जैसलमेर : पश्चिमी राजस्थान का जैसलमेर जिला, जो देश की पश्चिमी सीमा के नजदीक स्थित है, इन दिनों बर्ड फ्लू के कहर का सामना कर रहा है. जिले में लगातार पक्षियों की मौत हो रही है, जिससे प्रशासन और संबंधित विभागों में हड़कंप मचा हुआ है. इस संबंध में पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. उमेश वरगंटीवार ने जानकारी दी कि पहले देगराय ओरण इलाके में मृत कुरजां पक्षी पाए गए थे, जिसके बाद लगातार पक्षियों की मौत का सिलसिला बढ़ता जा रहा है.
पहली बार 11 जनवरी को देगराय ओरण में 6 मृत कुरजां पक्षी पाए गए. इसके बाद 12 जनवरी को 2, 13 जनवरी को 2, 15 जनवरी को 3 और 16 जनवरी को 1 कुरजां का शव मिला. 17 जनवरी को मोहनगढ़ के बांकलसर गांव में 13 कुरजां के शव मिले हैं. इन मौतों के बाद, कुल मिलाकर अब तक 27 कुरजां, 1 कोयल और 1 यूरेशियन कल्चर पक्षी की मौत हो चुकी है. इसके बाद प्रशासन और पशुपालन विभाग ने मृत पक्षियों के शवों को दफनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और 2 कुरजां के शवों के सैंपल भोपाल स्थित निषाद लैब भेजे गए हैं.
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बर्ड फ्लू की पुष्टि, विभाग अलर्ट मोड पर : जैसलमेर जिले में बर्ड फ्लू के फैलने की पुष्टि होने के बाद वन और पशुपालन विभाग की टीमें पूरी तरह अलर्ट हो गई हैं. डॉ. उमेश ने बताया कि भोपाल से आई रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई है कि मृत कुरजां पक्षियों में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैल चुका है. इसके बाद विभाग की टीमें लगातार फील्ड में स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और सभी स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं. विभाग ने अब तक बर्ड फ्लू के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं.
मृत पक्षियों के शवों का निस्तारण : पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. उमेश वरगंटीवार ने बताया कि बर्ड फ्लू के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विभाग राज्य सरकार के प्रोटोकॉल के अनुसार मृत पक्षियों के शवों का निस्तारण कर रहा है. मृत पक्षियों को दफनाने के बाद, उस स्थान पर आवश्यक दवाइयों का छिड़काव भी किया जा रहा है, ताकि संक्रमण का प्रसार रुक सके. उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू के मामले में सबसे महत्वपूर्ण कदम समय पर सूचना मिलते ही शवों का निस्तारण करना है, जिससे इस बीमारी के फैलने की संभावना को न्यूनतम किया जा सके. इसके अलावा प्रशासन ने उन क्षेत्रों में जहां मृत पक्षियों के शव मिले हैं, वहां सुरक्षा कड़ी कर दी है. पुलिस, वन विभाग और सिविल डिफेंस की टीमें लगातार गश्त कर रही हैं और बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही जिन तालाबों के आसपास मृत पक्षियों के शव पाए गए हैं, वहां के पानी का उपयोग करने से लोगों और किसानों को रोक दिया गया है.
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बर्ड फ्लू एक गंभीर खतरा : बर्ड फ्लू, जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से पक्षियों और जानवरों में फैलता है. यह वायरस इंसानों में भी फैल सकता है, लेकिन इसके इंसान से इंसान में फैलने के मामले अभी तक सामने नहीं आए हैं. बर्ड फ्लू के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ बेहद घातक हो सकते हैं. हालांकि, H9N2 वेरिएंट में गंभीर समस्याएं आमतौर पर नहीं देखी गईं, फिर भी यह वायरस इंसान के लिए खतरनाक हो सकता है.
प्रवासी पक्षियों का आगमन : जैसलमेर जिले में प्रवासी पक्षियों का आगमन एक सामान्य घटना है, खासकर सर्दियों में. पर्यावरण प्रेमी सुमेरसिंह के अनुसार जैसलमेर सहित पश्चिमी राजस्थान प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा क्षेत्र है. इन पक्षियों का शीतकालीन प्रवास हिमालय की चोटियों के पार चीन, मंगोलिया, कजाकिस्तान जैसे देशों से होता है. इन क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण तापमान में गिरावट आती है, जिससे पक्षी भारत के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं. जैसलमेर में, ये पक्षी विशेष रूप से तालाबों के पास अपना डेरा डालते हैं और सर्दियों में यहीं रहते हैं.
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बर्ड फ्लू का इतिहास : बर्ड फ्लू का पहला बड़ा मामला 1997 में हांगकांग में सामने आया था, जब H5N1 वायरस इंसानों में पाया गया था. इस वायरस की मृत्युदर लगभग 60% थी, यानी इस वायरस से संक्रमित 10 में से 6 लोग मारे गए थे. दुनिया में बर्ड फ्लू के मामले लगातार बढ़े हैं और इसके कारण लाखों पक्षी मर चुके हैं. हालांकि, बर्ड फ्लू के इंसान में फैलने के मामले अब तक सीमित रहे हैं, लेकिन इसकी घातक प्रकृति के कारण इसे लेकर सतर्कता बनाए रखना जरूरी है.
जिले में प्रशासन की तत्परता : जैसलमेर जिले में बर्ड फ्लू के फैलने के बाद प्रशासन ने पूरी तत्परता से काम करना शुरू कर दिया है. पशुपालन विभाग, वन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीमें इस समय बर्ड फ्लू के संक्रमण को नियंत्रित करने में जुटी हुई हैं. समय-समय पर संबंधित विभागों की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं ताकि यह बीमारी और न फैले. हालांकि, फिलहाल जिले में बर्ड फ्लू के संक्रमण से घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन प्रशासन और संबंधित विभाग पूरी तरह से सतर्क हैं. इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए सभी क्षेत्रों में न केवल मृत पक्षियों के शवों का उचित निस्तारण किया जा रहा है, बल्कि आम जनता को भी इस संक्रमण से बचने के लिए जागरूक किया जा रहा है.