेकिन चुनाव प्रचार में आकाश आनंद का महत्वपूर्ण रोल रहेगा. मायावती आकाश आनंद के साथ कई जनसभाओं में नजर आएंगी.

जहां आकाश आनंद छह अप्रैल से नगीना से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर रहे हैं, वहीं ऐसी सूचना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती नागपुर से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगी.

गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश में दो चरणों के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. दोनों ही चरण के लिए 40-40 स्टार प्रचारक बनाए गए हैं. इनमें प्रमुख नामों में बसपा सुप्रीमो मायावती, पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा और पार्टी के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह प्रमुख रूप से शामिल हैं.

बता दें कि पार्टी ने अभी तक जो 36 लोकसभा सीटें उत्तर प्रदेश में घोषित की हैं. उनमें भी इस बार सवर्णों को मौका दिया है और स्टार प्रचारकों की सूची में भी स्थान दिया है. जातीय समीकरण साधने की कोशिश इस बार मायावती नहीं छोड़ रही हैं.

ये भी पढ़ेंः बसपा ने जारी की 12 उम्मीदवारों की तीसरी सूची, लखनऊ से सरवर मलिक लोकसभा प्रत्याशी

लखनऊ: UP Politics: बहुजन समाज पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद आज से लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार की कमान संभालेंगे. उत्तर प्रदेश में अपनी पहली रैली करने आकाश बिजनौर की नगीना सीट पर उतरेंगे.

यहां पर वह बहुजन समाज पार्टी की नींव मजबूत करने का प्रयास करेंगे. आकाश की आज से शुरू हो रही जनसभाएं मई तक लगातार जारी रहेंगी. इस दौरान कई बार में अपनी बुआ मायावती के साथ भी मंच साझा करेंगे.

आकाश जहां उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से चुनाव अभियान का आगाज करेंगे, वहीं मायावती 12 अप्रैल को नागपुर से जनसभाओं का श्रीगणेश करेंगी. इस बार उत्तर प्रदेश में मायावती के साथ ही उनके भतीजे आकाश आनंद की भी साख दांव पर लगी है.

लोकसभा सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. यहां पर 80 लोकसभा सीटें हैं. यहां जो पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है वह दिल्ली के लाल किला पर काबिज होने की रेस में सबसे आगे पहुंच जाती है.

उत्तर प्रदेश ने राज्य की कमान यहां की प्रमुख पार्टियों को जरूर सौंपी है, लेकिन केंद्र में सत्ता की चाबी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के ही हाथ रही है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी की एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार रही और तीन बार गठबंधन की सरकार की मुखिया मायावती रहीं.

बीएसपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव बसपा ने अकेले ही लड़ने का फैसला लिया है. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव अकेले लड़कर बसपा देख चुकी है. उसकी सांस फूल गई थी.

403 सीट में से सिर्फ एक सीट पर ही विधायक बन पाया था. 2019 लोकसभा चुनाव जब बीएसपी ने सपा और आरएलडी के साथ मिलकर लड़ा था तो 10 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी, जबकि 2014 में अकेले दम लड़ने वाली बीएसपी जीरो सीट पर थी.

2024 में एक बार फिर बीएसपी अकेले है और सियासी गलियारों में जो चर्चा है वह फिर से जीरो की ही है. हालांकि इस बार बुआ मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद के साथ मिलकर कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती हैं.

वह खुद चुनाव प्रचार की कमान संभालेगी और ज्यादातर स्थानों पर अपने भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को मौका देंगी. आकाश को भविष्य में बीएसपी की राजनीति करनी है.

इसलिए भले मायावती ने आकाश को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का उत्तराधिकारी न घोषित किया हो लेकिन चुनाव प्रचार में आकाश आनंद का महत्वपूर्ण रोल रहेगा. मायावती आकाश आनंद के साथ कई जनसभाओं में नजर आएंगी.

जहां आकाश आनंद छह अप्रैल से नगीना से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर रहे हैं, वहीं ऐसी सूचना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती नागपुर से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगी.

गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश में दो चरणों के लिए स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. दोनों ही चरण के लिए 40-40 स्टार प्रचारक बनाए गए हैं. इनमें प्रमुख नामों में बसपा सुप्रीमो मायावती, पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद, राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा और पार्टी के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह प्रमुख रूप से शामिल हैं.

बता दें कि पार्टी ने अभी तक जो 36 लोकसभा सीटें उत्तर प्रदेश में घोषित की हैं. उनमें भी इस बार सवर्णों को मौका दिया है और स्टार प्रचारकों की सूची में भी स्थान दिया है. जातीय समीकरण साधने की कोशिश इस बार मायावती नहीं छोड़ रही हैं.

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