जयपुर. अंग प्रत्यारोपण की एनओसी जारी करने के मामले में एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी सहित अन्य आरोपियों को रिश्वत की ऐसी आदत लग गई थी कि जब तक उसे रिश्वत नहीं मिल जाती, वह फाइल को आगे नहीं बढ़ाता था. इस मामले की पड़ताल कर रही एसीबी ने जब अंग प्रत्यारोपण की एनओसी के लिए आए आवेदनों की फाइल खंगाली तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है.
सूत्रों के मुताबिक एसीबी की अब तक की जांच में सामने आया है कि अंग प्रत्यारोपण की एनओसी के लिए आवेदन के साथ जब तक घूस नहीं मिलती, तब तक आरोपी गौरव सिंह, अनिल जोशी और विनोद फाइल को आगे नहीं बढ़ने देते थे. ऐसी फाइलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता. जब रिश्वत मिलती तो ऐसी फाइलें सरपट दौड़ पड़ती थी. ऐसी ही ठंडे बस्ते में डाली गई छह फाइल अब एसीबी के हाथ लगी है. जिन्हें सवाई मानसिंह अस्पताल प्रशासन को भिजवाया गया है. माना जा रहा है कि ऐसे कई और मामले सामने आ सकते हैं.
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फर्जी दस्तखत से जारी करता एनओसी: एसीबी की पड़ताल में सामने आया है कि अंग प्रत्यारोपण की एनओसी के बदले घूसखोरी के आरोप में पकड़े गए सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह रिश्वत नहीं मिलने पर फाइलों को दबा देता था. रिश्वत की राशि मिलने पर ही वह फाइल आगे बढ़ाता था. रिश्वत मिलने पर वह फर्जी दस्तखत के जरिए एनओसी जारी कर देता था.
पूछताछ में सामने आया यह नाम: घूसखोरी के आरोप में पकड़े गए गौरव सिंह, अनिल जोशी और विनोद से एसीबी की पूछताछ में डोनर लाने वाले व्यक्ति का नाम मोहन नेपाली बताया है. जो नेपाल से डोनर लाता था. इसके साथ ही एसीबी ने इस मामले में गौरव की परिचित युवती से भी पूछताछ की है. ऐसे में एसीबी अब मोहन नेपाली की तलाश में जुटी है. उसकी गिरफ्तारी के बाद इस मामले के कई और राज सामने आ सकते हैं.