लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बचे हुए निगम और बोर्ड में पदाधिकारी के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है. इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी की ओर से नेताओं की सूची सरकार को दी जा रही है. जबकि सरकार भी स्क्रीनिंग करके मार्च में पदाधिकारी का ऐलान कर देगी. उर्दू एकेडमी, मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, बाल कल्याण परिषद ऐसे ही कई अन्य विभागों में अयोगी बोर्ड के पद खाली हैं.
बता दें कि 29 जून 2024 को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और 7 मेंबर का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. एक मेंबर सरदार परविंदर सिंह का कार्यकाल भी अगस्त में समाप्त हो गया. अब कोई भी नामित मेंबर और अध्यक्ष का कार्यकाल नहीं है. आयोग में मेंबर और अध्यक्ष का पद खाली है. कुल 9 पद में से 1 अध्यक्ष व 8 सदस्य के सभी पद खाली पड़े हैं.
आयोग का गठन नहीं होने से अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए रक्षा उपायों को लागू करने एवं उनके हित के लिए कार्य नहीं हो पा रहे हैं. शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है.
इसी तरह उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी कार्य समिति का कार्यकाल 10 सितंबर 2023 को ही खत्म हो गया था. अभी तक इसका गठन नहीं हुआ. इसकी वजह से उर्दू भाषा से जुड़ी तमाम योजनाओं का कामकाज ठप है.
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद का कार्यकाल 16 सितंबर को खत्म हो गया था. नवंबर 2024 में उत्तर प्रदेश हज समिति का भी कार्यकाल खत्म हो गया. उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के कार्य समिति दो विधायकों को शामिल करना था, जिसके लिए अभी तक चुनाव नहीं हुआ है.
इसी प्रकार से फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के कार्य समिति का कार्यकाल 2024 में समाप्त हो चुका है. इसका भी अभी तक गठन नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग का कार्यकाल 28 जून 2024 को समाप्त हो गया था. इसके बाद अब तक की कार्य समिति का गठन नहीं हुआ है.
ये भी पढ़ेंः महाकुंभ में टूटा दुनिया का रिकॉर्ड; एक दिन में सबसे ज्यादा पहुंचे यात्री, क्राउड मैनेजमेंट भी रहा नंबर वन