भोपाल। ये इत्तेफाक तो नहीं कहा जा सकता कि विंध्य इलाके में बीजेपी के एक विधायक की पुलिस के सामने दंडवत करते तस्वीरें आती हैं. उसके ठीक बाद बुंदेलखंड में के एक बीजेपी विधायक थाने में धरने पर बैठ जाते हैं. रात में सागर जिले के देवरी से विधायक बृजबिहारी पटेरिया का इस्तीफा और सुबह यू टर्न क्या इस बात की आश्वस्ति है कि मामला संभल गया है. कैलाश विजयवर्गीय से लेकर संजय पाठक और गोपाल भार्गव से लेकर अजय विश्नोई तक बीजेपी के इन दिग्गज नेताओं ने सधी जुबान से जो बयान दिए हैं, वो किस तरफ इशारा कर रहे हैं. क्या इसकी वजह वाकई वही है जिसे बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा इशारा कर रहे हैं. रघुनंदन शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा "पार्टी में जो हालात बन गए हैं, इसके पीछे संगठन और सरकार की संवादहीनता है."
पार्टी के बिठाए सूबेदार संवादहीनता को समझें
रघुनंदन शर्मा ने कहा "बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने जो तीन तीन सूबेदार बिठाए हैं, वे इस स्थिति को समझें और उसका समाधान निकालें. विधायको की नाराजगी और कार्यकर्ताओं के गुस्से के पीछे असली वजह है संगठन और सरकार में संवादहीनता. सवाल ये है कि विधायक हो या आम कार्यकर्ता आखिर किसे अपनी बात कहे. कौन उस बात को समझें और समझने के बाद उनको राहत पहुंचाए. जब ऐसे में जब वह निराश होता है तो इस्तीफा देने जैसा कदम उठाता है. असल में इस संवादहीनता को समाप्त करने की आवश्यकता है."
विधायक को दंडवत होने की नौबत क्यों आई
अब जरा पिछले दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालिए. उन बयानों पर गौर कीजिए जो बता रहे हैं कि अब विधायकों की नाराजगी सतह पर आ रही है. विंध्य में मऊगंज से विधायक प्रदीप पटेल पुलिस थाने में दंडवत हो गए. शराब माफिया से तंग हुए विधायक प्रदीप पटेल एएसपी के सामने दंडवत होकर कहा "आप शराब माफिया से ही मेरा मर्डर करवा दीजिए. पुलिस अपराधियो के साथ मेरी जान की दुश्मन बन गई है." प्रदीप पटेल ने बताया "दंडवत करने की नौबत इसलिए आई कि मेरी जान को खतरा है."
बीजेपी विधायक का इस्तीफा फिर यू टर्न
सागर जिले के देवरी में बीजेपी के विधायक बृज बिहारी पटेरिया अपनी विधासनभा सीट पर एक परिवार को इंसाफ दिलाने लडते रहे पर उनकी सुनवाई नहीं हुई. यहां तक कि हार कर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया. पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी विधायक पटेरिया के साथ खड़े हुए. गोपाल भार्गव ने ट्वीट कर ये कहा भी "ये स्थिति ठीक नहीं है." बाद में मान मनौव्वल समझाइश के बाद इस्तीफा वापस हो गया, लेकिन वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं "इसे फिलहाल ट्रेलर की तरह ही देखा जाए. गौर इस पर किया जाना चाहिए कि आखिर विधायक ऐसा करने पर विवश क्यों हो रहे हैं."
विजयवर्गीय सदस्यता दिलाने पहुंचे तो मिली शिकायतें
बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी मुश्किल का सामना करना पड़ा, जब वे अपनी विधानसभा में लोगों के बीच सदस्यता अभियान के लिए पहुंचे. वहां लोगों ने पहले शराबबंदी की मांग करते हुए शिकायतें की. जिसके बाद विजयवर्गीय ने ऐलान किया कि यदि 72 घंटे के भीतर पुलिस ने इस पर लगाम नहीं लगाई तो फिर अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे. विजयराघवगढ़ से विधायक संजय पाठक को अपनी ही पार्टी की सरकार में जान का खतरा है. उन्होंने बताया है कि उन्हे धमकियां भी मिल रही हैं.